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आज का संस्करण

नई दिल्ली, 23 मई 2024

 

मुट्ठी भर अंधेरा!

 

बादल चाहे जितना

आसमान को ढके

सूरज का तेज वह

ज्यादा देर सह नही पायेगा।

 

 मुट्ठी  भर अंधेरा,

उजेला को रोक नही पायेगा।

 

 कभी किसी ने

कहा था-

बात निकलेगी

तो दूर तक जायेगी

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