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आज का संस्करण

नई दिल्ली , 16 अप्रैल 2024

डॉ॰ सलीम ख़ान

A person with a beard and glasses

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बीजेपी के बारे में दावा किया जाता है कि वह दिन-रात सिर्फ़ राजनीति में डूबी रहती हैl मेरठ से बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ रहे रामायण सीरियल के राम अरुण गोविल से जब पूछा गया कि उनका घोषणा पत्र क्या है, तो उन्होंने कहा कि वह फ़िलहाल चुनाव लड़ने में व्यस्त हैं। इसे ख़त्म करने के बाद मैं आपको बताऊँगा कि घोषणापत्र क्या है, यानी कार आगे होगी और घोड़ा पीछे होगा।



लेख एक नज़र में

मेरठ से बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ रहे रामायण सीरियल के राम अरुण गोविल से जब पूछा गया कि उनका घोषणा पत्र क्या है, तो उन्होंने कहा कि वह फ़िलहाल चुनाव लड़ने में व्यस्त हैं | इसे ख़त्म करने के बाद मैं आपको बताऊँगा कि घोषणापत्र क्या है, यानी कार आगे होगी और घोड़ा पीछे होगा |

जब राहुल गाँधी ने सोशल मीडिया पर काँग्रेस के घोषणापत्र ‘न्याय पत्र’ के संदर्भ में एक वीडियो जारी किया, तो उसपर 2 लाख टिप्पणियाँ (Comments) और 10,000 से अधिक ई-मेल आए | जाने-माने पत्रकार प्रशांत टंडन काँग्रेस के घोषणापत्र के संदर्भ में कहते हैं कि ऐसा दस्तावेज़ बंद कमरे में बैठकर नहीं बनाया जा सकता |

इसके लिए लोगों के अंदर जाकर उनके मन की बात सुनना ज़रूरी है और यही काम राहुल गाँधी ने दो यात्राओं के दौरान किया | इसीलिए काँग्रेस का चुनावी घोषणापत्र स्वीकार किया जा रहा है | सीएसडीएस और लोकनीति देश की विश्वसनीय संस्थाएँ हैं | उनके ताज़ा सर्वे में पता चला कि फ़िलहाल जनता की दिलचस्पी राम मंदिर से ज़्यादा बेरोज़गारी, महंगाई, भ्रष्टाचार और गिरती आर्थिक स्थिति में है |

 आर्थिक कठिनाइयों का असर अमीर लोगों पर तो नहीं दिखता, लेकिन मध्यम और ग़रीब वर्ग इससे प्रभावित होता है | ज़ाहिर है कि चुनावी राजनीति में ग़रीबों का वोट पूंजीपतियों के नोटों से ज़्यादा महत्वपूर्ण है |



जब राहुल गाँधी ने सोशल मीडिया पर काँग्रेस के घोषणापत्र ‘न्याय पत्र’ के संदर्भ में एक वीडियो जारी किया, तो उसपर 2 लाख टिप्पणियाँ (Comments) और 10,000 से अधिक ई-मेल आए। जाने-माने पत्रकार प्रशांत टंडन काँग्रेस के घोषणापत्र के संदर्भ में कहते हैं कि ऐसा दस्तावेज़ बंद कमरे में बैठकर नहीं बनाया जा सकता। इसके लिए लोगों के अंदर जाकर उनके मन की बात सुनना ज़रूरी है और यही काम राहुल गाँधी ने दो यात्राओं के दौरान किया। इसीलिए काँग्रेस का चुनावी घोषणापत्र स्वीकार किया जा रहा है। सीएसडीएस/लोक नीति की हालिया समीक्षा इसकी पुष्टि करती है।

सीएसडीएस और लोकनीति देश की विश्वसनीय संस्थाएँ हैं। उनके ताज़ा सर्वे में पता चला कि फ़िलहाल जनता की दिलचस्पी राम मंदिर से ज़्यादा बेरोज़गारी, महंगाई, भ्रष्टाचार और गिरती आर्थिक स्थिति में है। आर्थिक कठिनाइयों का असर अमीर लोगों पर तो नहीं दिखता, लेकिन मध्यम और ग़रीब वर्ग इससे प्रभावित होता है। ज़ाहिर है कि चुनावी राजनीति में ग़रीबों का वोट पूंजीपतियों के नोटों से ज़्यादा महत्वपूर्ण है। बेरोज़गारी कहाँ है? यह सवाल पूछनेवाले बीजेपी को पता होना चाहिए कि दो-तिहाई लोगों को नौकरी मिलना पहले से ज़्यादा मुश्किल हो गया है और तीन-चौथाई इसके लिए केंद्र सरकार को ज़िम्मेदार मानते हैं। रिपोर्ट से पता चला कि 2022 में कुल बेरोज़गार आबादी में 82.9 प्रतिशत हिस्सेदारी युवाओं की थी। दो-तिहाई का मानना है कि महंगाई बढ़ी है और इसके लिए केंद्र सरकार भी ज़िम्मेदार है। वर्तमान में 50 प्रतिशत लोग बेरोज़गारी और महंगाई को मुख्य चिंता मानते हैं, जबकि पाँच साल पहले सिर्फ़ 16 प्रतिशत लोग ऐसा सोचते थे। इसका साफ़ मतलब है कि स्थिति और लोगों की सोच में सकारात्मक बदलाव आया है।

सीएसडीएस सर्वेक्षण में, उपर्युक्त उल्लिखित मुद्दों के बाद विकास संख्या और इन लोगों द्वारा भाजपा को वोट देने की संभावना है। लगभग 10 में से दो लोगों की राय है कि पिछले पाँच सालों में कोई प्रगति नहीं हुई है, जबकि 32 प्रतिशत मतदाताओं का मानना है कि इस दौरान केवल अमीरों ने प्रगति की है, अयोध्या में राम मंदिर को महत्वपूर्ण मुद्दों में से एक माना जाता है । यह मीडिया और संघ परिवार के लिए बहुत बड़ी हार है, क्योंकि उन्होंने अयोध्या में मंदिर खोलने का इतना प्रचार किया कि भाजपा को लगा कि यह ख़त्म होने वाला है। सर्वेक्षण में इस तथ्य पर भी प्रकाश डाला गया कि जनता के बहुमत के अनुसार पिछले पाँच वर्षों में भ्रष्टाचार में वृद्धि हुई है। यह प्रधानमंत्री मोदी के चेहरे पर तमाचा है, जो ‘न खाऊँगा न खाने दूँ गा’ का नारा लगाते रहे हैं। लोगों ने भी किसानों के विरोध को जायज़ ठहराया जबकि सरकार ने उन्हें ख़ालिस्तानी, आतंकवादी और असामाजिक तत्व के रूप में चित्रित किया। यह रुझान मोदी सरकार के लिए बेहद ख़तरनाक हैं।

सीएसडीएस सर्वेक्षण उन सभी सवालों के जवाब देता है कि ख़ुफ़िया एजेंसी के आंकड़े अप्रत्याशित क्यों हैं। संघ की आंतरिक समीक्षा से बीजेपी क्यों परेशान है? मोदी जी इतने भ्रमित क्यों हैं? उनके चेहरे पर क्यों हवाइयाँ उड़ रही हैं? वे बार-बार अपना प्रतिवादी क्यों बदल रहे हैं? सरकारी आख्यान से अचानक राम मंदिर का ज़िक्र क्यों ग़ायब हो रहा है? उनकी रैली में भेड़ें नहीं आ रही हैं? किराएदारों में उत्साह क्यों नहीं? इसके विपरीत, चुनावी बांड घोटाले का जादू सिर चढ़कर बोल रहा है। यही वजह है कि राहुल गाँधी समेत तमाम विपक्षी नेताओं ने इसे हाथों-हाथ लिया है । राहुल गाँधी ने यहाँ तक कहा कि प्रधानमंत्री मोदी चुनावी बांड योजना के नाम पर अंतर्राष्ट्रीय जबरन वसूली रैकेट चला रहे हैं। इस योजना के ज़रिए मोदी और बीजेपी ने देश में सबसे बड़े भ्रष्टाचार को अंजाम दिया है।

चुनावी बांड का मुद्दा इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि लोग भ्रष्टाचार को चौथे स्थान पर रखते हैं। सरकार की योजना इसमें दानदाता का नाम छुपाने की थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इसे अवैध घोषित कर विपक्ष के हाथ में एक ताक़तवर हंटर दे दिया है । रहस्योद्घाटन से पता चला कि बीजेपी ने सरकारी ठेकों के लिए उद्योगपतियों से करोड़ों रुपये की रिश्वत वसूल की थी और ईडी-सीबीआई केस दर्ज कर निवेशकों को ब्लैकमेल किया गया। राहुल के मुताबिक़, इस तरह नरेंद्र मोदी ने भ्रष्टाचार को हराया। भ्रष्टाचार पर सीधे प्रधानमंत्री पर निशाना साधने के बाद राहुल गाँधी सहित तमाम विपक्षी नेताओं ने बेरोज़गारी बढ़ने के लिए सरकार को जिम्मेदार ठहराया। राहुल गाँधी के मुताबिक़, देश के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है कि आईआईटी से पढ़े युवा भी बेरोज़गार हैं।

राहुल गाँधी बेरोज़गारी के मुद्दे को प्रधानमंत्री मोदी और उद्योगपति अडानी के बीच नाजायज़ संबंधों से जोड़ते हैं। उनका आरोप है कि 2014 के बाद से सरकार के आशीर्वाद से अदाणी के शेयर की क़ीमत हर साल बढ़ रही है। नरेंद्र मोदी पर खुलेआम देश की सारी संपत्ति पूंजीपतियों को सौंपने का आरोप लगाया जा रहा है। इनमें अदाणी का नाम प्रमुख है। वर्तमान समय में एक ओर जहाँ कोई स्थायी नौकरी नहीं है और यदि मिलती भी है तो अनुबंध के आधार पर काम करना पड़ता है। राहुल गाँधी ने ठेकेदारी को बढ़ावा देने के लिए मोदी सरकार की आलोचना की है और वादा किया है कि काँग्रेस एक बार फिर सार्वजनिक क्षेत्र और सरकारी नौकरियों में ठेकेदारी की परंपरा को ख़त्म करेगी। इस तरह लोगों को सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों और सरकार में स्थायी नौकरियाँ दी जाएँगी। काँग्रेस का घोषणापत्र सभी शिक्षित युवाओं के लिए पक्की नौकरी की गारंटी देता है।

प्रधानमंत्री मोदी की तरह राहुल गाँधी भी इस वक़्त तूफ़ानी दौरे पर हैं। उन्होंने याद दिलाया कि पिछले दस साल में प्रधानमंत्री मोदी ने तमाम वादे किये लेकिन खाते में 15 लाख रुपये जमा करने के बजाय निकाल लिये। मोदी ने नोटबंदी की और ग़लत तरीक़े से जीएसटी लागू किया। मोदी ने किसानों, मज़दूरों, यहाँ तक कि छात्रों का तो क़र्ज़ माफ़ नहीं किया, लेकिन अरबपतियों का लाखों करोड़ रुपये का क़र्ज़ माफ़ कर दिया। उन्होंने दावा किया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15-20 उद्योगपतियों को जो ऋण सुविधा दी है, उसका उपयोग 24 वर्षों तक मनरेगा के तहत ग़रीबों के श्रम का भुगतान करने के लिए किया जा सकता था। महंगाई का असर सबसे ज़्यादा महिलाओं पर पड़ता है, इसलिए काँग्रेस ने हर ग़रीब परिवार की महिला के बैंक खाते में सालाना एक लाख रुपये ट्रांसफ़र करने का वादा किया है। अगर काँग्रेस सत्ता में आई और यह वादा पूरा किया तो देश से ग़रीबी एक झटके में दूर हो जाएगी।

राहुल ने कहा कि भारत के इतिहास में पहली बार किसान टैक्स दे रहे हैं, लेकिन एमएसपी माँग रहे हैं और यह अत्याचार किया जा रहा है। यही वजह है कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश, हरियाणा और पंजाब में बीजेपी उम्मीदवारों की घुसपैठ दोगुनी हो गई है। लोग उन्हें गांव में घुसने नहीं देते, बल्कि भगा देते हैं। फ़िलहाल इंडिया फ़्रंट के सभी नेता एक सुर में बोल रहे हैं। राजद नेता और बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने दावा किया है कि बिहार में एनडीए सरकार 17 साल में जितनी नौकरियाँ नहीं दे पाई, उससे ज़्यादा नौकरियाँ 17 महीने में दे दी हैं। उनके मुताबिक, आज देश में बेरोज़गारी बढ़ रही है। मोदी 10 साल में ग़रीबी नहीं हटा पाए, 5 किलो अनाज से कौन सी ग़रीबी दूर हो जाएगी। तेजस्वी यादव ने मोदी की गारंटी का मज़ाक़ उड़ाते हुए कहा कि यह चीनी गारंटी है, जो चुनाव तक चलेगी, उसके बाद ख़त्म हो जाएगी। यह विपक्ष के युवा नेतृत्व की बड़ी उपलब्धि है कि उसने भाजपा के भावनात्मक शोषण को पीछे छोड़ जनता के मूल मुद्दों को बातचीत का विषय बनाया। बीजेपी को हराने का यह है तीर से निशाना लगाने वाला नुस्ख़ा। चुनाव प्रक्रिया के दौरान यह कितना कारगर होगा यह तो समय ही बताएगा।

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