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आज का संस्करण

नई दिल्ली, 17 जनवरी 2024

राजेन्द्र वर्मा

 

हाइकु एक जापानी कविता शैली है। यह 17 स्वर-घटकों (हिंदी में अक्षरों) की 5-7-5 में विभक्त तीन पंक्तियों की रचना है जिसमें किसी बिम्ब के माध्यम से कोई अनुभूति व्यक्त करनी होती है। इस अनुभूति में जितनी अधिक तीव्रता होगी, हाइकु उतना प्रभावी होगा |

 

पूस की रात,

लिपटा पड़ा ‘हल्कू’

श्वान के साथ।

 

ओले-ही-ओले,

भू-लंठित हो रही

गेहूँ की फस्ल।

 

रोटी-सा चाँद,

फुटपाथ पे बच्चा

मलता पेट।

 

काँधे पे बोरा,

नन्हें हाथ ढूँढ़ते

काम की चीज़।

 

झपकी आई,

ग़रीब ने पहने

नए कपड़े।

 

लौटा कमेरा,

चूल्हे में जली आग,

छँटा अँधेरा।

 

काँधे पर सूर्य,

दिहाड़ी मजदूर

खड़ा अड्डे पर।

 

बेरोज़गारी,

झुक गई कमर

चालीस में ही।

 

हाय ही भूख!

अपना ही ख़ून बिका

रोटी के लिए।

 

मुँह में पान,

नाक से गाना गाती

कूड़ा-सुंदरी।

 

आदमी भूखा,

मूर्ति के मुख लगा

अभागा अन्न।

 

दुग्धाभिषेक,

भूखा बच्चा पी रहा

नाली का दूध। (शब्द 155)

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