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आकांक्षा माथुर

A person wearing glasses and a red sweater

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नई दिल्ली | गुरुवार | 12 सितम्बर 2024

वर्षा ऋतु आ चुकी है और इस मौसम ने वन, उपवन, ग्राम, नगर में अपनी छटा बिखेर दी है। मिट्टी में सुगंध फैल गई है और प्रकृति में बदलाव दिखाई देने लगा है। जब मौसम बदल रहा है, तो हमें भी अपने आहार, दिनचर्या और व्यवहार में बदलाव लाना चाहिए ताकि हम इस मौसम का पूरा आनंद ले सकें और स्वस्थ रह सकें।

वर्षा ऋतु में सुबह जल्दी उठना लाभकारी होता है। सुबह 1 लीटर पानी में नींबू डालकर पीने से शरीर को ताजगी मिलती है। सरसों का तेल, कपूर या नारियल के तेल से शरीर की मालिश करना भी फायदेमंद है। स्नान करते समय पानी में बाथ साल्ट या थोड़ा सोडा डालना चाहिए और सुगंधित साबुन का उपयोग भी अच्छा रहता है। स्नान के बाद शरीर को नरम तौलिये से अच्छी तरह पोंछें और गीले वस्त्र न पहनें। अच्छे पाउडर का उपयोग भी करें। नायलॉन और रेशमी कपड़े पहनने से बचें क्योंकि ये पसीना सोख नहीं पाते। सूती कपड़े पहनना अधिक आरामदायक होगा। वर्षा ऋतु में अत्यधिक शारीरिक मेहनत से बचें।

वर्षा ऋतु में दिन के समय सोना हानिकारक हो सकता है। थका देने वाले व्यायाम की जगह हल्के और शरीर को ऊर्जा देने वाले व्यायाम करें। दोपहर को विश्राम करें और धूप में बाहर जाने से बचें। रात को खुली जगह पर न सोएं। सुबह और संध्या के समय ताजे और ठंडी हवा का लाभ उठाने के लिए बाहर जाएं। अगर मच्छरदानी हो, तो उसका उपयोग करें। घर और आसपास की जगह पर डी.डी.टी. का छिड़काव कराएं और शौचालय की सफाई रोजाना करें। रात को नीम की पत्तियों का धुआं करें ताकि मच्छर और कीटाणुओं से बचाव हो सके।

 

लेख एक नज़र में
वर्षा ऋतु आ चुकी है और हमें अपने आहार, दिनचर्या और व्यवहार में बदलाव लाना चाहिए। सुबह जल्दी उठना, नींबू पानी पीना, और सरसों का तेल से मालिश करना फायदेमंद है।
स्नान करते समय पानी में बाथ साल्ट या थोड़ा सोडा डालना चाहिए। अच्छे पाउडर का उपयोग करें और सूती कपड़े पहनना अधिक आरामदायक होगा। दिन के समय सोना हानिकारक हो सकता है, इसलिए हल्के व्यायाम करें और दोपहर को विश्राम करें। अपने आहार पर विशेष ध्यान दें और सड़ी-गली या बासी चीजें न खाएं।
नींबू का सेवन करें और रोजाना नियमित दिनचर्या रखें।

 

वर्षा ऋतु में पाचन क्रिया मंद हो जाती है, इसलिए अपने आहार पर विशेष ध्यान दें। सड़ी-गली या बासी चीजें, बाजार के चाट, और गरिष्ठ खाद्य पदार्थों से बचें। नदी या पोखर के पानी, खट्टी और चटपटी चीजों का सेवन न करें। सुबह के नाश्ते में सुपाच्य खाद्य पदार्थ लें, जैसे कि फल, दही की लस्सी और फलों का रस। हल्का भोजन करें ताकि जठराग्नि बनी रहे। पुराना चावल, गेहूं, ज्वार, मूंग और लौकी, करेला, भिंडी, तुरई, सेम जैसी सब्जियाँ लाभकारी होंगी। आम, ककड़ी, और लीची जैसे फल दोपहर के भोजन के बाद खा सकते हैं। भोजन में प्याज, लहसुन, अदरक, और हरी मिर्च की चटनी का उपयोग करें।

बदहजमी से बचने के लिए रोजाना नींबू का सेवन करें। नींबू का रस भोजन का स्वाद बढ़ाता है और शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करता है। नींबू शरीर में जमा हुए मल को बाहर निकालता है और विभिन्न बीमारियों से बचाता है।

विशेष सावधानियाँ

  1. वर्षा ऋतु में अम्लता और पित्त दूषित हो सकते हैं, इसलिए एक या दो बार जुलाब द्वारा शरीर को शुद्ध करें।
  2. छाछ का उपयोग कम करें, या न करें तो बेहतर रहेगा।
  3. सप्ताह में एक दिन शाम को भोजन न करना लाभकारी हो सकता है।
  4. रात को प्याज का सेवन न करें क्योंकि यह पचने में भारी होता है।
  5. संध्या को ही भोजन करें और रात को भोजन से बचें।
  6. केवल शुद्ध और ताजा जल पिएं, अशुद्ध पानी को फिटकरी डालकर शुद्ध करें।

वर्षा ऋतु में मलेरिया जैसी बीमारियाँ फैल सकती हैं। नालियों और गड्ढों में मिट्टी का तेल छिड़कें। अपने वस्त्रों की स्वच्छता पर ध्यान दें और खाने-पीने की चीजों को ढक कर रखें। यदि मौसम के कारण शरीर में दर्द हो, तो महा नारायण तेल की मालिश करें या आयोडेक्स का उपयोग करें।

वर्षा ऋतु में यदि आप अपनी दिनचर्या को नियमित रखें और सही आहार लें, तो आप स्वस्थ और खुशहाल रह सकते हैं। इस मौसम की फुहारों का आनंद लें और अपने स्वास्थ्य को बनाए रखें।

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