अठारहवीं लोकसभा के मतदान में अठारह वर्ष के करीब दो करोड़ नवपंजीकृत वोटर होंगे। बड़ा दारोमदार इस समूह पर होगा, अगली भारत सरकार के गठन में। प्रथम आम चुनाव 1952 में 17.32 करोड़ मतदाता थे। आज अमृतकाल वाले साल में साढे चौरानवे करोड़ लोग वोट डालेंगे। गत प्रथम जनवरी तक हुई पंजीकृत मतदाताओं की यही संख्या है। कुल मायने यही हैं कि अगला चुनाव भारतीय लोकतंत्र की तारीख में अद्भुत होगा। सर्वाधिक प्रतिनिधित्वपूर्ण भी।
ये लोग ही भारत को दुनिया में वोट डालने वाले सबसे बड़े लोकतांत्रिक देशों में से एक बनाते हैं। यह संख्या 2019 के चुनावों से पहले रजिस्टर्ड 89.6 करोड़ लोगों से 8.1 प्रतिशत अधिक है। इस बार कुल मतदाताओं में 49.7 करोड़ पुरुष मतदाता (2019 से 6.9 प्रतिशत अधिक) और 47.1 करोड़ महिलाएं (9.3 प्रतिशत अधिक) शामिल हैं। यह देश की आबादी का 66.8 प्रतिशत है। इस बार 21.6 करोड़ 18-29 वर्ष की आयु के मतदाता है। इनकी संख्या कुल मतदाताओं के 22 प्रतिशत से अधिक हैं।
इतना तय है कि होने वाला मतदान ati mahatpurn ma और युगांतरकारी होगा। दो खास महागठबंधनों की क्रियाशीलता के फलस्वरुप परिणाम प्रभावोत्पादी होंगे। लोकमत को मजबूती देंगे। दुनिया भी जान लेगी कि भारत अब संपेरो और रस्साकशी करने वाले नटों का मुल्क नहीं रहा, जो अंग्रेज साम्राज्यवादियों ने बनाकर 1947 में छोड़ा था। मत परिणाम इस बार वोटरों की आत्मचेतना की आवाज की प्रतिध्वनि होगी। कवि जॉन मिल्टन की ऐसी ही शब्दावली थी। जनवाणी मतपत्रों द्वारा ईवीएम से व्यक्त होगी।
गत माह चुनाव आयोग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने महिला मतदाताओं, 18-19 वर्ष की आयु के मतदाताओं में उल्लेखनीय वृद्धि का श्रेय मुख्य आयुक्त राजीव कुमार द्वारा मतदाता सूची की शुद्धता और सुधार के लिए किए गए प्रयासों को दिया गया। शैक्षणिक संस्थानों के साथ काम करने और योग्य युवा मतदाताओं को नामांकन के लिए प्रोत्साहित करने के लिए विशेष सहायक निर्वाचन पंजीकरण अधिकारियों को नियुक्त भी किया गया था। महिलाओं के कम पंजीकरण और मतदान वाले निर्वाचन क्षेत्रों की पहचान की गई। साथ ही इसे ठीक करने के लिए गहन प्रयास किए गए। विशेष प्रयासों से विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूहों (पीवीटीजी) के 100% नामांकन में मदद मिली। कड़ी जांच और घर-घर जांच के साथ नामावलियों को साफ करने के प्रयासों से 1.65 करोड़ मृत, स्थायी रूप से स्थानांतरित और डुप्लिकेट मतदाताओं का नाम हटा दिया गया है।
गमनीय पहलू है कि भारत की लगभग 70% आबादी की उम्र 65 साल से कम है। वहीं इनमें 15 से 20 के आयु वर्ग में लगभग 25 करोड़ आबादी के साथ भारत इस समय विश्व का सबसे युवा देश बन चुका है। ऐसे में आज जब देश के चुनावों में युवा मतदाताओं की भागीदारी बढ़ रही है, तो इससे न केवल भारत के स्वर्णिम भविष्य के प्रति आशावान हुआ जा सकता है, अपितु भारतीय लोकतंत्र के लिए भी इसे एक शुभ संकेत के रूप में देखा जा सकता है। शानदार भारत को हार्दिक बधाई।
(शब्द 500 )
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