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आज का संस्करण

नई दिल्ली, 19 दिसंबर 2023

 

सूखे पत्ते

सूखे पत्तों की तरह

बिखरे हुए थे हम।

किसी ने समेटा भी

तो  सिर्फ जलाने के लिए !

 

अनूप श्रीवास्तव

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