नवंबर 20 को महाराष्ट्र में होने वाले विधानसभा चुनाव न केवल राज्य के लिए बल्कि पूरे देश के राजनीतिक परिदृश्य के लिए भी महत्वपूर्ण हैं। इस चुनाव के माध्यम से महाराष्ट्र की जनता न केवल अपने राज्य के भविष्य का निर्णय करेगी, बल्कि यह संकेत भी देगी कि भविष्य में देश के अन्य राज्यों में जनता की सोच और मतदान की प्रवृत्ति किस दिशा में जा सकती है। इस बार के चुनावों में कई मुद्दे हैं जो राज्य की राजनीतिक दिशा और भविष्य पर असर डाल सकते हैं। साथ ही, इस चुनाव में कई बड़ी राजनीतिक हस्तियों और पार्टियों की प्रतिष्ठा दांव पर है।
महाराष्ट्र आज राजनीतिक चर्चा के केंद्र में है। अन्य राज्यों में उपचुनावों, और आरएसएस-भाजपा के बीच तकरार जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों के बीच महाराष्ट्र कई राजनीतिक पर्यवेक्षकों का ध्यान आकर्षित कर रहा है।
हाल ही में संपन्न लोकसभा चुनावों के दौरान कहा जा रहा था कि महाराष्ट्र का विशेष महत्व है, क्योंकि यह यूपी के बाद सबसे अधिक लोकसभा सीटें भेजता है और इस प्रकार बीजेपी की सत्ता में वापसी के लिए इसकी अहम भूमिका है। महाराष्ट्र ने वास्तव में बीजेपी को पूर्ण बहुमत से वंचित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
लेख एक नज़र में
नवंबर 20 को महाराष्ट्र में होने वाले विधानसभा चुनाव न केवल राज्य के लिए, बल्कि पूरे देश के राजनीतिक परिदृश्य के लिए महत्वपूर्ण हैं। ये चुनाव जनता के भविष्य के निर्णय के साथ-साथ अन्य राज्यों में मतदान की प्रवृत्ति को भी प्रभावित करेंगे। इस बार कई मुद्दे हैं, जिनका असर राज्य की राजनीतिक दिशा पर पड़ेगा। महाराष्ट्र में राजनीतिक चर्चा का केंद्र बन गया है, जहां बीजेपी और विपक्ष आमने-सामने हैं। मोदी-शाह की रणनीतियों की सफलता या असफलता अन्य राज्यों में भाजपा की संभावनाओं को प्रभावित कर सकती है।
सत्तारूढ़ गठबंधन के नेता शिंदे और अजित पवार को शरद पवार और उद्धव ठाकरे जैसे लोकप्रिय नेताओं का सामना करना है। चुनाव यह तय करेगा कि जनता स्थानीय मुद्दों को प्राथमिकता देती है या राष्ट्रीय राजनीति के रुझानों को। इस चुनाव के परिणाम आगामी लोकसभा चुनावों पर भी गहरा असर डाल सकते हैं।
महाराष्ट्र में राजनीतिक चर्चा का प्रमुख कारण यह भी है कि यह एक निर्णायक अखाड़ा बन गया है जहाँ गुजरात लॉबी और विपक्ष आमने-सामने हैं। यदि मोदी-शाह की रणनीति महाराष्ट्र में सफल नहीं होती, तो यह विधानसभा चुनाव अन्य राज्यों में भाजपा की संभावनाओं को भी कमजोर कर सकता है।
पिछले वर्षों में मोदी-शाह की जोड़ी ने कई राज्यों में चुनी हुई सरकारों को जोड़-तोड़ से बेदखल किया है। महाराष्ट्र में भी उन्होंने शिवसेना और एनसीपी जैसी स्थापित पार्टियों को विभाजित करके सत्ता परिवर्तन किया। लेकिन अब ऐसा प्रतीत हो रहा है कि महाराष्ट्र में जनता उनके इस तरीके को समर्थन देने के मूड में नहीं है।
सवाल उठता है कि क्या सत्तारूढ़ गठबंधन - जिसमें एकनाथ शिंदे और अजित पवार जैसे नेता शामिल हैं - शरद पवार और उद्धव ठाकरे जैसे नेताओं का प्रभाव रोकने में सफल हो पाएंगे, जो जनता के बीच अपनी लोकप्रियता बनाए हुए हैं।
जहाँ सभी आवश्यक साधन (विधायकों का बहुमत, केंद्र सरकार का समर्थन, चुनाव आयोग का सहयोग और मीडिया की सहानुभूति) शिंदे और अजित पवार के पक्ष में हैं, वहीं जनता के समर्थन के मामले में वे पिछड़ते हुए नजर आ रहे हैं। उनके द्वारा अपनी पार्टियों को विभाजित करने और शीर्ष नेताओं पर सवाल उठाने का जनता में सकारात्मक असर नहीं दिख रहा है।
उनकी असफलता का एक कारण यह भी है कि वे भारतीय मतदाताओं की मानसिकता को पूरी तरह नहीं समझ पाए हैं। एक औसत भारतीय मतदाता अपने चुने हुए नेताओं के प्रति गहरी वफादारी रखता है, चाहे वे कमजोर हों या मजबूत। यही कारण है कि शरद पवार और उद्धव ठाकरे के समर्थक उनके साथ बने हुए हैं।
हमारे राजनीतिक इतिहास में यह देखा गया है कि जब कोई नेता अपनी पार्टी से विद्रोह करता है और अलग राह चुनता है, तो जनता का झुकाव उस विद्रोही नेता की बजाय पार्टी के प्रति ही रहता है। महाराष्ट्र के हालात भी कुछ ऐसे ही हैं, जहाँ शिंदे और अजित पवार के पास जनता का वैसा समर्थन नहीं है जैसा शरद पवार और उद्धव ठाकरे के पास है।
महाराष्ट्र चुनाव इस बात का संकेत देगा कि जनता स्थानीय मुद्दों को तवज्जो देती है या राष्ट्रीय राजनीति के रुझानों को। यह चुनाव महाराष्ट्र के राजनीतिक परिदृश्य को तो प्रभावित करेगा ही, बल्कि राष्ट्रीय राजनीति में भी इसके दूरगामी परिणाम हो सकते हैं। यदि बीजेपी-शिंदे गुट जीतता है, तो इसका सीधा असर आगामी लोकसभा चुनावों पर पड़ेगा। वहीं, अगर एमवीए को सफलता मिलती है, तो इससे विपक्ष को एक नई ऊर्जा मिल सकती है और भाजपा को एक मजबूत चुनौती दी जा सकती है।
महाराष्ट्र का यह चुनाव न केवल राज्य की दिशा तय करेगा, बल्कि यह भी स्पष्ट करेगा कि आने वाले समय में जनता का मूड कैसा रहने वाला है।
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लेखक एक वरिष्ठ पत्रकार और मीडिया गुरु हैं
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