दारा सिंह, भारत के महान पहलवान और फिल्म अभिनेता, की पुण्यतिथि पर हम उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं। उनका जीवन संघर्ष, सफलता और सम्मान की एक मिसाल है। 12 जुलाई 2012 को इस महान व्यक्तित्व ने दुनिया को अलविदा कहा, लेकिन उनके द्वारा छोड़ी गई यादें आज भी हमारे दिलों में जीवित है।
दारा सिंह का जन्म 19 नवंबर 1928 को पंजाब के अमृतसर जिले के धरमूचक गाँव में हुआ था। उनका असली नाम देनदार सिंह रंधावा था। बचपन से ही उन्हें कुश्ती का शौक था और उन्होंने इस क्षेत्र में अपना करियर बनाने का संकल्प लिया। वह मात्र 19 साल की उम्र में सिंगापुर चले गए जहाँ उन्होंने पेशेवर कुश्ती की शुरुआत की। उन्होंने दुनिया भर में कुश्ती मुकाबलों में हिस्सा लिया और अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया।
1959 में दारा सिंह ने 'कॉमनवेल्थ वर्ल्ड चैम्पियनशिप' जीती। इस जीत ने उन्हें अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाई और वह भारत के पहले 'रस्टम-ए-हिंद' बने। उन्होंने अपने करियर में 500 से अधिक मुकाबले लड़े और सभी में विजय प्राप्त की।
दारा सिंह का फिल्मों की दुनिया में कदम रखना भी उनके कुश्ती करियर की तरह ही अद्वितीय था। 1952 में उन्होंने अपने फिल्मी करियर की शुरुआत की। उनकी पहली फिल्म 'संगदिल' थी। इसके बाद उन्होंने कई सफल फिल्मों में काम किया। उनकी प्रमुख फिल्मों में 'किंग कॉन्ग', 'फौलाद', 'सिकंदर-ए-आजम', 'रामायण' और 'महाभारत' शामिल हैं।
रामानंद सागर की 'रामायण' में हनुमान का किरदार निभाकर दारा सिंह ने एक अमर छवि बनाई। उनका यह किरदार इतना प्रभावशाली था कि लोग उन्हें आज भी हनुमान के रूप में याद करते हैं।
दारा सिंह का व्यक्तिगत जीवन भी उतना ही प्रेरणादायक था जितना उनका पेशेवर जीवन। वह एक सच्चे पारिवारिक व्यक्ति थे। उनकी पत्नी सुरजीत कौर के साथ उनका विवाह 1961 में हुआ। उनके पांच बच्चे हैं - तीन पुत्र और दो पुत्रियाँ।
दारा सिंह सिर्फ एक पहलवान और अभिनेता ही नहीं थे, बल्कि समाज सेवा में भी उनका योगदान महत्वपूर्ण था। उन्होंने अपने गाँव में शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं को बढ़ावा देने के लिए कई कार्य किए। उनके योगदान को देखते हुए उन्हें 2003 में राज्यसभा सदस्य भी बनाया गया।
12 जुलाई 2012 को दारा सिंह का निधन हो गया। उनके निधन से पूरा देश शोक में डूब गया। उनके निधन के बाद, उनके सम्मान में कई श्रद्धांजलि कार्यक्रम आयोजित किए गए और उनकी याद में कई संस्थाएँ स्थापित की गईं।
दारा सिंह का जीवन संघर्ष और सफलता की अनोखी कहानी है। उन्होंने अपने संघर्ष और मेहनत से कुश्ती और फिल्मों दोनों में अपनी एक अलग पहचान बनाई। उनकी जीवन यात्रा हमें यह सिखाती है कि सच्ची मेहनत और समर्पण से हम किसी भी क्षेत्र में सफलता प्राप्त कर सकते हैं। आज उनकी पुण्यतिथि पर हम उन्हें नमन करते हैं और उनकी यादों को संजोते हुए उनके जीवन से प्रेरणा लेते हैं।
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