अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में मुकाबला इस बार बेहद नजदीकी और रोमांचक है। इसका मुख्य कारण है वहां का इलेक्टोरल कॉलेज सिस्टम, जिसमें चुनाव के परिणाम सीधे तौर पर जनता के वोट से नहीं, बल्कि राज्यों द्वारा चुने गए इलेक्टर्स के वोट से तय होते हैं। इस चुनाव में 7 महत्वपूर्ण राज्यों का मतदान निर्णायक साबित हो सकता है, क्योंकि इन राज्यों में दोनों उम्मीदवारों के बीच मुकाबला बेहद करीबी है।
फिलहाल, कमला हैरिस के पास 229 पक्के वोट हैं, जबकि डोनाल्ड ट्रंप के पास 216 वोट हैं। राष्ट्रपति बनने के लिए 270 वोटों की जरूरत है, इसलिए दोनों ही उम्मीदवारों के लिए हर वोट की कीमत बहुत ज्यादा है। यह संभव है कि कमला हैरिस लोकप्रिय वोट में बढ़त हासिल कर लें, लेकिन इससे उनकी जीत की गारंटी नहीं बनती। अगर कमला हैरिस पेन्सिलवेनिया (PA), विस्कॉन्सिन, मिशिगन और नॉर्थ कैरोलाइना (NC) में जीत हासिल करती हैं, तो उनकी जीत लगभग तय मानी जा सकती है। दूसरी ओर, अगर ट्रंप नॉर्थ कैरोलाइना (NC), एरिज़ोना (AZ) और पेन्सिलवेनिया (PA) में जीतते हैं, तो उनके लिए भी राष्ट्रपति बनने का रास्ता खुल सकता है।
इस चुनाव के तीन प्रमुख मुद्दे हैं:
लेख एक नज़र में
इस बार का अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव बेहद रोमांचक और नजदीकी है, जो इलेक्टोरल कॉलेज सिस्टम के कारण है। कमला हैरिस के पास 229 और डोनाल्ड ट्रंप के पास 216 पक्के वोट हैं, जबकि जीत के लिए 270 वोट चाहिए। महत्वपूर्ण राज्यों जैसे पेन्सिलवेनिया, विस्कॉन्सिन, और नॉर्थ कैरोलाइना में जीत किसी भी उम्मीदवार की जीत को सुनिश्चित कर सकती है।
चुनाव के तीन मुख्य मुद्दे हैं:
अर्थव्यवस्था: ट्रंप को इस मुद्दे पर अधिक समर्थन मिल रहा है।
आव्रजन: ट्रंप की नीतियों को समर्थक बेहतर मानते हैं।
प्रजनन अधिकार: हैरिस को युवा और महिलाओं में ज्यादा समर्थन प्राप्त है।
चुनाव के नतीजे नवंबर में आएंगे, और कई विशेषज्ञ मानते हैं कि पेन्सिलवेनिया और नॉर्थ कैरोलाइना के परिणाम निर्णायक होंगे। चुनाव में लैटिनो वोट का रुझान भी महत्वपूर्ण है। यदि हैरिस जीतती हैं, तो यह अमेरिका के लिए एक ऐतिहासिक क्षण होगा।
1. अर्थव्यवस्था: अर्थव्यवस्था को लेकर डोनाल्ड ट्रंप का पलड़ा भारी माना जा रहा है और इस मुद्दे पर उन्हें जनता का व्यापक समर्थन मिलता दिख रहा है।
2. आव्रजन: आव्रजन के मुद्दे पर भी ट्रंप की स्थिति मजबूत है। उनकी नीतियों को लेकर उनके समर्थक उन्हें बेहतर मानते हैं।
3. प्रजनन अधिकार: इस मुद्दे पर कमला हैरिस को जनता का ज्यादा समर्थन मिल रहा है, खासकर युवा और महिलाओं के बीच।
प्रारंभिक मतदान में इस बार जनता की भागीदारी काफी बढ़ी है, लेकिन अंतिम नतीजों के लिए हमें नवंबर के मध्य तक इंतजार करना पड़ सकता है। कई विशेषज्ञों का मानना है कि पेन्सिलवेनिया और नॉर्थ कैरोलाइना के परिणाम इस चुनाव के विजेता को निर्धारित करेंगे। वहीं, ट्रंप के समर्थक मानते हैं कि अगर वह एरिज़ोना, न्यू मैक्सिको और जॉर्जिया में जीत दर्ज करते हैं, तो उनकी स्थिति मजबूत हो जाएगी।
कुछ लोगों ने चुनावी सर्वेक्षणों के बिना भी नतीजों की सटीक भविष्यवाणी की है। उनका मानना है कि इस बार कमला हैरिस जीत सकती हैं। इतिहासकार एलन लिक्टमैन, जो 13 संकेतकों के आधार पर चुनाव की भविष्यवाणी करते हैं, का भी कहना है कि इस बार कमला हैरिस के जीतने की संभावना ज्यादा है। वे अब तक अपनी हर भविष्यवाणी में सही साबित हुए हैं। हालांकि, कई मीडिया संस्थानों का मानना है कि ट्रंप के पास भी एक मजबूत मौका है, और इस बार की लड़ाई को पूरी तरह से नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
अब जब चुनाव में तीन सप्ताह भी नहीं बचे हैं, तो मतदाता भी सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं। कई लोग "हैरिस के लिए हाउस पार्टियों" का आयोजन कर रहे हैं और विश्वविद्यालयों में मतदाता पंजीकरण अभियानों का समर्थन कर रहे हैं। हालांकि, कॉलेज के छात्रों के बीच अभी भी अनिर्णय की स्थिति है, और उनमें से कई मतदान के प्रति बहुत उत्साहित नहीं दिख रहे हैं। इसी तरह, जिन लोगों के पास कॉलेज की डिग्री नहीं है, उनमें भी चुनावी उत्साह की कमी देखने को मिल रही है।
इस चुनाव में एक महत्वपूर्ण पहलू लैटिनो वोट का ट्रंप की ओर रुझान है। अगर यह रुझान जारी रहता है, तो यह ट्रंप के लिए एक बड़ी बढ़त साबित हो सकता है। चुनावी मानचित्र पर हल्के भूरे रंग से चिह्नित राज्यों को 'बटलग्राउंड स्टेट्स' कहा जा रहा है, क्योंकि इन राज्यों के परिणाम ही इस चुनाव की दिशा तय करेंगे। नीले रंग वाले राज्य वे हैं, जहां कमला हैरिस के जीतने की उम्मीद है, जबकि लाल रंग वाले राज्य ट्रंप की ओर झुकते दिख रहे हैं।
अगर कमला हैरिस इस चुनाव में जीतती हैं, तो यह अमेरिका के इतिहास में एक महत्वपूर्ण घटना होगी। वह पहली अश्वेत अप्रवासी महिला राष्ट्रपति बनेंगी, जो न केवल अमेरिका की राजनीति में बल्कि समाज में भी एक महत्वपूर्ण बदलाव का प्रतीक होगी। दूसरी ओर, अगर ट्रंप जीतते हैं, तो यह उनकी नीतियों के प्रति जनता के विश्वास का संकेत होगा।
जैसे-जैसे चुनाव का दिन नजदीक आ रहा है, दोनों उम्मीदवार अपनी रणनीतियों को अंतिम रूप देने में लगे हैं। पूरे देश और दुनिया की नजरें इन नतीजों पर टिकी हुई हैं, और यह देखना दिलचस्प होगा कि ऊंट किस करवट बैठेगा। इस समय अमेरिका ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया में इस चुनाव के परिणाम को लेकर उत्सुकता है, क्योंकि इसका प्रभाव केवल अमेरिका तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि वैश्विक राजनीति पर भी इसका असर होगा।
---------------
लेखिका अमेरिका की जेम्स मैडिसन यूनिवर्सिटी में एसोसिएट प्रोफेसर हैं।
We must explain to you how all seds this mistakens idea off denouncing pleasures and praising pain was born and I will give you a completed accounts..
Contact Us