राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के संस्थापक और प्रथम संयोजक जॉर्ज फर्नांडिस को उनकी इक्यानवीं जयंती 3 जून 2024 पर राजग नेता नरेंद्र दामोदरदास मोदी ने श्रेष्ठतम उपहार भेंट किया है। राजग की उच्चतम संख्या में लोकसभाई सांसदों की जीत का संकेत दे कर। कारगिल सीमा पर से इस्लामी घुसपैठियों को खदेड़ने वाले रक्षा मंत्री की याद फिर गत माह आई थी। तब पूर्व पाकिस्तानी प्रधानमंत्री ने स्वीकारा था कि सेनापति जनरल परवेज मुशर्रफ की जानी-समझी साजिश थी कि लाहौर की संधि को भंग कर दिया जाए। अटल बिहारी वाजपेई और नवाज़ शरीफ़ ने इस पर हस्ताक्षर (21 फरवरी 1999) किए थे। दोनों देश की संसदों ने इसका अनुमोदन भी किया था।
जब गुजरात के दंगों (28 फरवरी 2002) की शुरुआत गोधरा से हुई थी। तब मोदी का बचाव लोकसभा में मुस्तैदी से जॉर्ज फर्नांडिस ने किया था। हालांकि प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई ने मोदी को राजधर्म की सीख दी थी। मुख्य मंत्री को हटाने की मांग भी उन्होंने की थी। लालकृष्ण आडवाणी के कारण मोदी बच गए। जॉर्ज ने संसद में मोदी का पक्ष लिया। मोदी को यह याद रहा।
लेख एक नज़र में
राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के संस्थापक जॉर्ज फर्नांडिस की 101वीं जयंती पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें श्रेष्ठतम उपहार भेंट किया। मोदी ने जॉर्ज का बचाव लोकसभा में किया था जब गुजरात दंगों के दौरान मोदी की आलोचना हो रही थी।
जॉर्ज ने मोदी का पक्ष लिया था और मोदी ने यह याद रखा। मोदी ने जॉर्ज को लोकनायक जयप्रकाश नारायण की 110वीं जयंती पर भी याद किया था। मोदी ने जॉर्ज के साथ अपने संबंधों का उल्लेख किया और कहा कि वे उनके संकटत्रस्त तथा दुखद काल के सुहृद रहे।
[[[[[[[[[[[[[[[[[[[[[
लोकनायक जयप्रकाश नारायण के 110वीं जयंती पर (11 अक्टूबर 2014) को नई दिल्ली के विज्ञान भवन में मोदी ने जॉर्ज को स्नेहिल तरीके से याद किया था मोदी ने। पद्म विभूषण का प्रस्ताव आया था। लोकतंत्र प्रहरी के रूप में तभी मुझे भी सम्मानित किया था। मेरे लिए मोदी के शब्द थे : "मैं विक्रम को कई वर्षों से जानता हूं। आपातकाल में विक्रम पर बहुत जुल्म हुआ। बहुत अत्याचार हुआ। सिर्फ इसलिए की विक्रम एक पत्रकार था। एक लेबर लीडर था।"
इस जलसे की अध्यक्षता काबीना मंत्री एम. वेंकय्या नायडू कर रहे थे। वहां मेरे साथ लोकतंत्र प्रहरी के रूप में कल्याण सिंह भी मंचासीन थे।
नरेंद्र मोदी मेरे संकटत्रस्त तथा दुखद काल के सुहृद रहे। इसीलिए ज्यादा भले लगते हैं। वर्ना इस वक्त तो प्रधानमंत्री के करोड़ों मित्र और समर्थक होंगे। बात मई 1976 की है। मोदीजी तब राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कर्मठ कार्यकर्ता थे, तरुणाई में थे, आयु 26 वर्ष रही होगी। मोदीजी ने श्रोताओं को गांधीनगर के अमीन स्कूल सभागार में 2 जनवरी 2002 के दिन गुजरात जर्नलिस्ट यूनियन के सम्मेलन में अध्यक्षता कर रहे मेरे बारे में कहा था कि : "जब बडौदा सेंट्रल जेल में विक्रम राव तन्हा कोठरी में नजरबंद था तो उन्होंने जेलर से अखबार देने की विनती की थी। पत्रकार को समाचारपत्र न मिले जैसे जल बिन मछली ! फिर चंद दिनों बाद मुझे अखबार मिलने लगे। जेलर ने बाद में बताया कि एक स्वयंसेवक दे जाता था। वे मुझे समाचारपत्र भिजवा दिया करते थे। देने वाले युवा का नाम था नरेंद्र मोदी।
---------------
We must explain to you how all seds this mistakens idea off denouncing pleasures and praising pain was born and I will give you a completed accounts..
Contact Us