( अक्टूबर का महीना महात्मा गाँधी की जयंती और लाल बहादुर शास्त्री जन्मदिवस के कारण हम सब के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। मीडिया मैप न्यूज़ पर हम इस माह हमारे राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी और शास्त्री पर अच्छे लेख प्रकाशित करते रहेंगे। यह लेख मीडिया मैप के संवादाता प्रशांत गौतम को दिए गए साक्षात्कार पर आधारित है – संपादक )
शास्त्री जी, मेरे बाबूजी, उनकी ईमानदारी, सरलता और सादगी आज भी लोगों के दिलों में बसी है। यही कारण है कि आज भी उनके प्रति लोगों का अटूट प्यार है। उन्हें देखकर लोगों को यह महसूस होता था कि वह किसी बड़े नेता से नहीं, बल्कि अपने ही बीच के एक साधारण व्यक्ति से मिल रहे हैं। शास्त्री जी की यही विनम्रता उन्हें जनता के दिलों में खास स्थान दिलाती थी। लोगों को लगता था कि वह हमारे ही बीच के एक आदमी हैं, जो आज देश की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं।
मुझे वह घटना आज भी याद है जब देश में अनाज की कमी थी, और लोग चिंता में थे कि आगे क्या होगा। उस कठिन समय में भी शास्त्री जी ने अपने नेतृत्व और सादगी से देश को दिशा दिखाई।लेकिन बाबूजी ने उस समय 'जय जवान, जय किसान' के नारे को देखते हुए देश के किसानों और जवानों को एक महत्वपूर्ण संदेश दिया। जवानों से उनका मतलब सिर्फ सेना से नहीं था, बल्कि युवा पीढ़ी से भी था। उनके मन में यह विश्वास था कि देश को सही दिशा में आगे ले जाने का काम युवा ही करेंगे। यही वजह थी कि वह युवा पीढ़ी पर पूरा विश्वास करते थे।
उन्होंने एक बार मुझसे कहा था, और मुझे आज भी याद है, जब मैं बाबूजी की टेबल पर लिखा हुआ एक आदर्श वाक्य देखता था, तो मन में बार-बार यह विचार आता था कि क्यों न मैं बाबूजी से पूछूं कि मैं अपने जीवन का आदर्श वाक्य क्या बनाऊं? शास्त्री जी ने गुरु नानक जी का वाक्य रखा था – "नानक नन्ने ही रहो, जैसे नन्ही दूब। बड़े-बड़े बही जात हैं, दूब खूब की खूब।" यह वाक्य दिल को छू लेने वाला था। इसके बगल में बाबूजी ने इसका अंग्रेजी अनुवाद भी लिखा था – "Remain a small one, as smaller grass, and other plants will stay away." मैं इस वाक्य से बहुत आकर्षित होता था, पर पूरी तरह उसका अर्थ समझ नहीं पाता था। एक दिन मैंने बाबूजी का हाथ पकड़ लिया और कहा, "बाबूजी, आज आप दफ्तर नहीं जा सकते, मुझे इन पंक्तियों का अर्थ बताना ही पड़ेगा।"
लेख एक नज़र में
लाल बहादुर शास्त्री जी की ईमानदारी, सरलता और सादगी आज भी लोगों के दिलों में बसी है। उनके नेतृत्व और सादगी ने देश को दिशा दिखाई।
'जय जवान, जय किसान' के नारे ने देश के किसानों और जवानों को एक महत्वपूर्ण संदेश दिया। शास्त्री जी ने हमेशा सिखाया कि सच्चे नेता वही हैं, जो अपने लोगों की भलाई के लिए प्रतिबद्ध हों।
उनकी सच्चाई और सेवा का जज्बा उन्हें महान बनाता है। आज भी लोग उन्हें सम्मान के साथ याद करते हैं। उनकी दृष्टि और विचार हमें सिखाते हैं कि सच्चे नेता वही हैं, जो अपने लोगों की भलाई के लिए प्रतिबद्ध हों।
बाबूजी ने कहा, "सुनील, मेरी मीटिंग है, जाना होगा। बाद में बात करेंगे।" मैंने कहा, "हर बार मीटिंग, हर दिन मीटिंग। आपका बेटा कब तक इंतजार करेगा? बस एक बार बता दीजिए।" तभी उन्होंने मेरे कंधे पर हाथ रखा और प्यार से कहा, "देखो, नन्हे पौधे की तरह बनो। धूप कितनी भी तेज़ हो, वो हमेशा हरा रहता है। मैंने कभी सुंदर फूल बनने की कोशिश नहीं की, क्योंकि फूल तो आकर्षित करता है, लेकिन उसकी खुशबू कुछ समय की होती है। असली सेवा उस पौधे की है जो सालों तक हरा रहता है, जैसे हमें अपने देश की सेवा में हर दिन खड़ा रहना चाहिए।"
बाबूजी ने जब यह बात कही, तो मैं बेहद प्रभावित हो गया और उनसे कहा, "बाबूजी, आपने कितनी अद्भुत पंक्तियाँ अपने जीवन का लक्ष्य बना लीं, और इसी के कारण आज आपने देश में हरियाली फैला दी। आपने 'जय जवान, जय किसान' का नारा दिया, जो आज भी लोगों को प्रेरित करता है।" बाबूजी ने मुस्कुराते हुए कहा, "हाँ, क्योंकि मेरा सपना था कि देश में हर जगह हरियाली हो, लोग किसानी करें, कुछ न कुछ उगाएं, सिर्फ चावल ही नहीं, बल्कि फल, सब्जियाँ और अनाज भी।
जब देश हरा-भरा होगा, तभी उसकी समृद्धि टिकाऊ होगी। यही सोचकर मैंने 'जय जवान, जय किसान' का नारा अपनाया।" तब मैंने एकदम दूसरा सवाल किया, "तो मेरे लिए आप क्या संदेश देंगे?"
जब मैंने बाबूजी से पूछा, "मैं किस आदर्श पर चलने की कोशिश करूँ?" तो उन्होंने गंभीरता से कहा, "तुमने बहुत बड़ा सवाल पूछा है, इसके उत्तर में समय लेगा।" फिर उन्होंने ताजमहल का उदाहरण देते हुए कहा, "दुनिया भर से लोग ताजमहल देखने आते हैं और कितने लोग ताजमहल देखने आते रहेंगे , लेकिन अगर एक दिन समय की मार से ताजमहल खंडहर में बदल जाए, तब क्या लोग उसके बुनियाद रखने वालों को याद करेंगे? नहीं। मैं उत्तर बाबूजी के आँखों की तरफ देख कर उसमें से ढूंढ रहा था। बाबूजी ने कहा असली बुनियाद वे नींव के पत्थर हैं जिनके ऊपर ताजमहल खड़ा हुआ है।" उन्होंने मुझे समझाया, "मैं चाहता हूँ कि तुम भी मजबूत नींव की तरह बनो, जिस पर भारत का भविष्य खड़ा हो सके। भारत का हर युवा एक नींव का पत्थर बने और मानवता की सेवा के लिए मजबूत नींव रखे। यही सच्चा आदर्श है।"
जब शास्त्री जी जैसे लाखों लोग होंगे, तभी हमारा देश सच्चाई और सादगी के रास्ते पर तेज़ी से आगे बढ़ेगा और हर काम को ईमानदारी से पूरा करेगा। तब देश का नाम पूरी दुनिया में चमकेगा। शास्त्री जी के समय में मुरारजी देसाई, इंदिरा गांधी, कामराज, जयप्रकाश नारायण जैसे कई बड़े नेता थे, लेकिन इन सभी के बीच शास्त्री जी का व्यक्तित्व सबसे अलग और प्रेरणादायक था। उनके भीतर ऐसी क्या खासियत थी जो उन्हें सबसे अलग बनाती थी? वह सादगी, ईमानदारी और कर्मठता की मिसाल थे, यही गुण उन्हें महान बनाते हैं।
जिन्होंने लाल बहादुर शास्त्री जी को उनकी ऊंचाई तक पहुंचाया, यह बात वाकई दिल को छू लेने वाला है। उस समय के हर नेता के दिल में गहरी देशभक्ति और लोगों के प्रति असीम प्रेम और सद्भावना थी। हर कोई देश का सही मार्गदर्शन करना चाहता था। लेकिन शास्त्री जी में कुछ विशेष था, जो उन्हें बाकी नेताओं से अलग बनाता था। मुझे याद है, जब जयप्रकाश नारायण जी घर आए थे, तो बाबूजी ने पहले से ही कह दिया था कि उनका पैर छूना। मुरारी भाई और डॉ. राजेंद्र प्रसाद के लिए भी ऐसा ही कहा गया था। शास्त्री जी ने हमेशा सिखाया कि कोई भी व्यक्ति अपने काम से बड़ा होता है, ना कि केवल अपने पद से। उनकी सादगी, ईमानदारी, और सेवा भावना ने उन्हें एक महान नेता बनाया। लोगों को उन पर भरोसा था कि जो भी काम शास्त्री जी करेंगे, वह देशहित में होगा। शास्त्री जी के कार्यों ने उन्हें एक विश्वसनीय नेता के रूप में स्थापित किया, और यही कारण है कि आज भी लोग उन्हें सम्मान के साथ याद करते हैं। उनकी सच्चाई और सेवा का जज्बा उन्हें महान बनाता है।
एक बड़े नेता ने कहा था कि, वह भी एक बड़े नेता हैं, और हम भी बड़े नेता हैं। दोनों कैबिनेट मंत्री हैं, लेकिन फिर भी एक स्पष्ट अंतर है। इस फर्क को समझना आवश्यक है। जब मैं लाल बहादुर शास्त्री जी की बात करता हूँ, तो मैं उनके व्यक्तित्व की दिव्यता को महसूस करता हूँ। जहा तक मेरा सवाल है मैं एक पुरुष हूँ और शास्त्री जी एक देव पुरुष है, जिनकी कार्यशैली और दृष्टिकोण में गहराई थी।
मुझे याद है, एक पब्लिक मीटिंग में जब शास्त्री जी का नाम लिया गया, तो लोगों की भीड़ में उनकी महानता के प्रति गहरी आस्था और उत्साह देखा गया। उस समय उन नेता ने कहा कि हमारे और शास्त्री जी के बीच क्या फर्क है। यह सही है कि उनके कार्य करने का तरीका अनोखा था, जो उन्हें अन्य नेताओं से अलग बनाता था।
जहां तक मेरा सवाल है, मैं एक पुरुष हूँ, लेकिन शास्त्री जी एक शास्त्री जी एक देव पुरुष, ऐसी शख्सियत थे जिनका नेतृत्व और प्रेरणा आज भी हमारे लिए मार्गदर्शन करती है। उनकी दृष्टि और विचार हमें सिखाते हैं कि सच्चे नेता वही हैं, जो अपने लोगों की भलाई के लिए प्रतिबद्ध हों।
अगर शास्त्री जी आज जीवित होते, तो वे अपनी राजनीति के बारे में क्या विचार रखते और राज्य के नेताओं को क्या मार्गदर्शन देते, यह एक महत्वपूर्ण और गहरा सवाल है। मैं अपने आप को इस लायक नहीं समझता कि मैं बाबूजी की भावनाओं को सही तरीके से व्यक्त कर सकूं, लेकिन एक साधारण व्यक्ति और उनके पुत्र होने के नाते मैंने उनके विचारों को बहुत करीब से देखा है।
जब मैं 16-17 साल का था, तो मैंने बाबूजी से प्रेरणा ली। मुझे याद है, जब मैं बड़ा होना चाहता था, डॉक्टर बनने का सपना देखता था। उनकी सादगी और समर्पण ने मुझे हमेशा प्रेरित किया। जब भी वे किसी बच्चे की तबीयत के बारे में सुनते, तो तुरंत उनकी मदद के लिए आगे बढ़ते।
बाबूजी ने हमें हमेशा सच बोलने की सीख दी। वे कहते थे कि एक झूठ बोलने से हजारों झूठों का जाल बुनना पड़ता है, लेकिन एक सच को बनाए रखना आसान होता है।
यदि बाबूजी आज होते, तो वे लोगों को समझाते कि सच्चाई और सेवा के मार्ग पर चलकर ही हम एक बेहतर समाज का निर्माण कर सकते हैं।
---------------
We must explain to you how all seds this mistakens idea off denouncing pleasures and praising pain was born and I will give you a completed accounts..
Contact Us