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के. विक्रम राव

A person wearing glasses and a red shirt

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नई दिल्ली | बुधवार | 20 नवम्बर 2024

     अमरीका में बसे हर भारतीय मूल के लोगों की बाँछें खिल गई होंगी जब डोनाल्ड ट्रंप ने हिंदू मूल की अमरीकी राजनयिक तुलसी गबार्ड को राष्ट्रीय खुफिया निदेशिका नामित किया है। वह अपनी नई भूमिका में 18 खुफिया एजेंसियों के समन्वय की देखरेख करेंगी। इसमें अतिबलशाली सीआईए भी शामिल है। तुलसी एक वैष्णव दंपत्ति की संतान हैं। वृंदावन के इस्कॉन की सदस्या हैं। उनकी छोटी बहन का नाम ही वृन्दावन है। भारतीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस चार बार सांसद और अमरीका थलसेना में कर्नल रहीं कमला को बधाई दी।

      ट्रंप द्वारा डेमोक्रेटिक पार्टी की पूर्व सदस्य तुलसी गबार्ड को निदेशिका बनाने का फैसला करने के पूर्व वे 2020 में राष्ट्रपति पद के चुनाव के लिए वह उम्मीदवार भी थीं। गबार्ड के पास पश्चिम एशिया और अफ्रीका के संघर्षग्रस्त क्षेत्रों में तीन बार तैनाती का अनुभव है। वह हाल ही में डेमोक्रेटिक पार्टी को छोड़कर रिपब्लिकन पार्टी में शामिल हुई थीं। तुलसी गबार्ड ने यूक्रेन पर हमले को लेकर रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की बातों को दोहराया है। डेमोक्रेटिक पार्टी 2022 में छोड़ने वाली 43 साल के व्यक्ति तुलसी गबार्ड ने  यूक्रेन के समर्थन के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन की आलोचना भी की है। उन्होंने पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा के तहत सीरिया के गृह युद्ध में अमेरिकी सैन्य हस्तक्षेप के खिलाफ भी बात की और 2017 में मॉस्को समर्थित सीरियाई राष्ट्रपति बशर अल-असद से मुलाकात की, जिनके साथ वॉशिंगटन ने 2012 में सभी राजनयिक संबंध तोड़ दिए।

 

लेख एक नज़र में
डोनाल्ड ट्रंप ने भारतीय मूल की अमेरिकी राजनयिक तुलसी गबार्ड को राष्ट्रीय खुफिया निदेशिका नामित किया है, जिससे अमेरिका में बसे भारतीयों में खुशी की लहर है। तुलसी, जो एक वैष्णव परिवार से हैं और इस्कॉन की सदस्य हैं, 18 खुफिया एजेंसियों का समन्वय करेंगी, जिसमें सीआईए भी शामिल है।
वह चार बार सांसद रह चुकी हैं और अमेरिकी सेना में कर्नल की भूमिका निभा चुकी हैं। तुलसी ने हाल ही में डेमोक्रेटिक पार्टी छोड़कर रिपब्लिकन पार्टी में शामिल होने का फैसला किया। वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की समर्थक रही हैं और उनके स्वच्छता अभियान का समर्थन भी किया है।
तुलसी का अनुभव और भारत के प्रति उनकी निष्ठा उन्हें इस नई भूमिका में महत्वपूर्ण बनाते हैं, जिससे भारत और अमेरिका के संबंधों को और मजबूत करने की उम्मीद है।

      तुलसी बाइस वर्षों से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का समर्थन करती रही हैं। जब अमेरिकी सरकार ने साल 2002 के गुजरात दंगों में कथित भूमिका की वजह से तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को वीज़ा देने से मना कर दिया था तो तुलसी उन चुनिंदा नेताओं में शामिल थीं जिन्होंने सरकार के इस फ़ैसले की आलोचना की थी। मोदी को यह याद रहा।

       इतना ही नहीं तुलसी ने एक स्कूल में झाड़ू लगाकर मोदी के स्वच्छता अभियान का समर्थन भी किया था। प्रधानमंत्री मोदी जब योग को वैश्विक पटल पर लाने के लिए कोशिश कर रहे थे तब तुलसी ने इस मुहिम का जमकर समर्थन किया था। सितंबर 2014 में जब प्रधानमंत्री मोदी से उनकी पहली मुलाक़ात हुई थी तो उन्होंने पीएम मोदी को उपहार के तौर पर भगवत गीता दी थी। अर्थात मोदी की यह भक्तिन अमरीकी खुफिया को भारत के राष्ट्रीय हित में बनाने में मददगार रहेगी।

        कांग्रेस में अपने कार्यकाल के दौरान, गबार्ड मध्य पूर्व में इस्लामी आतंकवाद के खिलाफ अपने मजबूत रुख और सीरिया पर अपने विवादास्पद रुख के लिए जानी गईं । उन्होंने 2015 के आसपास अक्सर इस्लामी चरमपंथ को एक समस्या के रूप में करार न देने के लिए ओबामा प्रशासन की आलोचना की थी। उन्होंने 2013 से 2016 तक डेमोक्रेटिक नेशनल कमेटी के उपाध्यक्ष के रूप में कार्य किया, लेकिन फिर 2016 के डेमोक्रेटिक राष्ट्रपति पद के नामांकन के लिए बर्नी सैंडर्स का समर्थन करने के लिए इस पद से इस्तीफा दे दिया। गबार्ड ने 2017 में सीरिया के खिलाफ कुछ सैन्य कार्रवाइयों पर संदेह व्यक्त किया। अपने राष्ट्रपति चुनाव अभियान में, उन्होंने सैन्य हस्तक्षेप के व्यापक विरोध पर प्रकाश डाला, राष्ट्रपति पद की अपनी उम्मीदवारी छोड़ देने के बाद, उन्होंने मार्च 2020 में जो बिडेन का समर्थन किया था।

       तुलसी पहले बाइडेन के साथ रहीं मगर बाद में ट्रंप के "अमरीका को फिर महान बनाओ" (Maga-Make America Great Again) अभियान से जुड़ गईं।

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