जन्मदिन: May 5, 1818
आज का संस्करण
मार्क्सवाद के विरोद के कारण इतिहास की न समझी
नई दिल्ली, 7 मई 2024
कोई व्यक्ति मार्क्सवादी हो या न हो, वह मार्क्सवाद विरोधी तब होता है,जब इतिहास को मानने से इनकार करता है।
दर्शन के क्षेत्र में मार्क्स की तीन बातें अतुलनीय हैं।
- सबसे महान दार्शनिकों ने सबसे मामूली सवाल उठाए हैं। वे बुद्ध हो या मार्क्स। बड़े-बड़े सवाल उन प्रश्नों से जुड़कर हल होते हैं। बुद्ध की समस्या थी: दुःख क्या है, क्यों है, क्या उसका समाधान है? मार्क्स की समस्या थी कि निर्धनता क्या है, क्यों है, कैसे हल होगी? इसीलिए ऐसे दार्शनिक स्वप्नदर्शी होते हैं और उनकी सार्थकता खत्म नहीं होती।
- सभी महान दार्शनिक इतिहास को मूल्यवान मानते हैं; वे संसार को गतिशील और जीवन को परिवर्तनशील मानते हैं। बुद्ध का क्षणवाद हो मार्क्स का ऐतिहासिक भौतिकवाद, दोनों इतिहास की ही धारा में अपनी महत्ता पाते हैं। इतिहास अनन्त है इसलिए न बुद्ध अंतिम हैं, न मार्क्स। दोनों मनुष्य के लिए मूल्यवान हैँ और बने रहेंगे।
- मार्क्स का नयापन जिस बात में है, वह सर्वविदित है; खुद मार्क्स ने अपने दर्शन की भूमिका के बारे में कहा था कि सवाल दुनिया की सिर्फ व्याख्या करने का नहीं, दुनिया को बदलने का है।
जो बात सभी महान लोगों की तरह सभी महान दार्शनिकों में समान होती है वह है वह है उनमें विद्यमान करुणा। सभी महान सर्जक, सभी महान सुधारक, सभी महान क्रांतिकारी, सभी महान दार्शनिक उतने ही महान कारुणिक भी होते हैं।
आधुनिक संसार के महान दार्शनिक कार्ल मार्क्स का पुण्य स्मरण!
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