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आज का संस्करण

नई दिल्ली, 18 दिसंबर 2023

 

रास्ते

रास्ते कभी

बदला नहीं करते

केवल हम खुद को बदलते हैं

 

मंज़िलों को

 बदलने का नाम न लें!

 हम कुछ भी तो

 नहीं बदल पाते ,

 

 बार बार  क्या

, लगातार अपनों को

  ही छलते हैं !

 

हम कुछ भी,

नहीं बदल पाते-

न खुद को,

न किसी और को

 

वक्त सबको,

बदल जाता है.

सुप्रभात !

 

याद के बादल

 

तुम्हारी याद के बादल

वजह बेवजह यूँ ही

बरस जाते हैं

 

सोचता हूँ

कभी तो सुधरेंगे

इधर  घुमड़ेंगे,

तो उधर भी बरसेंगे.

 

-अनूप श्रीवास्तव

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