रास्ते कभी
बदला नहीं करते
केवल हम खुद को बदलते हैं
मंज़िलों को
बदलने का नाम न लें!
हम कुछ भी तो
नहीं बदल पाते ,
बार बार क्या
, लगातार अपनों को
ही छलते हैं !
हम कुछ भी,
नहीं बदल पाते-
न खुद को,
न किसी और को
वक्त सबको,
बदल जाता है.
सुप्रभात !
तुम्हारी याद के बादल
वजह बेवजह यूँ ही
बरस जाते हैं
सोचता हूँ
कभी तो सुधरेंगे
इधर घुमड़ेंगे,
तो उधर भी बरसेंगे.
-अनूप श्रीवास्तव
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