image

आज का संस्करण

नई दिल्ली, 21 मई 2024

 

बेसुध गगन/

 

यह वसंती भोर मुग्धा भूमि मनहर,

यह  खुमारों  से भरा  बेसुध  गगन.

राधिका के रक्तरंजित मुखमुकुर पर,

ज्यों झुके हों श्याम के मोहित नयन.

----------------

-अनूप श्रीवास्तव

 

  • Share: