नई दिल्ली, 22 मार्च 2024
फागुन में खिलते कमल, सबने देखा यार ,
पंजा खाली हाथ है, झाडू गयी बुहार।
झाडू गयी बुहार, धूल में सभी सने हैं
खट्टे हैं अंगूर कहीं पर, सख्त चने हैं।
फागुन लेकर आ गया, होली का त्योहार,
देखो फिर से सज गया फूलों का दरबार।
फूलों का दरबार, आपके हाथ लगा है-
बिजली पानी मुफ्त बांट दे, वही सगा है।
जनता ने ले लिया, देख लो बदला चुन-चुन
दसलखिया अब सूट उतारो, आया फागुन
फागुन में मस्ती चढ़ी मौसम हुआ गुलाल।
बदली-बदली लग रही देखो सबकी चाल।
देखो सबकी चाल समय ने ली अंगड़ाई
कोई खाली हाथ किसी को मिली मलाई
- अनूप श्रीवास्तव
(शब्द 115)
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