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अनवारुल हक बेग

नई दिल्ली | बुधवार | 28 अगस्त 2024

ध्य प्रदेश के छतरपुर जिले में एक मुस्लिम नेता शहजाद अली के आलीशान बंगले को बुलडोज़र से गिराए जाने की घटना ने पूरे देश में हलचल मचा दी है। इस घटना की कड़ी निंदा विपक्षी नेताओं, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं, पत्रकारों और सामुदायिक नेताओं द्वारा की गई है। उन्होंने इसे मुसलमानों को आतंकित करने की "इज़रायली प्रथा" करार देते हुए इसे तत्काल समाप्त करने की मांग की है। साथ ही, सुप्रीम कोर्ट से कानून के शासन की बहाली और न्याय की अपील की है।

21 अगस्त 2024 को छतरपुर में स्थानीय मुस्लिम नेता शहजाद अली के घर को बुलडोज़र से ध्वस्त कर दिया गया। इस घटना की शुरुआत तब हुई जब महाराष्ट्र के नासिक में एक धार्मिक नेता रामगिरी महाराज द्वारा पैगंबर मोहम्मद और इस्लाम के खिलाफ कथित अपमानजनक टिप्पणी के विरोध में मुस्लिम समुदाय के करीब 500 प्रदर्शनकारी छतरपुर कोतवाली पुलिस स्टेशन के बाहर जमा हुए थे। यह विरोध प्रदर्शन हिंसक हो गया और पत्थरबाजी के कारण कई पुलिसकर्मी घायल हो गए।

इसके बाद पुलिस ने कार्रवाई करते हुए शहजाद अली के घर को ध्वस्त कर दिया, जिसकी कीमत करीब 10 करोड़ रुपये बताई जा रही है। इस घर के साथ-साथ अली और उनके परिवार की अन्य संपत्तियों को भी निशाना बनाया गया।

 

लेख एक नज़र में
मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले में एक मुस्लिम नेता शहजाद अली के आलीशान बंगले को बुलडोज़र से गिरा दिया गया। इस घटना ने पूरे देश में हलचल मचा दी है।

विपक्षी नेताओं, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं, पत्रकारों और सामुदायिक नेताओं ने इसे मुसलमानों को आतंकित करने की "इज़रायली प्रथा" करार देते हुए इसे तत्काल समाप्त करने की मांग की है।

शहजाद अली ने कहा कि उनका घर सात साल में बना था, लेकिन एक दिन में मिट्टी में मिला दिया गया। सरकार का कहना है कि कानून से ऊपर कोई नहीं है और नियमों का उल्लंघन करने पर प्रशासन कार्रवाई करेगा। इस घटना ने देश के लोकतांत्रिक सिद्धांतों, कानून के शासन और अल्पसंख्यकों के अधिकारों पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं।

 

घर के मालिक शहजाद अली ने इस कार्रवाई पर अपनी पीड़ा व्यक्त करते हुए कहा, "यह घर बनाने में सात साल लगे, लेकिन एक दिन में इसे मिट्टी में मिला दिया गया। मैंने केवल पैगंबर के अपमान के खिलाफ पुलिस स्टेशन में ज्ञापन दिया था, और उसके अगले ही दिन मेरे घर पर बुलडोजर चला दिया गया।" उन्होंने सरकार से अपील की, "हम पैगंबर के प्रेमी हैं, भले ही हमारी जान चली जाए, हम कुछ नहीं बोलेंगे, परंतु हमारे साथ अन्याय हुआ है।"

शहजाद अली ने यह भी सवाल उठाया कि अगर उनका घर अवैध था तो उसे पहले क्यों नहीं रोका गया। "अवैध निर्माण में बिजली और पानी कैसे पहुंचा? सरकार असंवैधानिक कृत्यों को संवैधानिक आवरण देकर मुसलमानों पर अत्याचार कर रही है," अली ने कहा।

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने इस कार्रवाई का बचाव करते हुए कहा कि कोई भी व्यक्ति कानून से ऊपर नहीं है। उन्होंने कहा, "निर्माण कार्य उचित मंजूरी के साथ किया जाना चाहिए। अगर आप नियमों का उल्लंघन करेंगे, तो प्रशासन कार्रवाई करेगा।" यादव के मुताबिक, सरकार कानून के दायरे में रहकर काम कर रही है और ऐसी कार्रवाई जारी रहेगी।

इस घटना पर विपक्षी नेताओं ने भी कड़ी प्रतिक्रिया दी। कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने कहा, "अगर किसी पर आरोप है, तो अदालत में सज़ा तय की जानी चाहिए, न कि इस तरह बुलडोजर न्याय से।" कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने इसे अमानवीय और अन्यायपूर्ण करार दिया और कहा कि भाजपा शासित राज्यों में अल्पसंख्यकों को बार-बार निशाना बनाया जा रहा है।

सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने भी इस घटना की निंदा की और कहा कि यह कार्रवाई मुस्लिमों को निशाना बनाकर की गई है। उन्होंने आरोप लगाया कि शहजाद अली का घर कानूनी रूप से बना था, लेकिन बिना किसी उचित नोटिस के इसे ध्वस्त कर दिया गया। उन्होंने इस कार्रवाई को भाजपा सरकार की सांप्रदायिक नीति का हिस्सा बताया।

भीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर आज़ाद ने सुप्रीम कोर्ट से इस मामले में हस्तक्षेप की मांग की है। उन्होंने कहा, "मुख्यमंत्री द्वारा संविधान की शपथ का उल्लंघन हुआ है। सरकार कानून की बजाय राजनीतिक प्रतिशोध के तहत काम कर रही है।"

इस घटना ने देशभर में न्यायिक हस्तक्षेप की मांग को जन्म दिया है। वरिष्ठ वकील संजय हेगड़े ने कहा कि अगर एक मुख्यमंत्री आपके घर को गिराने का निर्देश दे सकता है, तो यह कानून के शासन का उल्लंघन है। साथ ही, कई अन्य बुद्धिजीवियों और समाजसेवियों ने भी इस घटना पर चिंता व्यक्त की है।

मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले में हुई इस घटना ने देश के लोकतांत्रिक सिद्धांतों, कानून के शासन और अल्पसंख्यकों के अधिकारों पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। यह जरूरी है कि ऐसे मामलों में उचित प्रक्रिया का पालन हो और किसी भी समुदाय को निशाना बनाकर कार्रवाई न की जाए। न्यायिक हस्तक्षेप के साथ-साथ प्रशासन को भी अपनी जिम्मेदारी का पालन करते हुए संविधान के तहत काम करना चाहिए, ताकि देश की सामाजिक समरसता और न्याय की भावना को बरकरार रखा जा सके।

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