image

के. विक्रम राव

A person wearing glasses and a red shirt

Description automatically generated

नई दिल्ली | शुक्रवार | 1 नवंबर 2024

खनऊ के मशहूर व्यक्तित्व पत्रकार जनाब आरिफ नकवी नहीं रहे। वे 90 वर्ष के थे। उनकी पुस्तक "बुझते जलते दीप" हाल ही में प्रकाशित हुई थी। हम लोग समकालीन छात्र थे।

आरिफ भाई न्यायमूर्ति हैदर अब्बास रजा साथी थे, लखनऊ विश्वविद्यालय में। वे दोनों कम्युनिस्ट पार्टी के स्टूडेंट फेडरेशन के अगुवा थे। मैं समाजवादी युवक सभा का सचिव था। आरिफ भाई का जन्म लखनऊ के चौक में एक उच्च शिक्षा परिवार में हुआ था। उनके रिश्तेदार थे ढाका के नवाब। आरिफभाई कई पदों पर रहें : अध्यक्ष : पासबाने उर्दू 1956-58, सचिव : प्रोग्रेसिव राइटर्स एसोसिएशन, लखनऊ 1958-59, महासचिव : उत्तर प्रदेश स्टूडेंट फेडरेशन 1957-59, सह. संपादक : साप्ताहिक अवामी दौर 1959-61, महासचिव : प्रोग्रेसिव राइटर्स एसोसिएशन दिल्ली स्टेट 20 अप्रैल 1960 से नवंबर 1961, आल इंडिया रेडियो के ड्रामों में अभिनेता के रूप में काम किया। भारतीय जन नाट्य संघ (आई. पी. टी. ए.) के स्टेज नाटकों का निर्देशन किया, कई नाटक लिखे तथा अभिनय भी किया।

वे जर्मन भाषा कोर्स, हर्डर इंस्टीट्यूट लाइप्जिंग जर्मन नाटक कला, हम्बोल्ट  विश्वविद्यालय बर्लिन लेक्चर थे। इंडोलॉजी इंस्टिट्यूट हंबोल्ट विश्वविद्यालय, बर्लिन उर्दू तथा हिंदी 1969 तक पढ़ाया।



लेख एक नज़र में

लखनऊ के प्रतिष्ठित पत्रकार जनाब आरिफ नकवी का निधन हो गया, वे 90 वर्ष के थे। हाल ही में उनकी पुस्तक "बुझते जलते दीप" प्रकाशित हुई थी, जिसमें उन्होंने समकालीन समाज पर गहरी दृष्टि डाली है। आरिफ भाई ने लखनऊ विश्वविद्यालय में न्यायमूर्ति हैदर अब्बास रजा के साथ छात्र राजनीति में सक्रिय भूमिका निभाई और कई साहित्यिक संगठनों में महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया।

उनका लघु उपन्यास साम्प्रदायिकता पर एक सशक्त टिप्पणी है, जो पाठकों की रुचि बनाए रखता है। आरिफ भाई का संदेश है कि इस्लाम हिंसा को नहीं सिखाता। उनकी लेखनी में गहरी संवेदनशीलता और व्यापकता है, जो उन्हें एक अद्वितीय लेखक बनाती है। उनकी विदाई ने साहित्य और पत्रकारिता के क्षेत्र में एक अपूरणीय क्षति छोड़ी है।



मेरे अजीज मित्र जनाब आरिफ नकवी का ताजातरीन लघु उपन्यास “बुझते जलते दीपक” वस्तुतः अकलंकारी अर्थों में एक स्कर्ट (लहंगा) जैसा है। विंस्टन चर्चिल की मशहूर उक्ति थी : “राजनेता का भाषण स्कर्ट जैसा हो। लंबा ताकि पूरा विषय उल्लिखित हो जाए। छोटा भी ताकि जनरुचि बनी रहे।” ठीक ऐसी ही है आरिफभाई की लघु रचना। आज के सांप्रदायिक माहौल पर एक उम्दा भाष्य हैं। पाठक की उत्सुकता अंत तक कायम रहती है। एक संदेश भी देती है विकृत अवधारणा पालनेवालों को। इन दोनों संप्रदाय के मतावलंबियों को। गंगा और यमुना की धाराएं भले ही समांनातर बहती रहती हैं। मगर दर्शकों को संगम देखना चाहिए। आरिफ इसी संगम की भावना को बेहतरीन, मर्मस्पर्शी तरीके से रेखांकित कर देते हैं। आखिरी पृष्ठ में। यदि यह एक लघु कहानी होती तो भावुकता के पैमाने पर सुदर्शन की कहानी “हार की जीत” जैसी दिल को छू जाने वाली होती। बाबा भारती के प्रिय घोड़े को डाकू खड़गसिंह छल से उड़ा ले जाता है। अंत में पश्चाताप करता है। वापस लौटा देता है। ठीक यही होता है आरिफभाई के मुख्य पात्र साजिद के प्रकरण में। आखिरी क्षण में बम का रिमोट वह नहीं दबाता है क्योंकि उस भीड़ में एक नन्ही बच्ची उसे दिखती थी। उसे तभी कोई स्वजन याद आ जाता है। नरसंहार बच जाता है। उसे अहसास हो जाता है कि इस्लाम यह कदापि नहीं सिखाता है। हैवानी हिंसा को। उनका बीजमंत्र यही है। पूरा लघु उपन्यास यही पैगाम देता है। वर्तमान भारतीय समाज को, उसके हर आतंकी को। आरिफभाई की हृदयगत जज्बातों की अभिव्यक्ति में उन्हें बड़ा लाभ मिला, उनके बहुमुखी होने से और देश दुनिया की उनकी लंबी यात्राओं से। उर्दू, हिंदी, अंग्रेजी, जर्मन आदि में तो उन्हें महारत है ही। वैचारिक रूप से भी वे बड़े सुलझे हुये हैं। संकीर्णता से कोसों दूर।

***************

  • Share:

Fatal error: Uncaught ErrorException: fwrite(): Write of 358 bytes failed with errno=122 Disk quota exceeded in /home2/mediamapco/public_html/system/Session/Handlers/FileHandler.php:407 Stack trace: #0 [internal function]: CodeIgniter\Debug\Exceptions->errorHandler(8, 'fwrite(): Write...', '/home2/mediamap...', 407) #1 /home2/mediamapco/public_html/system/Session/Handlers/FileHandler.php(407): fwrite(Resource id #9, '__ci_last_regen...') #2 [internal function]: CodeIgniter\Session\Handlers\FileHandler->write('aa30e26bc577a44...', '__ci_last_regen...') #3 [internal function]: session_write_close() #4 {main} thrown in /home2/mediamapco/public_html/system/Session/Handlers/FileHandler.php on line 407