अद्भुत सपना ! हमारा राजतंत्र लोकतांत्रिक हो गया है। लोकतांत्रिक राजा ने घोषणा की अब देश मे कोई भूखा प्यासा नही रहेगा। इसके लिए पूरे देश मे दूध की नहरें निकाली जाएगी,जिससे लोग मनमर्ज़ी का दूध ,दही और पनीर खा सकें । राजा का हुक्म था। पहली नहर राजमहल से निकालने के लिए खुदाई शुरू हुई। रातों रात नहर बन कर तैयार हुई। राजा के तबेले में लाखों गाय और भैंस थी ,जिनके दूध का इस्तेमाल महल की रानी पटरानियाँ, गोले गोलियाँ , नौकर चाकर बड़े चाव से किया करते थे । दूध की पहली नहर के उद्घाटन में लोकतांत्रिक राजा ने अपनी सबसे प्रिय भैंस से ताजा निकाला गये एक लोटा भर दूध नहर को अर्पित किया। राजा ने अपनी फ़ेसबुक ह्वाट्सऐप और ट्विटर की आईडी पर अपने नाम के आगेब्रैकेट में लिखा “ एक लोटा दूध देश के नाम “ । साथ में दूध डालते हुए अपनी फोटो भी चस्पा कर ली ।प्रजा संकेत समझ गई कि अब सभी को एक एक लोटा दूध की नहर को समर्पित करना है ।
लोकतांत्रिक राजा के इस हुक्म को प्रोटोकाल ने सिर माथे लिया। अमात्यों की कतार लोटा लेकर तैयार थी। नौकरशाही भी अपना लोटा लेकर तक नहर की ओर दौड़ने लग गयी। फ़ोटो खिंचने लगे । पूरी दुनिया में इस काम का डंका बजने लगा । लोगों को जगह -जगह पर लोटा लेकर तैनात कर दिया । विदेशी मीडिया और राजदूतों को उद्घाटन समारोह में बुलाया गया । प्रतिबद्ध मीडिया ने प्रचार की लगाम सम्भाल ली- अब देश में कोई भूखा प्यासा नही दिखेगा। हर घर मे चूल्हे पर खीर ही खीर नज़र आएगी। रायता बनेगा । प्रजा ही नहीं देश के पशु पक्षी भी मांसाहार की जगह खीर पूड़ी और रायता पीकर तृप्त होंगे ।
लोकतांत्रिक राजा ने देश में दूध की नहरें निकालने का घोषणा कर दी थी, जिससे लोग मनमर्ज़ी का दूध, दही और पनीर खा सकें। प्रथम नहर राजमहल से शुरू हुई थी, जिसमें राजमहल की रानी पटरानियाँ, गोले गोलियाँ, नौकर चाकर बड़े चाव से दूध का इस्तेमाल किया जाता था। लोकतांत्रिक राजा ने अपनी फ़ेसबुक ह्वाट्सऐप और ट्विटर पर "एक लोटा दूध देश के नाम" लिखा था। प्रजा ने संकेत समझा और सभी को एक एक लोटा दूध की नहर को समर्पित करना होगा।
लेकिन सच यह है कि राज महल से दूध की नहर नहीं निकाली गई थी, बल्कि चूने के पानी का सोता अचानक राज महल से फूट निकला था। अमात्यों और नौकरशाहों ने नहर में दूध नहीं बल्कि डीप फ़ेक फ़ोटो बनाकर अपनी सोशल मीडिया वाल पर डाले थे। देश की प्रजा अभी भी दो रोटी को तरस रही हैं। खबर पढ़कर भी राजा हतोत्साहित नहीं हुआ था। विपक्ष ने चारों खाने चित्त होकर बैठा था। बाद में इस नहर से कई और नहरें निकालने के लिए ऊँची बोली पर ठेके दिए गये हैं। सुना है ऑक्सफ़ोर्ड विश्वविद्यालय ने इस सफल कारनामे को केस स्टडी के लिए चुना है।
नौकरशाही ने भी दूध की नहर की सुरक्षा की कमान संभाल ली।आम आदमी के स्वास्थ्य को देखते हुए दूध की नहर में लबालब बहते हुए दूध की जांच पड़ताल के लिए जगह पर सैंपल लेने के लिए लैब टेक्नीशियन तैनात कर दिए।
राज महल के परकोटे के चारो ओर खिंचाई नहर दूध से लबालब भरी दिखाई दे रही थी । लेकिन जनता के स्वस्थ्य को संभालने के लिए हर खासो आम तक बढ़ाई गई नहर में पानी ही पानी था। लेकिन प्रतिबद्ध मीडिया के प्रचार के चलते पूरे देश भर की नहरें दूध दही से लबालब भरी थीं। लेकिन एक दुष्ट विदेशी पत्रकार ने एक खबर छापी - राजा के महल से दूध की नहर नहीं निकाली गई थी ,बल्कि चूने के पानी का सोता अचानक राज महल से फूट निकला था । अमात्यों और नौकरशाहों ने नहर में दूध नहीं बल्कि डीप फ़ेक फ़ोटो बनवाकर अपनी सोशल मीडिया वाल पर डाले थे । देश की प्रजा अभी भी दो रोटी को तरस रही हैं ।यहाँ तक हालत हैं कि नहर में चूने का पानी होने के कारण पीने के लायक़ नहीं बचा है।”
खबर पढ़कर भी राजा हतोत्साहित नहीं हुआ । इसके उलट उसने उत्साहित होकर राजा ने प्रोटोकॉल से लम्बी सीटी बाजवा ढ़ी। विपक्ष एकबार फिर चारों खाने चित्त हुआ। बाद में इस नहर से कई और नहरें निकालने के ठेके ऊँची बोली पर दिये गये । सुना है ऑक्सफ़ोर्ड विश्वविद्यालय ने इस सफल कारनामे को केस स्टडी के लिए चुना है । गिनीज बुक भी इसे लोकतंत्र का अजूबा मानकर अपने रिकार्ड में दर्ज करने की तैयारी में लगा हुआ है।
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