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प्रो प्रदीप माथुर

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नई दिल्ली | गुरुवार  | 19 सितम्बर 2024

पिछले कुछ वर्षों में हरियाणा में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की स्थिति लगातार कमजोर होती दिख रही है। यह केवल टिकट वितरण की समस्या तक सीमित नहीं है, बल्कि इसके पीछे कई गहरे और जटिल कारण छिपे हैं। किसानों के आंदोलन, जाट समुदाय की नाराजगी और दलित वर्ग के असंतोष जैसे मुद्दों ने पार्टी की छवि पर गंभीर असर डाला है। भाजपा की नीतियों और उसके नेतृत्व पर उठ रहे सवालों ने पार्टी की लोकप्रियता में गिरावट पैदा की है। हरियाणा जैसे महत्वपूर्ण राज्य में भाजपा की स्थिति में आई इस गिरावट ने इसे एक गंभीर राजनीतिक चुनौती बना दिया है, जिसका असर पार्टी के आगामी चुनावी परिणामों पर भी दिख सकता है।

सबसे पहले, किसानों के आंदोलन का असर भाजपा की छवि पर पड़ा। हरियाणा में किसानों ने व्यापक संख्या में आंदोलन में भाग लिया, लेकिन भाजपा ने इस आंदोलन को गंभीरता से नहीं लिया। कृषि आधारित राज्य होने के नाते, हरियाणा की जाट समुदाय और अन्य किसान वर्गों ने भाजपा के प्रति असंतोष जताया। भाजपा द्वारा इस आंदोलन की अनदेखी ने यह संदेश दिया कि सरकार किसानों की समस्याओं के प्रति संवेदनशील नहीं है।

दूसरी महत्वपूर्ण वजह है हरियाणा की डोमिनेंट कम्युनिटी जाटों की नाराजगी। भाजपा की नीतियों ने जाट समुदाय को नजरअंदाज किया, जिससे उनकी नाराजगी और बढ़ गई। इसके अतिरिक्त, हरियाणा की बहुसंख्यक दलित जनसंख्या ने भी भाजपा की नीतियों के प्रति असंतोष व्यक्त किया है। भाजपा ने उनके मुद्दों को नजरअंदाज किया, जिससे पार्टी की स्थिति और भी कमजोर हुई।

 

लेख एक नज़र में
हरियाणा में भाजपा की स्थिति लगातार कमजोर होती जा रही है। किसानों के आंदोलन और जाट समुदाय की नाराजगी ने पार्टी की छवि को प्रभावित किया है। इसके अलावा, दलित जनसंख्या ने भी पार्टी की नीतियों के प्रति असंतोष व्यक्त किया है।
केंद्रीय राजनीति में भी पार्टी की स्थिति कमजोर होती दिख रही है। हरियाणा के चुनाव परिणाम इस व्यापक ट्रेंड का हिस्सा हैं। पार्टी की पार्टी संगठन के भीतर असंतोष और नेताओं के पार्टी छोड़ने से पार्टी की विश्वसनीयता प्रभावित हुई है।
पार्टी को अपनी नीतियों और रणनीतियों पर गंभीरता से विचार करने की आवश्यकता है, ताकि वह अपने खोए हुए आधार को पुनः प्राप्त कर सके।

 

भाजपा की समस्याएं सिर्फ स्थानीय मुद्दों तक सीमित नहीं हैं। केंद्रीय राजनीति में भी पार्टी की स्थिति कमजोर होती दिख रही है। लोकसभा चुनाव में भाजपा को भारी नुकसान हुआ, और कई राज्यों में पार्टी की स्थिति दयनीय है। महाराष्ट्र, जम्मू-कश्मीर, और झारखंड जैसे राज्यों में भाजपा को संघर्ष का सामना करना पड़ रहा है, जो कि पार्टी के राष्ट्रीय स्तर पर कमजोर होने का संकेत है।

हाल के लोकसभा चुनावों में भाजपा को भारी नुकसान उठाना पड़ा है। 2019 में भाजपा ने हरियाणा की सभी 10 लोकसभा सीटें जीती थीं, जो एक ऐतिहासिक जीत थी और पार्टी की ताकत को दर्शाती थी। लेकिन इसके ठीक बाद, विधानसभा चुनावों में भाजपा की स्थिति इतनी कमजोर हो गई कि उसके पास 10 में से केवल 5 सीटें रह गईं। यह चुनावी हार न सिर्फ पार्टी की कमजोरी को दर्शाती है, बल्कि यह भी स्पष्ट करती है कि भाजपा के आधार वोटर अब पार्टी से काफी हद तक नाराज़ हैं।

यह परिणाम भाजपा के लिए एक चेतावनी है। विधानसभा चुनाव में मिली हार ने यह दिखाया कि भाजपा की लोकप्रियता और प्रभावशीलता में बड़ी गिरावट आई है। अगर इसी तरह की स्थिति रही, तो भविष्य में पार्टी के लिए और भी कठिनाइयाँ आ सकती हैं। विधानसभा चुनावों में मिली हार का असर केवल भाजपा की छवि पर ही नहीं, बल्कि उसके आने वाले चुनावी रणनीतियों पर भी पड़ सकता है। यदि पार्टी ने अपनी नीतियों और रणनीतियों में सुधार नहीं किया, तो संभव है कि अगली बार पार्टी की सीटें और भी कम हो जाएं, या फिर पार्टी को सत्ता में वापस आने के लिए गंभीर संघर्ष का सामना करना पड़े।

हरियाणा के चुनाव परिणाम न केवल भाजपा के लिए एक चुनौतीपूर्ण संकेत हैं, बल्कि यह पूरे देश की राजनीति में भी एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकते हैं। पार्टी को अब अपने खोए हुए आधार को पुनः प्राप्त करने के लिए ठोस और प्रभावशाली कदम उठाने होंगे। भाजपा को अपनी नीतियों में सुधार, कार्यकर्ताओं की समस्याओं को समझने, और सही नेतृत्व की दिशा में ठोस प्रयास करने होंगे, ताकि पार्टी अपनी खोई हुई स्थिति को फिर से प्राप्त कर सके और आगामी चुनावों में बेहतर प्रदर्शन कर सके।

हरियाणा के मुख्यमंत्री के बदलने और पार्टी की नीतियों में बदलाव के बावजूद, भाजपा ने कोई सकारात्मक असर नहीं देखा। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष करण देव कंबोज जैसे नेताओं का पार्टी छोड़ना भी पार्टी की कमजोर स्थिति को दर्शाता है। भाजपा की नीतियों और दिशा में निरंतर बदलाव से पार्टी की विश्वसनीयता प्रभावित हुई है।

आगे की राह में, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के संभावित गठबंधन की बात हो रही है। अगर यह गठबंधन सफल होता है, तो यह भाजपा के लिए एक बड़ा खतरा साबित हो सकता है। कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच गठबंधन से हरियाणा की राजनीति में नए समीकरण बन सकते हैं, जिससे भाजपा की स्थिति और भी कमजोर हो सकती है।

भाजपा के वर्तमान संकट और इसकी कमजोरी को देखते हुए, यह स्पष्ट है कि पार्टी को अपने चुनावी दृष्टिकोण और रणनीतियों में महत्वपूर्ण बदलाव करने की आवश्यकता है। अन्यथा, आगामी चुनावों में पार्टी की स्थिति और भी खराब हो सकती है, और यह उसकी राजनीतिक भविष्यवाणी के लिए एक बड़ा खतरा साबित हो सकता है।

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