सड़कों पर होने वाली दुर्घटनाओं से किसका दिल नहीं दहलता। यदि घर का कोई सदस्य भी स्कूल, ऑफिस या बाजार से आने में देर कर दे तो मन में हर तरह के बुरे ख्याल आने लगते हैं। जब छोटे-छोटे बच्चे स्कूल जाने के लिए पहली बार घर से बाहर कदम रखते हैं, तो माता-पिता की घबराहट और बढ़ जाती है।
शहरों में तेजी से बढ़ती आबादी, सड़कों पर भीड़भाड़ और तेज गति से चलने वाले वाहनों की संख्या में वृद्धि के कारण पैदल चलने वालों के लिए खतरे बढ़ गए हैं। इसके अलावा, तेज वाहन चलाने वाले कई लोग प्रशिक्षित नहीं होते और उनके पास लाइसेंस भी नहीं होता। इन सभी कारणों से यह अत्यंत आवश्यक हो जाता है कि आप अपने बच्चे को सड़क पर चलने के नियम अच्छी तरह सिखाएं। साथ ही उसे संकट की स्थिति को पहचानने और सही समय पर उचित कदम उठाने की मानसिकता भी विकसित करनी चाहिए। यह कार्य सुचारू रूप से करना चाहिए, और इसे माता-पिता का एक आवश्यक कर्तव्य मानना चाहिए।
बच्चा जब घर से बाहर जाता है तो वह इतनी चीजों से प्रभावित होता है कि उसकी सुरक्षा किसी के नियंत्रण में नहीं रहती। अचानक उसके सामने इतनी चीजें होती हैं कि अकेले उनका सामना करना उसके बस की बात नहीं होती। उसे घर के आरामदायक माहौल से दूर रहना पड़ता है और अनजान लोगों और स्थितियों का अकेले सामना करना पड़ता है। इस प्रकार के वातावरण के लिए स्वयं को तैयार करने में समय लगता है।
लेख एक नज़र में
सड़क दुर्घटनाओं का खतरा बढ़ने के कारण माता-पिता बच्चों की सुरक्षा को लेकर चिंतित रहते हैं। सड़कों पर बढ़ती भीड़, तेज रफ्तार वाहनों, और अनियंत्रित ड्राइविंग के कारण पैदल चलने वालों के लिए खतरे बढ़ गए हैं। ऐसे में बच्चों को सड़क पर सुरक्षित चलने के नियम सिखाना जरूरी है।
माता-पिता को चाहिए कि वे अपने बच्चे को सड़क संकेतों की जानकारी दें, जैसे "हरा चलता आदमी" जो सड़क पार करने का संकेत देता है और "लाल खड़ा आदमी" जो रुकने का। सड़क पार करने के लिए "कर्ब ड्रिल" के 5 चरण भी सिखाएं – किनारे खड़े होना, दोनों दिशाओं में देखना और बिना दौड़े सुरक्षित पार करना।
बच्चों को सड़क पर चलने और ट्रैफिक संकेतों की जानकारी देने से उनकी सुरक्षा बढ़ती है, जो उनके जीवन का जरूरी हिस्सा है।
जब बच्चा बहुत छोटा होता है, तो उसे अकेले कहीं भी जाने की मनाही होती है। लेकिन क्या हम उसे इस मनाही का कारण समझाते हैं? बच्चे को इस बात की समझ और पहचान अवश्य होनी चाहिए कि सड़क पर कौन-कौन से खतरे हो सकते हैं। जब उसके सड़क पर अकेले जाने का समय आए, तो उसे यह भी समझाना चाहिए कि:
माता-पिता के नाते, आप उस सड़क पर उसके साथ जाएं जिस पर वह अक्सर आता-जाता होगा। उसे संभावित खतरों के प्रति सतर्क करें और समझाएं कि उसे कैसा व्यवहार करना चाहिए। उसे ट्रैफिक संकेतों के बारे में जानकारी दें और उनकी पहचान कराएं। सड़क पर दो प्रकार के सिग्नल संकेत होते हैं। एक सिग्नल में तीन लाइटें होती हैं - लाल, पीली, और हरी, जो वाहन चालकों को रुकने, तैयार होने और चलने का संकेत देती हैं। दूसरा सिग्नल वह है जिसमें लाल और हरी बत्ती में मानवचित्र होता है, जो पैदल चलने वालों का मार्गदर्शन करने के लिए होता है।
पैदल चलने वालों के लिए हरी लाइट पर चलता हुआ आदमी होता है। यह "हरा आदमी" आपको सुरक्षित रूप से सड़क पार करने का संकेत देता है, जबकि खड़ा हुआ आदमी लाल संकेत द्वारा आपको सड़क पार न करने का संकेत देता है। "लाल खड़े आदमी" से "हरे चलते हुए आदमी" का संकेत बदलते ही आप सड़क पार कर सकते हैं। बच्चे को सुरक्षित सड़क पार करने के लिए इन बदलते लाइटों का अर्थ अच्छी तरह से समझना चाहिए।
हर बार जब आप सड़क पार करें, भले ही "हरा आदमी" सिग्नल हो, फिर भी दोनों दिशाओं में देख लें कि कोई वाहन न आ रहा हो, और तभी सड़क पार करें। अपने बच्चों को "कर्ब ड्रिल" अवश्य सिखाएं, जिसके 5 चरण हैं:
बच्चे को सड़क पर अकेले भेजने से पहले यह सुनिश्चित करें कि उसे सड़क पर सही तरीके से चलना आता है, चाहे फुटपाथ हो या न हो। उसे समझाएं कि दोनों हमेशा वाहनों के आने-जाने वाले हिस्से से दूर, दूसरी ओर चलें। यदि फुटपाथ न हो, तो सड़क के किनारे, आने वाले ट्रैफिक की ओर मुंह करके चलें।
बच्चे को यह सब शिक्षा उसके जीवन के सबसे महत्वपूर्ण चरण में दी जानी चाहिए - उसी समय जब वह बढ़ रहा हो।
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