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प्रो प्रदीप माथुर

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नई दिल्ली | बुधवार | 25 दिसम्बर 2024

अटल बिहारी वाजपेयी (25 दिसंबर 1924 - 16 अगस्त 2018) भारतीय राजनीति के एक ऐसे महान नेता थे, जिन्होंने अपनी सादगी, दूरदृष्टि और मानवीय दृष्टिकोण से राजनीति में एक नया आयाम स्थापित किया। वे भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सह-संस्थापक और तीन बार भारत के प्रधानमंत्री रहे। 1996 में उन्होंने 13 दिनों के लिए, 1998-1999 में 13 महीने के लिए, और 1999 से 2004 तक पूर्ण कार्यकाल के लिए प्रधानमंत्री के रूप में सेवा की। वे पहले गैर-कांग्रेसी नेता थे जिन्होंने प्रधानमंत्री के रूप में पूर्ण कार्यकाल पूरा किया।

अटल बिहारी वाजपेयी को भारतीय राजनीति का "अजातशत्रु" कहा जाता था। उनका व्यक्तित्व इतना आकर्षक था कि उनके विरोधी भी उनके मित्र बन जाते थे। उन्होंने हमेशा कहा, "राजनीति में मतभेद हो सकते हैं, लेकिन मनभेद नहीं होने चाहिए।" यह विचारधारा उनके नेतृत्व में स्पष्ट रूप से दिखती थी। उनकी कवि-हृदय संवेदनशीलता और सौम्यता ने उन्हें आम जनता और राजनेताओं के बीच समान रूप से लोकप्रिय बनाया।

वाजपेयी जी का स्वतंत्रता संग्राम में प्रत्यक्ष योगदान नहीं था। वे एक सामान्य विद्यार्थी थे और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से जुड़कर अपने सार्वजनिक जीवन की शुरुआत की। उनकी संगठन क्षमता, समर्पण और जमीनी हकीकत को समझने की कला ने उन्हें आरएसएस और बाद में भाजपा में ऊंचा स्थान दिलाया।

 

लेख एक नज़र में
अटल बिहारी वाजपेयी (25 दिसंबर 1924 - 16 अगस्त 2018) भारतीय राजनीति के एक महान नेता थे, जिन्होंने अपनी सादगी और दूरदृष्टि से राजनीति में नया आयाम स्थापित किया। वे भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सह-संस्थापक और तीन बार भारत के प्रधानमंत्री रहे। वाजपेयी जी को "अजातशत्रु" कहा जाता था, और उनका व्यक्तित्व इतना आकर्षक था कि उनके विरोधी भी उनके मित्र बन जाते थे।
उन्होंने हमेशा कहा कि राजनीति में मतभेद हो सकते हैं, लेकिन मनभेद नहीं होना चाहिए। उनके प्रधानमंत्री काल में कई ऐतिहासिक कार्य हुए, जैसे "स्वर्णिम चतुर्भुज" योजना और पाकिस्तान के साथ संबंध सुधारने के प्रयास। वाजपेयी जी का जीवन हमें सहिष्णुता और सहयोग का महत्व सिखाता है। वे न केवल एक महान नेता, बल्कि एक प्रेरक कवि और कुशल प्रशासक भी थे, जिनका जीवन हर भारतीय के लिए प्रेरणा का स्रोत है।

पत्रकारों से उनके संबंध हमेशा मधुर रहे। वे उनसे बराबरी के स्तर पर बात करते थे। भाजपा के हिंदुत्व विचारधारा के बावजूद, अटल बिहारी वाजपेयी के कई मुस्लिम मित्र और प्रशंसक थे। लखनऊ में चुनाव लड़ते समय, उन्हें शिया मुस्लिम समुदाय का व्यापक समर्थन मिलता था।

ब्राह्मण परिवार में जन्मे वाजपेयी जी को पारंपरिक जीवनशैली का पालन करना पसंद था, लेकिन वे मांसाहारी भोजन और मदिरापान का भी आनंद लेते थे। हालांकि, इन आदतों के बावजूद उनकी लोकप्रियता कभी कम नहीं हुई।

कांग्रेस के सैद्धांतिक विरोध के बावजूद, वाजपेयी जी ने जवाहरलाल नेहरू का बहुत सम्मान किया। नेहरू जी की मृत्यु पर लोकसभा में दी गई उनकी श्रद्धांजलि आज भी लोगों को भावुक कर देती है।

अटल बिहारी वाजपेयी के प्रधानमंत्री काल में कई ऐतिहासिक कार्य हुए। उन्होंने "स्वर्णिम चतुर्भुज" योजना के तहत देशभर में सड़कों का जाल बिछाया, जिससे देश के बुनियादी ढांचे में सुधार हुआ। उन्होंने पाकिस्तान के साथ संबंध सुधारने की दिशा में भी महत्वपूर्ण कदम उठाए, जिसमें लाहौर बस यात्रा और करगिल युद्ध के बाद शांति प्रयास शामिल हैं।

वाजपेयी जी का जीवन हमें सिखाता है कि राजनीति में वैचारिक मतभेद होने के बावजूद सहयोग और सहिष्णुता कैसे बनाए रखी जा सकती है। आज, उनके द्वारा स्थापित मूल्यों को अपनाकर ही हम उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि दे सकते हैं।

अटल बिहारी वाजपेयी न केवल एक महान नेता थे, बल्कि एक प्रेरक कवि, कुशल प्रशासक और मानवीय मूल्यों के प्रतीक भी थे। उनका जीवन हर भारतीय के लिए प्रेरणा का स्रोत है।

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