11 अक्टूबर का दिन भारतीय सिनेमा के लिए बेहद खास होता है, क्योंकि इस दिन सदी के महानायक अमिताभ बच्चन का जन्मदिन आता है। अमिताभ बच्चन, जिनका नाम सुनते ही हर किसी के मन में एक अद्भुत शख्सियत की छवि उभरती है, उन्होंने अपने जीवन में जितना संघर्ष किया है, उतना शायद ही किसी ने किया होगा। उनका जीवन संघर्षों से भरा रहा, लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी और अपनी मेहनत और जज़्बे के दम पर खुद को एक नई ऊंचाई पर पहुंचाया।
अमिताभ बच्चन का जन्म 11 अक्टूबर 1942 को इलाहाबाद, उत्तर प्रदेश में हुआ था। उनके पिता हरिवंश राय बच्चन, जो एक प्रसिद्ध कवि थे, ने हमेशा अमिताभ को जीवन में आगे बढ़ने की सीख दी। लेकिन एक कवि के घर जन्म लेने के बाद भी, अमिताभ को बचपन से ही संघर्ष का सामना करना पड़ा। उनकी कद-काठी और गहरी आवाज़ की वजह से शुरू में उन्हें बहुत सारी आलोचनाएं झेलनी पड़ीं। फिल्म इंडस्ट्री में आने का सपना लिए जब वे मुंबई पहुंचे, तो उन्हें कई जगहों से रिजेक्शन मिला। लोग कहते थे कि उनकी आवाज़ बहुत भारी है और उनका चेहरा हीरो की तरह नहीं दिखता।
मुंबई में एक नए चेहरे के लिए जगह बनाना आसान नहीं था। अमिताभ ने भी अपने हिस्से की चुनौतियों का सामना किया। शुरू में उन्हें फ़िल्मों में काम तो दूर, ऑडिशन में भी शामिल नहीं होने दिया जाता था। कई बार तो ऐसा हुआ कि उन्हें स्टूडियो के बाहर घंटों इंतजार करना पड़ा, लेकिन फिर भी उन्हें काम नहीं मिला। उन्होंने ऑल इंडिया रेडियो में भी अपनी आवाज़ को काम में लाने की कोशिश की, पर वहाँ से भी उन्हें निराशा ही हाथ लगी।
लेख एक नज़र में
अमिताभ बच्चन का जन्म 11 अक्टूबर 1942 को इलाहाबाद, उत्तर प्रदेश में हुआ। उनके पिता हरिवंश राय बच्चन, एक प्रसिद्ध कवि थे, जिन्होंने उन्हें जीवन में आगे बढ़ने की प्रेरणा दी। लेकिन अमिताभ को बचपन से ही संघर्ष करना पड़ा। उनकी गहरी आवाज़ और कद-काठी के कारण उन्हें कई बार रिजेक्शन का सामना करना पड़ा। उन्होंने मुंबई में अपने सपनों को पूरा करने के लिए कदम रखा, लेकिन शुरुआती असफलताएं और ऑल इंडिया रेडियो से निराशा मिली।
फिर भी उन्होंने हार नहीं मानी। 1969 में उनकी पहली फिल्म ‘सात हिंदुस्तानी’ आई, लेकिन असली सफलता 1973 की फिल्म 'जंजीर' से मिली, जिसने उन्हें 'एंग्री यंग मैन' का खिताब दिलाया। अमिताभ की यह कहानी साबित करती है कि मेहनत और लगन से कोई भी इंसान बड़ी से बड़ी मुश्किलों को पार कर सकता है। उनका जीवन संघर्षरत लोगों के लिए एक प्रेरणा है।
लेकिन किस्मत कब किसका साथ देती है, यह कोई नहीं जानता। अमिताभ की कड़ी मेहनत और अपने सपनों के प्रति उनकी निष्ठा ने आखिरकार रंग लाई। 1969 में उनकी पहली फिल्म ‘सात हिंदुस्तानी’ रिलीज़ हुई। हालांकि फिल्म ज्यादा नहीं चली, लेकिन अमिताभ की मेहनत ने उन्हें बॉलीवुड में एक पहचान दिलाई। इसके बाद भी उन्हें एक के बाद एक फिल्मों में नाकामी का सामना करना पड़ा। लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी।
1973 में आई फिल्म 'जंजीर' ने उनकी किस्मत बदल दी। यह वही फिल्म थी जिसने अमिताभ को 'एंग्री यंग मैन' का खिताब दिया। लेकिन यहाँ तक पहुंचने के लिए उन्हें 12 फ्लॉप फिल्मों का सामना करना पड़ा था। अमिताभ की यह कहानी हमें सिखाती है कि अगर इंसान में मेहनत और लगन हो तो वह किसी भी मुश्किल को पार कर सकता है।
अमिताभ के जीवन का सबसे कठिन दौर 1982 में आया, जब फिल्म 'कुली' की शूटिंग के दौरान उन्हें गंभीर चोट लग गई थी। उस समय उनकी जान पर बन आई थी और वे महीनों तक अस्पताल में भर्ती रहे। उनकी हालत इतनी नाज़ुक हो गई थी कि डॉक्टर्स ने भी उम्मीद छोड़ दी थी। लेकिन उनकी ज़िंदगी के इस संघर्ष ने पूरे देश को एकजुट कर दिया। लोग मंदिरों और मस्जिदों में उनकी सलामती की दुआ करने लगे। और एक दिन चमत्कार हुआ, जब अमिताभ ने आंखें खोलीं।
अमिताभ की इस संघर्षमय कहानी ने करोड़ों दिलों को छू लिया। उन्होंने मौत को हराकर न केवल अपनी ज़िंदगी वापस पाई, बल्कि इसके बाद उन्होंने और भी ज्यादा मेहनत से काम किया। उन्होंने साबित कर दिया कि अगर इंसान के पास जीने का जज़्बा हो, तो मौत भी उसके आगे हार मान लेती है।
अमिताभ बच्चन ने अपने करियर में 200 से ज्यादा फिल्मों में काम किया है। उन्होंने अपने जीवन में एक से एक यादगार भूमिकाएं निभाई हैं, जिनमें 'शोले', 'दीवार', 'डॉन', 'मुकद्दर का सिकंदर', 'सिलसिला', 'अग्निपथ' जैसी फिल्में शामिल हैं। उनकी अदाकारी ने उन्हें बॉलीवुड का शहंशाह बना दिया। आज भी, उनके डायलॉग्स लोगों की जुबान पर रहते हैं।
उनकी मेहनत, संघर्ष और न कभी हार मानने वाली सोच ने उन्हें फिल्म इंडस्ट्री का 'महानायक' बना दिया। 60 साल की उम्र के बाद जब बहुत से लोग रिटायरमेंट की सोचते हैं, अमिताभ ने तब ‘कौन बनेगा करोड़पति’ शो के जरिए एक नई शुरुआत की। उनके इस कदम ने उन्हें घर-घर में लोकप्रिय बना दिया। उन्होंने अपनी आवाज़ और बुद्धिमत्ता से लोगों का दिल जीत लिया।
अमिताभ बच्चन का जीवन हमें सिखाता है कि जिंदगी में कितनी भी मुश्किलें आएं, हमें हार नहीं माननी चाहिए। उनका संघर्ष हमें यह सीख देता है कि असफलता का सामना करने से इंसान मजबूत बनता है। उन्होंने खुद को बार-बार साबित किया और दिखाया कि मेहनत का कोई विकल्प नहीं है। उनका जीवन हमें यह भी सिखाता है कि मुश्किल समय में भी सकारात्मक रहना कितना जरूरी है।
आज अमिताभ बच्चन न केवल एक सफल अभिनेता हैं, बल्कि एक महान इंसान भी हैं। उन्होंने अपने संघर्षों से न केवल अपनी, बल्कि लाखों लोगों की जिंदगी बदल दी है। उनके जीवन की कहानी हर उस व्यक्ति के लिए प्रेरणा है, जो अपने जीवन में संघर्ष कर रहा है। उनके जन्मदिन पर हम सभी उनसे यही सीख सकते हैं कि चाहे जिंदगी में कितनी भी मुश्किलें आएं, हमें कभी हार नहीं माननी चाहिए।
आज, जब अमिताभ बच्चन अपने जीवन के 82 साल पूरे कर रहे हैं, हम उन्हें दिल से शुभकामनाएं देते हैं। उनके संघर्ष और सफलता की यह कहानी हमारे दिलों को छू जाती है और हमें यह सिखाती है कि जिंदगी में कितनी भी मुश्किलें आएं, अगर इंसान में मेहनत, जज़्बा और धैर्य है, तो वह किसी भी ऊंचाई को छू सकता है। अमिताभ बच्चन के संघर्ष की कहानी हर उम्र के लोगों के लिए प्रेरणा है, और उनके जीवन की हर बात हमें यह याद दिलाती है कि ‘कभी भी हार मत मानो’।
अमिताभ बच्चन को उनके जन्मदिन पर ढेर सारी शुभकामनाएं और उनकी आने वाली जिंदगी भी ऐसे ही सफलता और प्रेरणा से भरी रहे।
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