कनाडा में भारतीयों की संख्या का अंदाज़ा लगाना मुश्किल है, हर एक का अनुमान अलग अलग है, कोई कहता है 15 लाख तो कोई 20 लाख, किसी किसी का अंदाज़ा 25-30 लाख तक है.. खैर मेरा तात्पर्य भारतीयों को गिनने का नहीं है. सीधे सीधे यह कहने का है की भाई इतनी बड़ी संख्या अपनी है तो अपने हिन्दुस्तानी खाने के चाहने वालों के लिए भी जगह तो होंगी...और हर जगह होगी.
टोरंटो में तो आपको हर जगह कोई न कोई और विभिन्न तरह के भारतीय खाने के होटल, किचन, बड़े रेस्तरां, कार्नर मिल जायेंगे और नाम भी बहुत ही आकर्षक होते हैं...इसी को ध्यान में रखते हुए सोचा चलो मेरी इस बार के लेखों की श्रंखला में भारतीय भोजन के विभिन्न रेस्तरां का बस परिचय आपसे करवा दिया जाये, ताकि जब आप यहाँ आयें तो आपके पास अपने भोजन को पाने की कुछ न कुछ जानकारी हो और आप परेशान न हों की कनाडा में अपना भोजन मिलेगा या नहीं...
आपको ले कर चलते हैं अल्बर्टा राज्य के शहर कैलगरी के ‘कलकत्ता क्रिकेट क्लब’ रेस्तरां में,
वैसे कलकत्ता क्रिकेट क्लब की स्थापना 1792 में बंगाल में हुई थी लेकिन इसका उससे कोई सम्बन्ध नहीं हैं बस नाम पसंद आया और आकर्षक लगा तो इसके मालिक माया गोहिल नें इसको उसी आकर्षक रूप में ढाल कर बेहतरीन रेस्तरां बना दिया जिसको देख कर लोग ठिठक जाते हैं, जहाँ आपको बंगाल की प्रसिद्ध विभिन्न प्रकार की स्वादिष्ट भोजन की श्रंखला उपलब्ध है और उतरी भारत के साथ कॉन्टिनेंटल भोजन भी उपलब्ध है. रेस्तरां पर लगे क्रिकेट के पुराने धुरंधरों की फोटो आपको बरबस आकर्षित कर लेती हैं और कुछ पुरानी पारिवारिक ब्लैक एंड वाइट फोटो भी अपनी कुछ कहानी कह जाती हैं...
एक बार में करीब 150 लोगों की आवभगत के सक्षम कलकत्ता क्रिकेट क्लब में किसी भी तरह के पारिवारिक, सामाजिक तथा मनोरंजन कार्यक्रम कर सकते हैं हैं...अपनी देशी भाषा में कहूं तो एक यह सही अड्डा है मिलने जुलने का ...
हमने भी पेट भर के भोजन किया और पूरा लुत्फ़ उठाया ..टोरंटो से चार घंटे की फ्लाइट के बाद इतना अच्छा मनभावन खाना मिलेगा उम्मीद कम थी क्योंकि इसके बाद तीन घंटे की ड्राइविंग भी थी...संशय यह भी था की कैलगरी में कोई हिन्दुस्तानी खाना मिलेगा ? तो वो भी दूर हो गया..
आप जब भी कभी कैलगरी आयें तो ‘कलकत्ता क्रिकेट क्लब’ जायें ज़रूर. हाँ इस बात का ध्यान रखे की लज़ीज़ खाना तो मिलेगा क्रिकेट नहीं
केलगिरी एक बड़ा शहर है जहाँ आबादी काफी है और हवाई अड्डा भी है तो वहां तो ऐसे रेस्तरां मिलना स्वाभविक था लेकिन केलगिरी से 160 किलोमीटर दूर ज़मींन से 4000 फीट उपर बसे शहर में जिसकी आबादी हमारे एक गाँव से भी कम है लेकिन पर्यटन स्थल गजब का होने के कारण पूरे दिन शहर में भीड़भाड़ लगी रहती है. विश्व के कोने कोने से लोग यहाँ दिखाई पड़ते हैं बात चल रही है भारतीय भोजन की उपलब्धता पर बैन्फ़ में भी हम तो भारतीय भोजन को तलाश भी नहीं रहे थे क्योंकि उम्मीद कम थी लेकिन घूमते घूमते एक नही. दो नहीं बल्कि तीन तीन रेस्तरां मिले, जिनके नाम थे. ज़ायका, मसाला और इंडियन बिस्तरों..सभी बैन्फ़ अवेन्यु पर...आश्चर्य हुआ...और हमने बिना समय गवाएं जायका जो की पहली मंजिल पर था पहुँच गये...
बड़ा अच्छा लगा देख कर बहुत नही खूबसूरत तरीके दक्षिण एवं उतरी भरतीय संस्कृति के समावेश से सजाया गया था, अनेक स्थानों पर अनेक भगवानो की तस्वीरें, मूर्ति लगी हुई थी...बुफे खाना लगा हुआ था...वेज, नॉन-वेज दोनों की कई डिशेज लगी हुई थी, सलाद भी कई तरह का, गर्म गुलाब जामुन, आइसक्रीम, रोटियां भी कई तरह की...बस रहा नही गया पहले दाम पूछ लिया की भाई कहीं जेब न खाली हो जाए तो मालूम पड़ा को की मात्र 22 कैनेडियन डॉलर प्रत्येक व्यक्ति..फिर तो हम सब लोग टूट पड़े...भूख जो भयंकर लगी थी...
खाना था बहुत ही स्वादिष्ट और मज़ेदार. भर पेट खाने के बाद रेस्तरां की कुछ जानकारी ली तो मालूम पड़ा की इसके मालिक हैं श्री अनीश योहन्नान जी जो की केरल से हैं और होटल लाइन का एक बृहद अनुभव रखते हैं..लेकिन जिन्होंने हमारी खातिरदारी बहुत ही बढ़िया तरीके से करी वो थे मेनेजर साहिब श्री नरेन् कुमार हैदराबाद से...पूरा स्टाफ बहुत ही विनम्र था..
नरेन् ने बताया की अभी दो वर्ष पहले ही यह रेस्तरां ज़ायका शुरू हुआ है और यहाँ पर सुबह दक्षिण भारतीय नाश्ता होता है. दोपहर में मिक्स होता है और डिनर में उतरी भारतीय भोजन चलता है जिसको खाने के लिए भारतीय तो आते ही हैं साथ में सभी देशों के लोग भी बहुत आते हैं...शाम को जगह मिलनी मुश्किल होती है..क्योंकि साथ में बार भी चलता है..
आप यहाँ आयें निश्चिंत हो कर अपने देशी भोजन को छक कर खाएं...
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