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आज का संस्करण

नई दिल्ली, 19 दिसंबर 2023

अमिताभ श्रीवास्तव

A person wearing a blue hat and glasses

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क बार फिर चेले ने गुरु को मात दे दी।

शतरंज के खेल में मोदी ने ये पहली बार आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी को शह नहीं दी है।

वो खेल तो २०१४ में ही शुरू हो गया था जब पार्टी ने इन दोनों शीर्ष और मान्य‌ नेताओं को उन के उम्रदराज होने की सज़ा देते हुए उन्हें मार्ग दर्शक मंडल में भेज दिया था।

पिछले नौ वर्षों में उन्हें और देश को समझ आ गया कि ये उम्रदराज लोगों को उम्रकैद देने का राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का नया तरीका था।

ना वो कुछ बोल सकते थे ना कुछ कर सकते थे।

ऐसा भी नहीं था कि उनके चाहने वालों ने उनको दरकिनार कर दिया था। आडवाणी जी को जहां से टिकट मिली वो अपनी सीट निकाल कर लाये।

और यही शायद उनको उल्टा पड़ गया।

उन्हीं के एक हम उम्र सुब्रमण्यन स्वामी हैं।ऊनको‌‌ हमेशा ये शिकवा रहा कि भाजपा ने उनको मंत्री नहीं बनाया वरना वो अरुण जेटली और निर्मला सीतारमण से अच्छे वित्त मंत्री साबित होते।

उनका कहना है कि पार्टी ने कभी ये फैसला नहीं लिया कि ७५ से अधिक उम्र वालों को मंत्री नहीं मनाया जायेगा।

लेकिन उनका हाल भी आडवाणी से कुछ अलग नहीं है।

लेकिन आज तो मोदी ने अयोध्या ट्रस्ट के द्वारा आडवाणी और जोशी को उनके स्वास्थ्य के कारण जनवरी के मंदिर के कार्यक्रम में आने को मना करवा कर इन दोनों को मात ही कर दी।

जिस आडवाणी की ऐतिहासिक रथयात्रा के कारण भाजपा संसद में अपना वर्चस्व स्थापित करने में सबसे आगे रही उस आडवाणी को पिक्चर से पूरी तरह गायब करना ही इतिहास का मास्टरस्ट्रोक माना जायेगा।

इसे कहते हैं एम ए इन एन्टायर पोलिटिकल साइंस!

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