क्षणिकाऐ
आज तुम उदास होओगे
आप सन्त नहीं,महंत नहीं,सिर्फ एक दुकान हैं !
आपस मे लड़ती नहीं,पूजा और नमाज़
कबतक , आखिर कब तक
कविता
क्षणिका
क्षणिकाएं
खिचड़ी संक्रांति
गाँधी जी का सामान
गोद में उसकी…..
चाहे हेड पड़े, या फिर टेल
त्योहारों का देश !
दिल्ली का द्वार !
दौर-ए-इलेक्शन
नज़्म
नज़्म गजह (गाज़ा)
पुस्तक समीक्षा
फागुन में मस्ती चढ़ी!
बंदर की कलाबाजी
बसन्त बनाम वेलेंटाइन डे !
बिगड़े हैं तेवर नगर के !
बैठे-ठाले
मानवाधिकार दिवस : 10 दिसंबर
मानो तो मौज़ है, वरना समस्या तो हर रोज है।
माल कल्चर:लैया रामदाने की !
मेरी बात : मेरी व्यंग यात्रा और मेरे मित्र
यूँ तो जिंदगी हसीन और खुशगवार है।
राजधानी
रावण का पुतला लगता है उदास
रास्ता ही मेरा घर है!
लघु प्रसंग
व्यंग
व्यंग्य, विसंगतियों का बैरोमीटर
श्रणिका
श्रणिकाऐ
समय बदल गया और हम?
हाइकु
हास्य व्यंग
हास्य व्यंग्य
हिंदी साहित्य के सांताक्लॉज धर्मवीर भारती
“मुस्कुराने के कारण ढूंढिए आपको हजार मिलेंगे "
We must explain to you how all seds this mistakens idea off denouncing pleasures and praising pain was born and I will give you a completed accounts..