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श्रणिकाऐ

नई दिल्ली, 14 फरवरी 2024

अनुप श्रीवास्तव

एक दिन सायबर कैफे के बाहर

दिख गया बसन्त

मैने कहा-कहाँ रहे यार ?

आज भी हो घोड़े पर सवार !

 

बहुत दिनों बाद

दिए हो दिखाई

इतने बेमुरौव्वत

कब से हो गए भाई !

 

पहले खेत खलिहानों में

खुलेआम नज़र आ जाते थे

अब गमलों तक मे दिखते नहीं

कहने को ऋतुओं के महंत हो

पर अब बसन्त की

तरह महकते नहीं

 

वह बिगड़ कर बोला-

क्यों पढ़े जा रहे हो

बिना गिनती का पहाड़ा

तुम्हे नज़र नहीं आरहा है

मौसम का माड़ा

हमने ऐसे ही नहीं

बदल दी है अपनी पाली

कांक्रीट के जंगल में

ढूढ़ रहे हो हरियाली !

 

मैने कहा-तुम्हारी आँखों मे तो

सवाल ही सवाल है

 

वो बोला-काहे का सवाल

और काहे का जवाब

हर तरफ बवाल ही बवाल

 

किस मौसम की बात करते हो

वह तो अब

परखनली में पल रहा है

और आदमी मौसम को

बराये ताख में रखकर

कभी आगे कभी पीछे चल रहा है

संस्कृति की बोल गई है टें

इधर बसन्त उधर वेलेंटाइन डे

 

कोयल अब उद्यानों में नहीं

किताबों में ही कूकती है

और आम्रमंजरियां

डालों में ही सूखती हैं

तितलियां किताबों में ही

ज्यादा नज़र आती हैं

पिछले कई सालों से

देश के कई भागों में

किसी ने नहीं देखी है

गौरैया मेरे भाई !

 

ऊंची ऊंची पैगें मारने वाले झूले

ड्राइंगरूमों में सिमटे खड़े हैं

दुनिया बाईसवीं शताब्दी

की ओर बढ़ रही है

लगता है आप अब भी

उन्नीसवीं शताब्दी में ही पड़ें हैं

 

घाघ और भड्डरी की कहावतें

हमें अब सुहाती नहीं है

मौसम की चिट्ठियां अब

किसी के घर मंडराती नहीं हैं

इस तरह की तमाम बातें

आउटडेटेड हो गईं हैं

कागज़ के फूल

असल से ज्यादा महकते हैं

वैलेंटाइन डे मनाने के लिए

लोग अब मालों डिस्को में

'वेल -इन -टाइम' थिरकते हैं

 

काहे  की  तीज

काहे की कजरी

और किस बात का ज्योनार

हमने अपने नक्शों पर

उकेर लिए हैं अपनी

मतलब के त्योहार

जब नदी-गांव-तालाब

शहर के हिस्से हो गए

तो हम भी

अंधेरों के किस्से हो गए

कहकर मुड़ते हुए

बसन्त को मैने रोका-

इस तरह हाथ छुड़ाकर

मत जाओ मेरे भाई ,

अपना पता तो बताकर

 जाओ मेरे भाई !

 

बसन्त बोला -

हम सभी अब

अपनी अपनी

बेबसाइटों पर हैं

और इंटरनेट पर ही

हमारा पता है-

लोग कंप्यूटर पर बैठकर

अपना माउस दबाते हैं

और हम बिना आवाज़ किये

अपना दुम दबाए हुए

एक देश से दूसरे देश तक

दौड़े चले जाते हैं

यकीन मानिए

अब हम आप

सभी आन लाइन हैं ..

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