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मेरा अनुभव रक्तदान करने का

प्रशांत कुमार गौतम

नई दिल्ली , 14 जून 2024

र वर्ष 14 जून को विश्व रक्तदाता दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस दिन का मुख्य उद्देश्य रक्तदान के महत्व को समझाना और लोगों को इस महान कार्य के लिए प्रेरित करना है। रक्तदान एक ऐसा महादान है, जिससे अनेक जिंदगियों को बचाया जा सकता है।

 

लगभग 1 साल से मैं अपना रक्तदान करने की सोच रहा थे दरअसल लॉकडाउन के समय मैं काफी बीमार पड़ गया और मेरे खून में यूरिक एसिड बढ़ गया था यूरिक एसिड मतलब जब हमारे खून की गंदगी जम जाती है तो वहाँ बहुत दर्द होता है ये अधिकतर जोड़ों में दर्द होता हैं।   मेरा यूरिक एसिड बढ़ गया तो उसके बाद मैंने सोचा कि मैं अपना रक्तदान कर देता हूँ उससे मेरा रक्त भी साफ हो जयगा लेकिन मैं दुबला पतला कमजोर डर लगता था घरवालों को बोला कि मुझे रक्तदान करना है तो वह भी हंसने लगे की तुम्हारे अंदर इतना खून है कि जो दान दे दोगे।  खैर अब मेरी अंतर आत्मा जाग चुकी थी रक्तदान करने की तो लगभग उसके 1 साल बाद 2023 मैंने अपने दोस्त को बोला की रक्तदान करने चलना है उन्होंने भी बोला हाँ चलते हैं रक्तदान से तो हमारी बॉडी में बेनिफिट होता है।

हम लोग छुट्टी वाले दिन इतवार को ब्लड बैंक पहुंचे डर तो लग रहा था मुझे अपने शरीर को देखकर फिर भी मैंने हिम्मत दिखाई और हम दोनों  ब्लड बैंक पहुँच गए।  तो जीस ब्लड बैंक में पहुंचे थे उस ब्लड बैंक में मेरी एक पुरानी छात्र नौकरी कर रही थी शिवानी उन्होंने पूछा अच्छा सर  ब्लड डोनेट करने आये हो मैंने हाँ  में उत्तर दिया तो उसने बोला कि सर हमारे कैंप लगते है उसमें आ जाते आपको कार्ड तो मिलता ही सर्टिफिकेट भी मिलता है और ट्राफी भी मिलती मैंने कहा कोई बात नहीं मुझे टॉफी नहीं चाहिए मुझे रक्तदान करना हम दोनों का हीमोग्लोबिन चेक हुआ हिमोग्लोबिन मेरा सही आया मेरे दोस्त का थोड़ा सा काम निकला तो मेरा दोस्त रक्तदान नहीं कर सका, तो फिर मैंने भी रक्तदान नहीं किया मैं थोड़ा डर गया और मैंने बोला कि मैं कैंप में ही रक्तदान करा दूंगा जब भी कैंप हो तो आप मुझे बता देना काफी सारे कैंप आये शिवानी मुझे बताती रही लेकिन जाना नहीं हो पा रहा था किसी वजह से।

1 दिन शिवानी का मैसेज आया की सर कल कैंप है रविवार का दिन था ऑफिस की छुट्टी थी मेने कहा कुछ भी हो जाता है कल जाना है और मैंने घर में बोल दिया की कल मुझे रक्त दान करने जाना है घरवालों ने कहा ठीक है

मैं सुबह उठा रेडी होकर नास्ता किया और अब सोचने लगा कि अपने साथ किसको ले जाऊं, कोई तो साथ होता चाहिए पहली बार रक्त दे रहा हु चक्कर वगेरा आगये तो तो मैंने अपने छोटे भाई को बोला और अपने छोटे भाई के साथ में रक्तदान करने के लिए जहाँ कैम्प लगा वहाँ पहुंचें मैंने शिवानी को कॉल किया उन्होंने अपने  एक स्टाफ मेम्बर बाहर भेजा जो हम लोगों को अंदर ले के गया थोड़ी बहुत बातचीत करने के बाद उन्होंने मेरा फॉर्म भरा फिर मेरा वजन किया उसके बाद मेरा हीमोग्लोबिन चेक किया उसके बाद मेरा ब्लड ग्रुप चेक किया और फिर मेरा ब्लड प्रेशर चेक किया।

इसके बाद मुझे उन्होंने अगले काउंटर पर भेजा और वहा पर मुझे उन्होंने सीरिंज दी ब्लड बैग दिया इसमें ब्लड जाएगा। अब वह सीरिंज देखकर थोड़ा सा डर लगने लगा क्योंकि वो सीरिंज बहुत मोटी थी मन में आया शायद मैंने गलत फैसला  ले लिया इतनी मोटी सीरिंज खैर हिम्मत दिखाई अब वापस तो जा नहीं सकते थे। मैं आगे गया और उन्होंने मुझे कुर्सी पर बिठाया जिस पर  ब्लड डोनेट करते हैं वो सीरिंज देखने में तो मोटी थी पर जब उन्होंने सीरिंज लगाई पता नहीं चला और फिर मैने रक्दान किया।

मैंने एक यूनिट ब्लड दे दिया उन्होंने मेरी सीरिंज बाहर निकाली पर थोड़ी देर बैठने के लिए कहा और एक फ़्रूटी दी और एक बिस्किट का पैकेट। यहाँ तक तो सब ठीक था उसके थोड़ी देर बाद मुझे हल्की सी कमजोरी महसूस होने लगी  थोड़ी देर बाद मेरा हल्का सा सर घूमने लगा और वोमिटिंग का मन होने लगा  लगभग 5 मिनट लेटने के बाद मैंने सोचा कि थोड़ी देर में ठीक हो जाएगा लेकिन सर घूमना और बढ़ गया इतने उनका सीनियर आ गया और उन्होंने मेरे पैर थोड़े ऊपर की तरफ उठाएं जैसे ही उन्होंने मेरे पैर उपरे की तरफ उठाएं 10 से 15 सेकंड बाद मुझे थोड़ा सा आराम मिलना चालू हुआ और लगभग उन्होंने 5 मिनट तक पैर ऊपर उठाकर रखें अब मुझे आराम मिल चुका था थोड़ी देर में पसीने आना अब बंद  हो गया अब वहाँ सब मेरे से कहने लगे की अच्छी तरह खा कर आना चाहिए।

जहाँ कैंप लग रहा था वहाँ के मैनेजर भी आए और मेरा उत्साह बढ़ाते हुए बोले घबराओ मत थोड़ी देर में सब ठीक हो जाएंगे उसके थोड़ी देर बाद मुझे आराम हुआ लेकिन मुझे कुर्सी से अभी उठने ही नहीं दिया बोले  की थोड़ी देर बैठे रहे हालांकि मेरे को शर्म आ रही थी कि मुझे चक्कर आ गए कोई देख के क्या कह रहा होगा की  खून देना बस की नी तो देते क्यों हो भाई लेकिन उन सभी लोगों ने मेरा उत्साह बढ़ाया और उन सभी ने मेरे लिए तालियां बजाईं और फिर मैं अपने घर की ओर आने लगा थोड़ी देर दूर चलने के बाद हमने रास्ते में कुछ खाया और फिर हम घर आ गए अब घर जाकर ये साडी कहानी अपने घरवालों को बताई कि मेरे साथ क्या क्या हुआ।  पहले तो घरवाले भी हंसने लगे और बोलने लगे हमने तो पहले ही बोला था इतना खून है जो ब्लड डोनेट कर देगे फिर घर वाले भी बोलने लगे कोई बात नहीं होता है पहली बार था। खैर कुछ भी रहा हो सही लेकिन रक्तदान करके मज़ा आया मज़ा नहीं बहुत मज़ा आया एक बार आप भी करके देखिए अच्छा लगता है

एक यूनिट रक्तदान से तीन लोगों की जान बचाई जा सकती है। रक्तदान से न केवल घायल और बीमार व्यक्तियों को जीवनदान मिलता है, रक्तदान न केवल दूसरों की जान बचाता है, बल्कि रक्त दान करने वाले  के लिए भी फायदेमंद होता है।  रक्तदान से शरीर में आयरन का स्तर नियंत्रित रहता है, जिससे आयरन ओवरलोडिंग का खतरा कम होता है। इससे हार्ट अटैक और कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों का खतरा भी कम होता है। इसके अलावा, रक्तदान करने से नई रक्त कोशिकाओं का निर्माण होता है, जिससे शरीर की प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है और शरीर में रक्त का संचार भी बेहतर होता है।

रक्तदान के प्रति कई मिथक प्रचलित हैं, जिनके कारण लोग रक्तदान से कतराते हैं। इनमें से एक प्रमुख मिथक यह है कि रक्तदान करने से कमजोरी आती है। जबकि सच्चाई यह है कि रक्तदान से किसी भी प्रकार की कमजोरी नहीं आती और शरीर कुछ ही दिनों में खोए हुए रक्त की पूर्ति कर लेता है। एक और मिथक यह है कि रक्तदान करने से वजन बढ़ता है, लेकिन यह भी पूर्णतया गलत है।

विश्व रक्तदाता दिवस हमें यह याद दिलाता है कि रक्तदान करके हम कई जिंदगियों को बचा सकते हैं। यह एक ऐसा कार्य है, जो न केवल मानवता की सेवा है, बल्कि स्वयं के स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी है।

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