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आज का संस्करण

नई दिल्ली, 7 दिसंबर 2023

अनूप  श्रीवास्तव 

राम मड़ैया है लगगयी,
है अब यमुना के पार,
यू पी में ही खोजिए ,
अब दिल्ली का द्वार.

रोचक खेल विपक्ष का,
रोज नई शुरुआत,
तू तू मै मै इस तरह,
डाल डाल फिर पात.

कष्ट उलूकों को बहुत,
उगता देख प्रभात,
मेघ बरस कर जा चुके,
फिर कैसी शुरुआत.

राजनीति में कृपा वश,
दिखता नहीं रुझान,
अंधों की खेती गयी,
लिख माधो के नाम .

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