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प्रशांत गौतम

A person in a suit

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नई दिल्ली | शुक्रवार | 2 अगस्त 2024

त्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी ने कावड़ियों के लिए कहा कि शिव बनने के लिए शिव जैसी साधना भी चाहिए उस प्रकार का मानुसासन भी चाहिए और तब यह कावड़ यात्रा न केवल श्रद्धा और विश्वास के प्रति के रूप में बल्कि आम जन के व्यापक विश्वास के प्रतिक बन कर उभरेगी।  योगी ने बताया की कावड़ ले जाने वाले श्रद्धालु कावड़ मार्ग पर हर तरह की सुविधा के इंतज़ाम किये गए है श्रद्धालुओ की किसी भी तरह की दिक्कत न हो इसके लिए निर्देश प्रशासन को भी दिए गए है।

योगी जी ने यह भी कहा कि मैं सभी शिव भक्तो से अपील करूंगा की देवो देव महादेव की कृपया हम पर बनी रहे और हम व्यवस्था के साथ जुड़ करके इस पूरी यात्रा का न केवल आनंद ले बल्कि पूरी श्र्द्धा और विश्वास के साथ आत्मानुशासन का परिचय देते हुए इस पावन मास के श्रावण कावड़ यात्रा का कार्यक्रम सफलतापूर्वक आगे बढ़ाने में अपना योगदान दे। योगी आदित्यनाथ एक अभिभावक की तरह कावड़ियों को सीख दे रहे थे कि कावड़ यात्रा को आस्था की यात्रा बनाये न की उसे बदनाम करने का काम करे।

श्रावण मास में शिव भक्त कांवड़ लेकर गंगा जल भरकर अपने स्थानीय शिवालयों में चढ़ाने के लिए निकलते हैं। यह यात्रा सदियों से चली आ रही है और भक्तों के लिए एक महत्वपूर्ण धार्मिक अनुष्ठान है। परंतु हाल के वर्षों में इस यात्रा से जुड़े कुछ नकारात्मक पहलू भी सामने आए हैं, जिन्हें नजरअंदाज करना कठिन हो गया है। इनमें सबसे प्रमुख है कांवड़ियों की दादागीरी ।

 

लेख एक नज़र में
 
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी ने कावड़ियों से अपील की है कि वे शिव जैसी साधना और मानुसासन के साथ कावड़ यात्रा करें। योगी ने बताया कि कावड़ मार्ग पर सभी सुविधाएं उपलब्ध कराई गई हैं और प्रशासन को निर्देश दिए गए हैं कि श्रद्धालुओं की किसी भी तरह की दिक्कत न हो।

कावड़ यात्रा एक पवित्र और धार्मिक अनुष्ठान है, लेकिन हाल के वर्षों में इस यात्रा से जुड़े कुछ नकारात्मक पहलू सामने आए हैं, जिनमें कावड़ियों की दादागीरी प्रमुख है।

कावड़िये अपने रास्ते में आने वाली हर चीज को अपने अनुसार मोड़ने की कोशिश करते हैं और हिंसा की घटनाएं भी आम होती जा रही हैं। प्रशासन, धार्मिक संगठनों और आम जनता को मिलकर काम करना होगा ताकि यह यात्रा अपने वास्तविक उद्देश्य की पूर्ति कर सके और समाज में शांति और सौहार्द बना रहे।

 

कांवड़ यात्रा के दौरान सड़कों पर हजारों कांवड़ियों की भीड़ देखी जा सकती है। ये भक्त अलग-अलग समूहों में होते हैं और इनके साथ डीजे, लाउडस्पीकर और बड़ी गाड़ियों का काफिला होता है। इस यात्रा के कारण ट्रैफिक जाम और आम जनता के लिए असुविधा का सामना करना पड़ता है।

कई बार यह देखा गया है कि कांवड़िये अपने रास्ते में आने वाली हर चीज को अपने अनुसार मोड़ने की कोशिश करते हैं। अगर कोई वाहन या व्यक्ति उनके रास्ते में आता है, तो वे हिंसक हो सकते हैं। यह स्थिति खासकर उन शहरों और कस्बों में ज्यादा गंभीर हो जाती है, जहां यातायात की स्थिति पहले से ही कमजोर है।

कांवड़ यात्रा के दौरान हिंसा की घटनाएं भी आम होती जा रही हैं। छोटी-छोटी बातों पर कांवड़िये उग्र हो जाते हैं और तोड़फोड़ करने लगते हैं। कई बार पुलिस और प्रशासन को भी इनकी दादागीरी के आगे झुकना पड़ता है। इसका सबसे बड़ा उदाहरण दिल्ली और यूपी के कुछ हिस्सों में देखने को मिला, जहां कांवड़ियों ने सड़कों पर जमकर उत्पात मचाया और पुलिस को भी उनके सामने मजबूर होना पड़ा।

कांवड़ यात्रा का उद्देश्य धार्मिक आस्था और भक्ति होता है, लेकिन जब यह आस्था दूसरों के लिए आतंक का कारण बन जाए, तो इसे स्वीकार करना कठिन हो जाता है। धार्मिक यात्रा का मतलब यह नहीं होना चाहिए कि उसमें शामिल लोग कानून व्यवस्था को हाथ में लें और आम जनता को परेशानी में डालें।

कांवड़ियों की दादागीरी  के पीछे कई कारण हो सकते हैं। उनमें से एक कारण यह हो सकता है कि वे अपने समूह में होते हैं और संख्या में अधिक होने के कारण वे खुद को शक्तिशाली महसूस करते हैं। इसके अलावा, कई बार धार्मिक यात्रा में शामिल लोग अपनी पहचान और प्रभाव को दिखाने के लिए भी इस तरह का व्यवहार करते हैं।

प्रशासन की भूमिका इस स्थिति को संभालने में महत्वपूर्ण होती है। हालांकि, कई बार देखा गया है कि प्रशासन भी कांवड़ियों के सामने कमजोर पड़ जाता है। इसके पीछे कारण यह हो सकता है कि प्रशासन धार्मिक भावनाओं को ठेस नहीं पहुंचाना चाहता और इसलिए वे इनकी हरकतों को नजरअंदाज करते हैं। लेकिन यह स्थिति सामाजिक व्यवस्था के लिए खतरनाक हो सकती है।

कांवड़ियों की दादागीरी को रोकने के लिए कुछ ठोस कदम उठाए जा सकते हैं। सबसे पहले, प्रशासन को कांवड़ यात्रा के दौरान कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए सख्त कदम उठाने चाहिए। किसी भी प्रकार की हिंसा और तोड़फोड़ को सख्ती से निपटाना चाहिए और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए।

दूसरे, धार्मिक संगठनों और कांवड़ संघों को भी अपनी जिम्मेदारी समझनी चाहिए और अपने सदस्यों को अनुशासन और संयम का पाठ पढ़ाना चाहिए। उन्हें यह समझाना चाहिए कि धार्मिक यात्रा का उद्देश्य भक्ति और सेवा है, न कि हिंसा और उत्पात।

तीसरे, आम जनता को भी सहयोग करना चाहिए और यात्रा के दौरान कांवड़ियों के साथ सहयोग करना चाहिए। हालांकि, यदि कोई कांवड़िया अनुशासनहीनता करता है, तो उसकी शिकायत तुरंत प्रशासन से की जानी चाहिए।

कांवड़ यात्रा एक पवित्र और धार्मिक अनुष्ठान है, जिसे सम्मान और श्रद्धा के साथ मनाया जाना चाहिए। लेकिन जब यह यात्रा आम जनता के लिए परेशानी और डर का कारण बन जाए, तो इसे गंभीरता से लेना आवश्यक हो जाता है। कांवड़ियों की दादागीरी को रोकने के लिए प्रशासन, धार्मिक संगठनों और आम जनता को मिलकर काम करना होगा ताकि यह यात्रा अपने वास्तविक उद्देश्य की पूर्ति कर सके और समाज में शांति और सौहार्द बना रहे।

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