अड्डेबाज़ी के लिए लखनऊ का कॉफ़ी हॉउस दूर-दूर विख्यात है। यह देश के बड़े बड़े नेताओ और पत्रकाओ और बुद्धिजीवी का आपसी विचार विमर्श का स्थान रहा है। लेकिन कॉफ़ी हॉउस लखनऊ में अड्डेबाजी का अकेला स्थान नहीं है और भी बहुत सी जगह लखनऊ में इस तरह की बैठक होती है।
बैठकबाजी के एक अड्डा हजरतगंज मैं बेनबोज रेस्टोरेंट था जहां आज छंगामल की कपड़ों की दुकान है। बेनबोज रेस्टोरेंट के मालिक सरदार ओबराय थे और उनके मैनेजर दत्ता बाबू थे। आज भी सरदार जी का हमेशा तरोताजा चूड़ीदार पजामा अचकन और शानदार पगड़ी और उनकी मुस्कराहट याद है।
इस ज़माने में राजनेता, पत्रकार, साहित्यकार सब लोग बेनबोज मैं बैठते थे। वहां शाम को रौनक होती थी। काफी हाउस को लोअर हाउस कहा जाता था और बेनबोज अपर हाउस था।
बैनबोज की बेकरी बहुत मशहूर थी। सफेद रसगुल्ला और केक के लिए लोग दूर दूर से आते थे। चाकलेट मिठाई भी बहुत मशहूर थी। उस ज़माने में प्रदेश के वरिष्ठ नेता और मंत्री बेनबोज का केक दिल्ली में असरदार लोगों के लिए लेकर जाते थे।
आज भी चौक नक्कास के रेडरोज होटल में चाय और अखबार लेकर बहस करते हुए देखे जा सकते हैं। इसी तरह चौक में वजीरु होटल था वो भी बहुत पुराना अड्डा था।
लालजी टंडन जी का मानना था कि राजा ठंडाई की दुकान जहां पहले बुर्जियों के बीच थी वो भी पुराने लखनऊ का मशहूर अड्डा था। शाम को लोग तैयार होकर चौक के लोग।राजा टंडाई पीने के बहाने इकट्ठा होते थे और राजनैतिक और साहित्यिक बहस में हिस्सा लेते थे। तमाम शायर चौक के इन अड्डों पर देखे जाते थे।
इसी तरह अमीनाबाद मैं अब्दुल्लाह होटल भी देर रात तक बैठकबाजी के लिए मशहूर था। संगीत के बादशाह नौशाद साब ने काफी साल पहले मुझे बताया था कि वे और उनके दोस्त पत्रकार अमीन सालोनवी अब्दुल्लाह होटल में बैठते थे। बाद अमीन सालोनवी के बेटे मोबीन जो स्थानीय पायनियर मैं कार्यरत थे वहां नियमित जाते थे। अवकाषप्राप्त हाई कोर्ट जज हैदर अब्बास अपने छात्र जीवन और बाद में कांग्रेस लीडर की हैसियत से अपने मित्र और पत्रकार सरजू मिश्र के साथ अब्दुल्लाह होटल जाते थे। मशहूर शायर और गीतकार हसन कमाल भी अपनी मंडली के साथ अब्दुल्ला होटल में बैठते रहे हैं।
अमीनाबाद मैं सुंदर सिंह शर्बतवाले की दुकान।एक ज़माने में राजनेताओं और साहित्यकारों की।बैठकी का अड्डा रहा है।
इसी तरह अमीनाबाद मैं कंछना रेस्टोरेंट भी साहित्यिक गतिविधियों का केंद्र रहा है जहां साहित्यकार बहस कर हुए देखे जाते रहे हैं। वरिष्ठ साहित्यकार और आलोचक वीरेंद्र यादव का कहना है कि इप्ता के राकेश जी से पहली मुलाकात कंछना मैं हुई और फिर वे दोनो बराबर मिलते रहे। लखनऊ के पूर्व मेयर डा दाऊजी गुप्ता, जिनको हमने कोरोना मैं खो दिया, ने बताया था कि वे और अन्य साहित्यकार कंचना मैं नियमित बैठते थे। पत्रकार साहित्यकार अखिलेश मिश्र भी वहां नियमित बैठते थे। कंचना रेस्त्रां के बगल में हिन्द स्टूडियो भी कवियों का अड्डा था जहाँ वरिष्ठ कवि रमेश गुप्त ,विष्णु कुमार त्रिपाठी राकेश, दिवाकर, स्नेहलता ,सुमित्रा जीअनूप श्रीवास्तव,प्रभात शंकर, आलोक शुक्ल, ब्रजेन्द्र खरे,रामबहादुर बहादुर भदौरिया नियमित मिलते थे। कवियों को बुकिंग सुनते है वही से होती थी।
कैसरबाग मैं नेशनल हेराल्ड ऑफिस के पास जनता काफी हाउस था जहां पत्रकार, साहित्यकार और छात्र नेता बराबर डोसा इडली और काफी पर बहस करते हुए दिखते थे। अतुल अंजान का कहना है वे वहां नियमित बैठते अपनी मंडली के साथ और स्वतंत्र भारत, पायनियर ,नेशनल हेराल्ड, नवजीवन और कौमी आवाज से जुड़े पत्रकार भी वहां मिलते थे। पत्रकार अनूप जी और गोपाल मिश्र ने बताया कि इमरजेंसी में खबरों के लिए स्वतंत्रभारत के संपादक अशोक जी ने नियमित काफी हाउस में बैठने का भत्ता बांध दिया था।
धर्मयुग के सम्पादक धर्मवीर भारती ने राजेश शर्मा और अनूप श्रीवास्तव से लखनऊ काफी हाउस पर विशेष लेख लिखवाया था।
पास में ही नजीराबाद अमीनाबाद मैं अम्माजी और तिवारी जी का नेशनल कैप स्टोर था जहां पत्रकार साहित्यकार और राजनेता जुड़ते थे। एक ज़माना था जब सीबी गुप्ता भी वहीं देखे जाते थे। हम भी जब अपने पिता पत्रकार बिशन कपूर के साथ अमीनाबाद जाते तो अम्माजी और तिवारी जी के नेशनल कैप स्टोर जरूर जातें थे।
हजरतगंज मैं जहां आजकल साहू सिनेमा है वहां फिल्मिस्तान था और नीचे प्रिंस सिनेमा था। उसी बिल्डिंग में न्यू इंडिया काफी हाउस था जो 50 और 60 के दशक में लखनऊ यूनिवर्सिटी के छात्र और राजनेताओं की बैठकी का केंद्र रहा है।
इन सार्वजनिक अड्डों के अतिरिक्त पत्रकारों तथा राजनेताओं के लिए पंडित नेकराम शर्मा का पार्क रोड कॉलोनी में आवास भी बहुत चर्चित अड्डा रहा है। नेकराम शर्मा जी अलीगढ़ से कई बार कांग्रेस के विधायक भी रहे। नेकराम शर्मा जी ने अपने आवास के दरवाजे पत्रकार,संपादक,नेता और साहित्यकारों के लाई खोल दिए थे। नेकराम शर्मा जी का अड्डा हमेशा आबाद रहता था खाने पीने का पर्याप्त इंतजाम रहता था। कभी कभी विदेशी राजदूत और उनके सहायक भी प्रदेश की राजनीति की नब्ज समझने के लिए नेकराम शर्मा जी के आवास पहुंचते थे।
हजरतगंज मैं शहनाजफ रोड पर शुक्ला चाट के बगल में चरन सेफ वर्क्स के कौनेवाले कमरे में बहुत बड़ा राजनैतिक अड्डा हुए करता था। जिसका संचालन चरन सेफ के मालिक कैलाश खन्ना जी जो कभी रफी अहमद किदवई के राजनैतिक सचिव थे, करते थे। खन्ना जी का संबंध उस दौर के नेताओं,पत्रकारों से बहुत घनिष्ठ थे। खास बात यह थी वामपंथियों से लेकर दक्षिणपंथी सब उनके अड्डे पर अपने को सहज पाते थे। खन्ना जी के बड़े भाई बीएन खन्ना जनसंघ के बड़े नेता थे जिनके मवैया वाले घर पर पंडित दीन दयाल उपाध्याय से लेकर नानाजी देशमुख और सुब्रमण्यम स्वामी सभी लोग समय समय पर रहे हैं।
हजरतगंज चरण सेफ वर्क के अड्डे पर सीपीआई नेता रमेश सिन्हा, उनकी पत्नी कौमुदी जी, सोशलिस्ट नेता रजनीकांत वर्मा और उनकी पत्नी हबीबा बानो तहसीन, कांग्रेस नेता मोहसिना किदवई और उनके पति खलील किदवई, प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के नेता डा राम चंद्र शुक्ला, बैरिस्टर राम आधार पांडे, कांग्रेस नेता क्रांति कुमार, आगा जैदी, वीपी सिंह सरकार के ग्रह मंत्री चौधरी नौनिहाल सिंह, कांग्रेस नेता जो बाद में मुख्यमंत्री बने श्रीपति मिश्र, बीपी शुक्ला, चंबल घाटी पीस मिशन से जुड़े सुब्बा राव जी, हरदोई के बब्बू मिश्र , मेरे पिता बिशन कपूर समय समय पर राजनैतिक मुद्दों पर बहस करते हुए मिल जाते थे। कैलाश खन्ना जी का दिल बहुत बड़ा था इसलिए चाय नाश्ता और चाट का इंतजाम भरपूर रहता था। खास बात यह है कि खन्ना जी के अड्डे पर बैठनेवालों की दूसरी जेनरेशन भी आज संबंध बनाए हुए है।
आजकल गोमतीनगर मैं एसिड विक्टिम्स द्वारा संचालित सीरोज़ भी बहुत महत्वपूर्ण अड्डा बनकर सामने आया है खास तौर से युवा पीढ़ी के लिए। सीरोज मैं भी पत्रकार, साहित्यकार और विभिन्न राजनैतिक दलों के नेता बहस में उलझे देखे का सकते हैं। वहां बहुत खुलापन है और काफी और खाना भी सस्ता है और मन को तसल्ली भी होती है की एसिड विक्टिम्स की मदद हो रही है।(शब्द1150)
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