अग्निवीर योजना को लेकर देश में विभिन्न विचारधाराओं के बीच काफी बहस हो रही है। कुछ इसे राष्ट्रीय सुरक्षा के दृष्टिकोण से एक महत्वपूर्ण कदम मानते हैं, जबकि अन्य इसके पीछे छिपे राजनीतिक एजेंडे की आशंका व्यक्त कर रहे हैं। इस योजना की शुरुआत में इसे युवाओं को सैन्य प्रशिक्षण प्रदान करने और भविष्य में उन्हें सेना का हिस्सा बनाने के उद्देश्य से प्रस्तुत किया गया था। लेकिन हाल में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के मुखपत्र 'ऑर्गनाइज़र' के संपादक के बयान ने इस योजना के पीछे के असली उद्देश्य को लेकर सवाल खड़े कर दिए हैं।
आरएसएस के संपादक प्रफुल्ल केतकर ने हाल ही में एक बयान में कहा कि अग्निवीर योजना का उद्देश्य देश के अंदर उत्पन्न होने वाली आकस्मिक सुरक्षा स्थितियों से निपटने के लिए सैन्य प्रशिक्षित व्यक्तियों को तैयार करना है। इस बयान ने इस योजना के उद्देश्यों पर एक नई बहस छेड़ दी है। क्या वास्तव में यह योजना देश की सुरक्षा के लिए बनाई गई है या इसके पीछे आरएसएस का कोई राजनीतिक एजेंडा है?
चार साल के छोटे से प्रशिक्षण कार्यक्रम के माध्यम से किसी को पूरी तरह से प्रशिक्षित सैनिक बनाना संभव नहीं है। वे सवाल उठाते हैं कि जब सेना में पूर्णकालिक सैनिकों को लंबे समय तक प्रशिक्षण दिया जाता है, तो अग्निवीर योजना में इतनी कम अवधि में युवाओं को कितनी प्रभावी ट्रेनिंग दी जा सकती है?
अग्निवीर योजना के तहत भर्ती किए गए युवाओं को केवल चार साल की नौकरी के बाद सेना से हटा दिया जाएगा। ऐसे में सवाल यह उठता है कि इन युवाओं का भविष्य क्या होगा? 23-24 साल की उम्र में सेना से रिटायर होने के बाद उन्हें कौन सी नौकरियां मिलेंगी? हमारे देश में पहले से ही बेरोजगारी की समस्या है, और ऐसे में इन युवाओं के पास भविष्य के लिए क्या विकल्प होंगे?
कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री और जनता दल (एस) के नेता एच.डी. कुमारस्वामी ने भी अग्निवीर योजना को लेकर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि यह योजना सेना को आरएसएस के नियंत्रण में लाने की कोशिश है। उनका मानना है कि यह योजना सेना के 75% अग्निवीरों को रिटायर करके उन्हें आरएसएस के साथ जोड़ने की साजिश है। इससे आरएसएस के प्रभाव में वृद्धि होगी, जो पहले से ही विभिन्न संस्थाओं में अपनी पकड़ मजबूत करने की कोशिश कर रहा है।
आरएसएस लगातार अपनी विचारधारा को सेना और अन्य सरकारी संस्थानों में फैलाने की कोशिश कर रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि आरएसएस ने पहले से ही कुछ मिलिट्री स्कूलों में हिंदुत्व की विचारधारा को बढ़ावा देने का प्रयास किया है। ऐसे में अग्निवीर योजना के तहत भर्ती किए गए युवा आसानी से आरएसएस की विचारधारा से प्रभावित हो सकते हैं।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस योजना के समर्थन में कहा है कि अग्निवीर न केवल सुरक्षा के क्षेत्र में बल्कि देश की समृद्धि में भी योगदान देंगे। उनके अनुसार, अग्निवीर युवाओं को अनुशासन, कौशल और शिक्षा के माध्यम से समाज के लिए एक प्रेरणादायक उदाहरण बनाएंगे। लेकिन चार साल की नौकरी के बाद युवाओं को रिटायर कर देने से उनकी समृद्धि और सुरक्षा पर कोई सकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ेगा। इसके बजाय, यह योजना उन्हें अस्थिर भविष्य की ओर धकेल सकती है।
कुछ लोगों का मानना है कि अग्निवीर योजना का असली उद्देश्य सरकार के सैन्य खर्चों को कम करना है। नियमित सैनिकों के मुकाबले अग्निवीर पर कम खर्च आता है, क्योंकि उन्हें पेंशन जैसी सुविधाएं नहीं मिलतीं। लेकिन इस तर्क के साथ भी कई सवाल खड़े होते हैं। यदि ये युवा चार साल के बाद बेरोजगार हो जाएंगे, तो क्या यह सचमुच राष्ट्रीय समृद्धि के लिए सही कदम है?
अग्निवीर योजना को लेकर देश में गहरी चिंताएं हैं। जहां एक तरफ इसे राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में प्रस्तुत किया जा रहा है, वहीं दूसरी ओर इसे राजनीतिक एजेंडे के तहत आरएसएस की विचारधारा को फैलाने का एक उपकरण माना जा रहा है। योजना के तहत युवाओं के लिए सीमित अवधि की नौकरी और उसके बाद अस्थिर भविष्य को लेकर भी सवाल उठ रहे हैं। यह स्पष्ट है कि इस योजना के असली उद्देश्यों और प्रभावों को लेकर और अधिक पारदर्शिता की आवश्यकता है।
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