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नई दिल्ली, 14 नवंबर 2023

प्रिय जवाहर !


आज तुम उदास होओगे
क्योंकि तुम्हारा देश
जबरन तुम्हें भुलाने की
अथक कोशिश कर रहा है

मैंने तुमसे कहा था
कि छोटा आदमी
दूसरे का बड़प्पन
बर्दाश्त नहीं कर पाता

वह उसे अपने स्तर पर
लाने के लिए
उसका चरित्र हनन करता है

दुश्चरित्र को असीम आनंद
मिलता है इस काम में
क्योंकि जो उसके पास नहीं
वह दूसरों के पास कैसे हो!

तुम्हें पता ही होगा
बौना आदमी
अपने क़द को छिपाने
विशाल मूर्तियाँ गढ़वाता है
और मूर्ति के शीर्ष पर खड़ा हो
अपना ओछापन पोंछता है

तुम्हारी तस्वीर 
संसद में हो न हो
कोई फ़र्क नहीं
किंतु इतिहास देवता की बही में
तुमसे बड़ा लोकतांत्रिक कोई नहीं

तुम्हारा नाम हटाकर
चंद मूर्खों को बहलाया जा सकता है
इतिहास को नहीं

मैं जानता हूँ
आज भी करोड़ों दिलों में
विवेकशील मन में
बसे हुए हो तुम

वे जानते हैं
कि ज़िंदगी के पंद्रह बरस
तुमने जेल में काटे हैं

किसान आंदोलन में
जब पहली बार
तुमने लाठियाँ खाईं थीं
तब तुम्हें साम्राज्यवाद के
ज़ुल्म का पता चला था

तुमने अपना सर्वस्व
जिस देश को 
अर्पित कर दिया
वह इतना भी कृतघ्न नहीं

इसलिए फ़िलहाल
हताश होने की ज़रूरत नहीं

तुम्हारे जन्मदिन पर
मंगलकामनाएँ!

- बापू के आशीर्वाद!

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