दिसम्बर 25 हिंदी साहित्य के सांता क्लॉज डॉ धर्मवीर भारती जी का भी जन्मदिन है????।इस अशुद्ध अंग्रेजी के युग में आप भी हिन्दी गोत्र वाले है या हिन्दी साहित्य से कोई नाता रिश्ता रखते है तो यह नाम आप के लिए चित परिचित नाम होगा अब भी धर्मयुग पत्रिका हमारे मानस पटल पर स्मृति स्वरुप ही कायम है। हिन्दी को ,आम जन में लोकप्रिय बनाने में ,साहित्य संस्कृति वाहक इस पत्रिका के कर्णधार थे धर्मवीर भारती। अब यदि गुनाहों के देवता का ज़िक्र न करू ,ऐसा नहीं हो सकता। डॉ धर्मवीर भारती जी की सबसे लोकप्रिय कृति | चन्दर , सुधा, पम्मी की कथा, प्रेम को समझने का प्रयास , स्त्री पुरुष संबंधो को परिभाषित करने का प्रयास है यह कृति | विश्वविद्यालय कैम्पस में घुमती ये कथा दिमाग में ऐसा रेखाचित्र खिचती है , मानो चलचित्र देख रहे हो | उपन्यास से ''अगर पुरुषों के होंठों में तीखी प्यास न हो, बाहुपाशों में जहर न हो, तो वासना की इस शिथिलता से नारी फौरन समझ जाती है कि संबंधों में दूरी आती जा रही है। संबंधों की घनिष्ठता को नापने का नारी के पास एक ही मापदंड है, चुंबन का तीखापन।'' स्वयं भारती जी के शब्दों में '' इसे लिखना वैसा ही रहा , जैसे पीड़ा के क्षणों में पूरी आस्था से प्रार्थना ...'' इस कृति से कुछ यादगार ...
''छह बरस से साठ बरस तक की कौन-सी ऐसी स्त्री है, जो अपने रूप की प्रशंसा पर बेहोश न हो जाए ''
'' अगर आप किसी औरत के हाथ पर हाथ रखते हैं तो स्पर्श की अनुभूति से ही वह जान जाएगी कि आप उससे कोई प्रश्न कर रहे हैं, याचना कर रहे हैं, सांत्वना दे रहे हैं या सांत्वना मांग रहे हैं। क्षमा मांग रहे हैं या क्षमा दे रहे हैं, प्यार का आरंभ कर रहे हैं या समाप्त कर रहे हैं? स्वागत कर रहे हैं या विदा दे रहे हैं? यह पुलक का स्पर्श है या उदासी का चाव और नशे का स्पर्श है या खिन्नता और बेमनी का?
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We must explain to you how all seds this mistakens idea off denouncing pleasures and praising pain was born and I will give you a completed accounts..
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