Thought for the Day
21 Nov 2024
चाहे पक्ष हो या प्रतिपक्ष,
सत्ता की दलाली में,
दोनों ही है- उभय पक्ष !
इसका मतलब,
पूरी तरह से साफ है।
सत्ता दरअसल में,
सिर्फ दो मुहाँ साँप है।
एक नागनाथ,
तो दूसरा सापनाथ है,
और सत्ता की,
पारसमणि झटके बिना,
दोनों ही अनाथ हैं।
भ्रष्टाचार की बांबी में,
पाते दोनों ही पनाह है।
सबकी अलग-अलग
भूमिका है- एक करता
वाह! वाह !! है, तो
दूसरा आह! आह है !!
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