Thought for the day
2 Dec 2024
जहाँ मेरा घर था,
वहां था रास्ता.
जहाँ था रास्ता,
वहां था मेरा घर.
इसलिए मैंने अपने घर को
रास्ते से हटा लिया है.
और रास्ते को ही
अपना घर बना लिया है.
अब रास्ता ही,
मेरा घर है,
और घर ही मेरा रास्ता.
फिर मुझे
किसी और रास्ते से
या किसी और घर से
क्या वास्ता !
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-अनूप श्रीवास्तव
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