Thought for the day
2 Dec 2024
गिनती नहीं आती मेरी माँ को यारों
मैं एक रोटी मांगू वह दो ही लाती हैं
जन्नत के हर लम्हे का दीदार किया था
जब माँ ने गोद में उठा कर प्यार किया था
सब बोल रहे है आज माँ का दिन है
ऐसा कौनसा दिन है जो माँ के बिन है
मौत के लिए तो कई सारे रास्ते है
मगर जन्म के लिए केवल एक
माँ के लिए क्या लिखू
माँ ने खुद मुझे लिखा है
दवा असर न करे तो वह नज़र उतारती है
माँ है जनाब माँ
वह कहाँ हार मानती है l
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