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एक विद्वान शिक्षक जिसने भारतीय अर्थव्यवस्था को नयी दिशा दी

प्रशांत गौतम

नई दिल्ली | गुरुवार | 26 सितम्बर 2024

डॉ. मनमोहन सिंह, जिनका जन्म 26 सितंबर 1932 को हुआ था, भारत के इतिहास में एक ऐसा नाम हैं जिन्होंने न केवल देश की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाये बल्कि उसे अंतर्राष्ट्रीय मंच पर एक नई पहचान दिलाई। उनके नेतृत्व और दूरदर्शिता का सबसे बड़ा उदाहरण 1991 का आर्थिक संकट है, जब भारत के पास सिर्फ 15 दिनों का खर्च चलाने लायक पैसा बचा था। डॉ. सिंह की सूझबूझ ने न केवल उस संकट से भारत को उबारा बल्कि देश को विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था (PPP) तक पहुंचा दिया।

डॉ. मनमोहन सिंह का जन्म पंजाब के एक साधारण परिवार में हुआ था। बचपन में ही विभाजन के दर्द को महसूस करने वाले डॉ. सिंह ने अपनी मेहनत और शिक्षा से खुद को एक असाधारण व्यक्तित्व के रूप में स्थापित किया। उन्होंने पंजाब विश्वविद्यालय से स्नातक की पढ़ाई की और फिर कैम्ब्रिज और ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालयों से उच्च शिक्षा प्राप्त की। डॉ. सिंह के जीवन का उद्देश्य केवल डिग्रियाँ प्राप्त करना नहीं था, बल्कि देश की सेवा और उसके विकास के लिए ठोस नीतियाँ बनाना था।

1991 का समय भारत के लिए बेहद कठिन था। विदेशी मुद्रा भंडार लगभग खत्म हो चुका था, और स्थिति इतनी गंभीर थी कि भारत के पास केवल 15 दिनों का खर्चा चलाने के लिए ही पैसा बचा था। इस समय भारत को बाहरी मदद की सख्त जरूरत थी। डॉ. मनमोहन सिंह को वित्त मंत्री बनाया गया, और यहीं से उनके नेतृत्व में देश की आर्थिक दशा और दिशा बदल गई। उन्होंने उस वक्त इंटरनेशनल मॉनिटरी फंड (IMF) और वर्ल्ड बैंक से उधार लिया, जिसके लिए भारत को अपने सोने का भंडार गिरवी रखना पड़ा। यह एक बहुत कठिन फैसला था, लेकिन डॉ. सिंह की दूरदृष्टि ने इस कदम को सार्थक साबित किया।

 

लेख एक नज़र में
डॉ. मनमोहन सिंह भारत के इतिहास में एक ऐसा नाम हैं जिन्होंने न केवल देश की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाये बल्कि उसे अंतर्राष्ट्रीय मंच पर एक नई पहचान दिलाई।
उनके नेतृत्व और दूरदर्शिता का सबसे बड़ा उदाहरण 1991 का आर्थिक संकट है, जब भारत के पास सिर्फ 15 दिनों का खर्च चलाने लायक पैसा बचा था। उन्होंने भारत में आर्थिक सुधारों की शुरुआत की, जिसमें उदारीकरण, निजीकरण और वैश्वीकरण जैसे कदम शामिल थे।
उनकी सबसे बड़ी उपलब्धियों में मनरेगा, किसानों के लिए कर्ज माफी, और ग्रामीण क्षेत्रों के विकास के लिए अनेक पहलें शामिल हैं।
डॉ. सिंह की सबसे बड़ी खूबी उनकी सादगी और ईमानदारी है। उनके जीवन की यात्रा आज के युवाओं के लिए एक प्रेरणा है।

 

उन्होंने भारत में आर्थिक सुधारों की शुरुआत की, जिसमें उदारीकरण, निजीकरण और वैश्वीकरण जैसे कदम शामिल थे। इन सुधारों ने न केवल देश की अर्थव्यवस्था को सुधारा, बल्कि भारत को अंतर्राष्ट्रीय बाजार में एक नया स्थान दिलाया। यही सुधार आगे चलकर भारत को Purchasing Power Parity (PPP) में दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनाने में मददगार साबित हुए। डॉ. सिंह का यह साहसिक कदम भारत की आर्थिक दिशा को हमेशा के लिए बदलने वाला साबित हुआ।

2004 में, जब डॉ. मनमोहन सिंह भारत के प्रधानमंत्री बने, तब उन्होंने अपने शांत, स्थिर और संवेदनशील नेतृत्व का परिचय दिया। उनके कार्यकाल में देश ने कई ऐतिहासिक बदलाव देखे। उन्होंने देश की सामाजिक और आर्थिक स्थिति को मजबूत करने के लिए अनेक योजनाओं की शुरुआत की। उनकी सबसे प्रमुख उपलब्धियों में मनरेगा, किसानों के लिए कर्ज माफी, और ग्रामीण क्षेत्रों के विकास के लिए अनेक पहलें शामिल हैं।

डॉ. सिंह के प्रधानमंत्री रहते हुए, भारत ने अंतर्राष्ट्रीय मंच पर अपनी स्थिति को मजबूत किया। उनकी विदेश नीति ने भारत को एक सम्मानित वैश्विक खिलाड़ी के रूप में उभारा। भारत-अमेरिका परमाणु समझौता भी डॉ. सिंह के कार्यकाल की एक महत्वपूर्ण उपलब्धि रही, जिसने भारत के ऊर्जा क्षेत्र में क्रांति ला दी।

डॉ. मनमोहन सिंह की सबसे बड़ी खूबी उनकी सादगी और ईमानदारी है। उन्होंने हमेशा शांति और धैर्य से काम लिया, चाहे वह कितना भी बड़ा संकट क्यों न हो। वे विवादों से दूर रहे और कभी भी व्यक्तिगत स्वार्थ को अपने कर्तव्यों के ऊपर नहीं रखा। उनकी यह विशेषता उन्हें अन्य नेताओं से अलग करती है। डॉ. सिंह का जीवन एक प्रेरणास्रोत है, जो हमें सिखाता है कि ईमानदारी, ज्ञान और निष्ठा के साथ देश सेवा कैसे की जा सकती है।

डॉ. सिंह ने न केवल भारत को आर्थिक रूप से मजबूती दी, बल्कि उन्हें एक ऐसे नेता के रूप में भी याद किया जाता है जो विवादों से दूर रहते हुए राष्ट्र सेवा में लगे रहे। उनकी सबसे बड़ी विशेषता यह रही कि उन्होंने हमेशा अपने कार्यों से अपनी योग्यता साबित की। वे एक ऐसे व्यक्ति हैं जिन्होंने अपने कार्यों से यह साबित किया कि एक नेता की पहचान उसकी आवाज़ से नहीं, बल्कि उसके काम से होती है।

डॉ. मनमोहन सिंह का जीवन हमें सिखाता है कि कठिनाइयों से कभी घबराना नहीं चाहिए, बल्कि उन्हें अवसर में बदलने का प्रयास करना चाहिए। 1991 का आर्थिक संकट उनके नेतृत्व और उनकी नीतियों की वजह से ही सुलझा और आज भारत जिस आर्थिक सशक्तिकरण का आनंद ले रहा है, उसमें उनका अमूल्य योगदान है।

डॉ. सिंह की यात्रा आज के युवाओं के लिए एक प्रेरणा है कि अगर आपमें सच्चाई, मेहनत और लगन है, तो आप किसी भी मुश्किल को पार कर सकते हैं। उनके जन्मदिन पर हम इस महान नेता को नमन करते हैं और उनके द्वारा किए गए महान कार्यों को याद करते हुए प्रेरणा लेते हैं।

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