image

आज का संस्करण

नई दिल्ली, 15 दिसंबर 2023

 

रयू की पीर आई गोमती के तीर पड़ी

 भक्त पर भीर अब मुक्ति बीज बोना है

राजनीति में है नीति ,नीति में राजनीति

दृढ़  हुई धर्म  नीति,  वक्त नही खोना है.

 

नाहक  हुए अधीर,  बात बात में नज़ीर,

बहती है गंगा ,हाथ  बहुतों को धोना  है.

लक्ष्मणपुरी    में   तभी  मिलाप     हुआ,

फैसला  भी  गोमती   के  तीर  होना   है.

 

कृष्ण हुए थे जेल में, फिर  बंदी  के राम,

भाग्य बड़ा  भगवान से,हुए विधाता  राम.

मुल्ला  और महंत ही, झगड़े  की आवाज़,

आपस मे लड़ती नहीं, पूजा और नमाज़.

----------

अनूप श्रीवास्तव

  • Share: