आधी रात को मोबाइल
कई बार टिनटिनाया
सुबह सुबह मित्रों ने
दरवाज़ा थपथपाया
आवाज़ आयी-हैपी न्यू ईयर
अगर है तो -हैपी न्यू ईयर !
कहाँ मना रहे हैं
नया साल डियर !
मैने कहा-
अच्छा सवाल है
जब पुराना साल विदा होगा
नया साल भी मन जाएगा
जरा औरों से बात करके देखिए
नया साल मनाने का
उनका क्या प्लान है ?
पत्नी बड़बड़ाई- वाह श्रीमान !
घर मे चूहे दंड पेल रहे हैं
और आप यहां बैठे बैठे
नयासाल मनाने को सोंच रहे हैं ?
आप जानना चाहते हैं
मैं नया साल कहाँ जाकर मनाऊंगी
जरा पर्स खाली करिये
पड़ोस में किटी पार्टी है
इसलिए मैं अपना नया साल
किसी खाते पीते घर मे ही मनाऊंगी
बेटा भुनभुनाया
टेबलेट इस सरकार का
अभी तक बंटा नहीं
लेपटॉप का अता पता नहीं
फेस बुक और व्हाट्सअप पर
बवाल ही बवाल हैं
बेरोजगारी भत्ता भी दे गया धता
फिर भी हम जुगाड़ बिठा लेंगे
और कहीं कोई भी
जुगाड़ नहीं बैठा तो
इंटरनेट पर ही
नया साल मना लेंगे
अध्यापक बोला -
हमारी सुबह ट्यूशन से शुरू होती है
और शाम कोचिंग में खत्म होती है
जहां तक नया साल
मनाने का सवाल है
हमारे लिए तो धमाल ही धमाल है
बाबू ने फरमाया-
हमने स्कूटर बेंच के कार खरीदी है
हमारा नया साल अब वही मन वायेगा
जो अपनी फ़ाइल सरकाने के लिए
हमारी कार की टँकी फुल कराएगा
व्यापारी बोला -
अरे नोटबन्दी और जी एस टी ने भी
हमारे पौ किये बारह हैं
देश नेताओं ,अफसरों से नहीं
हम जैसे भामाशाहों से चलता है
लोकतंत्र की नाव
हर बार हमी खेते हैं
पुराना साल हमारे ही दम से चला था
अगला साल भी बचकर कहाँ जाएगा
जिसे भी सरकार बनानी होगी
या फिर दोबारा कुर्सी पानी होगी
हमारे ही पास आएगा
अफसर बुदबुदाया -
हर बार हमारे ही कंधे पर बंदूक
नए साल पर जितने भी गिफ्ट
हमारे पास आते हैं
उसमे से तीन चौथाई
हम ऊपर पहुंचाते हैं
ड्राई फ्रूट और मिठाइयों से
किसका पेट भरा है
जब तक कोई बड़ी परियोजना
हमारे हाथ मे न हो
नया साल मनाने में क्या धरा है ।
जब नेता से सवाल किया गया-
आप तो पूरे देश में
महंगाई का झंडा फहरा रहे हैं
नया साल इस बार कहाँ जाकर मनाएंगे
वह अपनी बढ़ी हुई तोंद पर
हाथ फेरते हुए मुस्कराया
अरे !हम तो जन प्रतिनिधि हैं
हमारी रोटी तो गरीबों के
तवे पर ही सिकती है
यह सड़कें,बांध,पुल, फ्लाईओवर
किस दिन काम आएंगे
नया साल भी इन्ही के दम पे मनाएंगे
चाहे अध्यापक हो,बेटा हो या पत्नी हो
नेता हो अथवा अफसर हो
या हो सरकारी कर्मचारी
किसी ने नहीं पूछा
कैसी है जनता बेचारी
जिसने बीते साल
पेट पर पट्टी बांधी थी
नए साल में भी
उसी तरह काम चलाएगी
कल तक वह जिनके नाम की
टोपी लगा रही थी
अब वही उसे टोपी पहना रहे हैँ
और अपना चेहरा छिपाने के लिए
आम आदमी का मुखौटा लगा रहे हैं
इतने सालों में जो कुछ नहीं कर सके
भला आगे क्या गुल खिलाएंगे?
यह नया साल ही बताएगा
अच्छा दिन वाया किस पार्टी आएगा
हमारे देश की व्यवस्था वह तंत्र है
जिसमे हर बीमारी स्वतन्त्र है
रोग बना रहे; मरीज़ बेहाल पड़ा रहे
यही मूलमंत्र है: यही प्रजातन्त्र है
बीते साल ने बजाय अपना गाल
इस साल भी नया साल बजायेगा गाल
जैसा पिछला साल बीता
वैसा ही बीतेगा- नया साल !
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