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आज का संस्करण

नई दिल्ली , 4 अप्रैल 2024

 

 

हंसी थमी है इन आंखों में यूं नमी की तरह

चमक उठे  हैं  अंधेरे  भी  रौशनी  की तरह

-अनूप श्रीवास्तव

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फूटा घड़ा जैसे किसी की प्यास नहीं बुझा सकता,

वैसे ही भ्रष्ट तंत्र कभी भी जनता को सुकून नहीं दे सकता.

-डॉ. रवीन्द्र कुमार

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