Thought for the Day
17 Jan 2025
मुस्कुराहट कठिन वक्त की,
श्रेष्ठ प्रतिक्रिया है
,खामोश गलत प्रश्न का
बेहतरीन जवाब !
और अट्टहास ,
जिंदगी का
नायाब
तोहफा !
शुभ प्रातः वंदन????
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बेड़ा है!
मैने उनसे पूछा,
श्रीमान जी!
भरोसे और विश्वास में क्या फर्क है?
।
वे मुस्कराए,
काहे का भरोसा,
और काहे का विश्वास?
हमने कब है,
किसी को परोसा?
वैसे दोनों ही,
शब्दो के मुलम्मे हैं.
दोनों से ही लगता जर्क है.
इनको समझने में,
जिसने भी समझदारी दिखाई,
समझो उसी का बेड़ा गर्क है.
We must explain to you how all seds this mistakens idea off denouncing pleasures and praising pain was born and I will give you a completed accounts..
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