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आज का संस्करण

नई दिल्ली, 23 मई 2024

प्रशांत कुमार गौतम

भारतीय समाज में हर महीने, हर त्यौहार अपनी खासियत सहित आता है और अपने साथ आदर्शों और सिद्धांतों का संदेश लेकर आता है। इसी तरह, बुद्ध पूर्णिमा भी एक ऐसा महत्वपूर्ण त्यौहार है जो भारतीय संस्कृति में गौरव और सम्मान का प्रतीक है। यह पर्व बौद्ध धर्म के संस्थापक भगवान बुद्ध की जयंती के रूप में मनाया जाता है और विभिन्न उत्सव संगीत, भजन, और प्रवचनों के माध्यम से मनाया जाता है।

बुद्ध पूर्णिमा को बौद्ध समुदाय के लोग खास धूमधाम से मनाते हैं। यह त्योहार विशेष रूप से बौद्ध धर्म के पालनकर्ताओं के लिए महत्वपूर्ण होता है, जो इस दिन ध्यान, सम्मान, और सेवा के साथ अपने धर्म के महान आदर्शों को याद करते हैं। इस दिन के महत्व को समझने के लिए हमें भगवान बुद्ध के जीवन और उनके उपदेशों को समझने की आवश्यकता होती है।

बुद्ध पूर्णिमा का उत्सव बुद्ध के जन्म, महापरिनिर्वाण, और महापरिनिर्वाण की स्मृति में मनाया जाता है। इस दिन पर लोग ध्यान में खो जाते हैं, और बुद्ध के उपदेशों को अपने जीवन में अमल में लाने का संकल्प करते हैं। यह त्योहार भगवान बुद्ध के जीवन और उपदेशों को स्मरण करने का एक सुनहरा अवसर प्रदान करता है।

बुद्ध पूर्णिमा का पर्व हमें एक साम्राज्ञिक और धार्मिक आदर्श का संदेश देता है। इस दिन को मनाने के पीछे एक विशेष मान्यताओं और सिद्धांतों का संगम होता है जो समय के साथ हमें ज्ञान, सम्मान, और सांत्वना का अनुभव कराते हैं।

बुद्ध पूर्णिमा के दिन, लोग अपने घरों को सजाते हैं, मंदिरों में भजन की ध्वनि सुनते हैं, और ध्यान और प्रार्थना में लगे रहते हैं। ध्यान की यह प्रक्रिया हमें अपने आत्मा के साथ जुड़ने का अनुभव दिलाती है और हमें शांति और संतुलन की अनुभूति कराती है।

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