image

आज का संस्करण

नई दिल्ली, 21 दिसंबर 2023

प्रदीप माथुर

A person with white hair and glasses

Description automatically generated

16 दिसंबर, 1971 को डेका में भारतीय सेना के सामने पाकिस्तानी सेना के आत्मसमर्पण की सालगिरह, जिसके परिणामस्वरूप पहले पूर्वी पाकिस्तान के नाम से जाने वाले स्वतंत्र राष्ट्र बांग्लादेश का निर्माण हुआ,  इस वर्ष काफी फीके तरीके से मनाई गई। लोकसभा चुनाव इतने करीब होने के कारण यह उम्मीद थी कि हमारी राष्ट्रवादी, पाकिस्तान विरोधी सरकार इस अवसर का महिमामंडन करेगी और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर पर भारत के अधिकार का दावा करेगी क्योंकि यह एक अच्छा चुनावी मुद्दा होगा। सुप्रीम कोर्ट द्वारा अनुच्छेद 370 को हटाने की मंजूरी ने इसके लिए एक अच्छी जमीन तैयार कर दी है।

लेकिन ऐसा लगता है कि सत्ता पक्ष इस मुद्दे पर दुविधा में है. और इसे समझना मुश्किल नहीं है.

सत्तारूढ़ भाजपा-आरएसएस संगठन के लिए भारतीय सेना की जीत निस्संदेह एक महान ऐतिहासिक घटना और उनके हिंदू राष्ट्रवाद के लिए एक उपलब्धि रही है। लेकिन समस्या यह है कि इसका नेतृत्व उन लोगों ने किया जो या तो हिंदू नहीं थे या उस तरह के हिंदू नहीं थे (मुस्लिम से नफरत करने वाले) जिन्हें हिंदुत्व ब्रिगेड पसंद करती है।

पाकिस्तान के खिलाफ युद्ध का नेतृत्व प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी ने किया था, जिन्होंने न केवल एक पारसी (भक्त उन्हें मुस्लिम मानते हैं) से शादी की थी, बल्कि वह जवाहरलाल नेहरू की बेटी भी थीं, जिनके बारे में उनका मूर्खतापूर्ण यह मानना ​​है कि उनके पूर्वज मुस्लिम थे।

उस समय भारतीय वायुसेना प्रमुख एयर मार्शल अर्जुन सिंह थे जो होकर हिंदू न थे. उनके कई बहादुर पायलट, जैसे विंग कमांडर कोहेलो, जिन्होंने संचार लाइनों को नष्ट कर दिया और पाकिस्तानी सेना के आवागमन को रोक दिया, हिंदू नहीं थे।

सेना प्रमुख जनरल सैम मानेकशॉ एक गैर हिंदू थे और सबसे बड़ी बात सेना के जनरल जिन को पाकिस्तानी सेना ने आत्मसमर्पण किया वह जग जीत सिंह अरोड़ा भी हिंदू न होकर सिख थे|

फिर भी इन सभी गैर-हिंदुओं ने मिलकर उस बात को पुनर्स्थापित किया जिसे सभी हिंदुत्व भक्त हिंदू गौरव मानते हैं। गलत जानकारी रखने  वाले, पूर्वाग्रह से ग्रसित और इतिहास से अनभिज्ञ होने के कारण हिंदुत्व मानसिकता वाले भक्त मानते है की बांग्लादेश युद्ध में भारत की जीत "हजारों साल की गुलामी" के बाद हिंदू शक्ति की पुन: स्थापना थी। यह एक बेवकूफी की बात है|

भक्त न तो इतिहास समझते हैं और न ही समाजशास्त्र। वे नहीं जानते कि हिंदू-मुस्लिम टकराव की जड़ भारत में ब्रिटिश औपनिवेशिक आकाओं द्वारा अपनाई गई फूट डालो और राज करो की नीति में है। भारतीय स्वतंत्रता के प्रथम संग्राम के बाद उन्होंने इसका और भी अधिक जोरो से पालन किया।

1971 का बांग्लादेश युद्ध ब्रिटिशों की फूट डालो और राज करो की नीति का बेमानी बताने वाला था। हिंदू बहुसंख्यक भारत की रक्षा सेनाएं दो-राष्ट्र सिद्धांत के आधार पर बने एक मुस्लिम-बहुल प्रान्त को उसके ही  दूसरे मुस्लिम प्रान्त से मुक्त कराने गई थीं।

वास्तव में 1971 का युद्ध और बांग्लादेश का निर्माण न केवल दो-राष्ट्र सिद्धांत का खंडन था, जिसका उपयोग ब्रिटिश औपनिवेशिक शासकों ने भारतीय उपमहाद्वीप को भारत और पाकिस्तान में विभाजित करने के लिए किया था, बल्कि यह सांप्रदायिकता के सभी रूपों को भी अस्वीकार करने वाला था।

यदि वे बांग्लादेश युद्ध की पृष्ठभूमि और निहितार्थों को समझने का प्रयास करें, तो हिंदुत्ववादी भक्त आसानी से निम्नलिखित सबक सीख सकते हैं:

1. यह युद्ध पाकिस्तान में जनरल याह्या खान के तानाशाही शासन के कारण हुआ था।

-एक नागरिक सरकार. किसी भी देश के लिए सर्वोत्तम है और सेना का काम किसी देश से लड़ना और उसकी रक्षा करना है न कि उस पर शासन करना।

2. पाकिस्तान में एक लोकप्रिय चुनाव हुआ जिसमें शेख मुजीबुर रहमान की अवामी लीग ने बहुमत हासिल किया। पूरी निष्पक्षता से उन्हें अविभाजित पाकिस्तान के प्रधान मंत्री के रूप में कार्यभार संभालने की अनुमति दी जानी चाहिए थी।

-यदि आप बहुमत के फैसले को नजरअंदाज करेंगे तो परिणाम विनाशकारी होंगे।

3. पश्चिमी और पूर्वी पाकिस्तान में मुसलमानों के बीच संघर्ष का मूल कारण संस्कृति थी। पूर्वी पाकिस्तान के बंगाली मुसलमानों को अपनी बांग्ला भाषा पर गर्व था और वे बांग्ला के हिंदू कवियों और लेखकों की प्रशंसा करते थे। पश्चिमी पाकिस्तानी मुसलमानों को यह पसंद नहीं आया.

-धर्म नहीं बल्कि संस्कृति लोगों को बांधती है।

4. 1971 के युद्ध में पाकिस्तान के खिलाफ भारत के सैन्य अभियान के प्रमुख नायक गैर हिंदू थे।

- व्यावसायिक कौशल कठिन और समर्पित कार्य से सीखे जाते हैं, न कि किसी जाति या पंथ से संबंधित होने से। जिन लोगों ने भारत को विजय दिलाई वे भारतीय थे। वे जिस धर्म का पालन करते हैं उसका कोई महत्व नहीं था।

5. राज्य की नीति बड़े राष्ट्रीय सरोकारों से तय होती है न कि संकीर्ण धार्मिक विचारों से।

- भारत ने एक मुस्लिम देश पाकिस्तान के खिलाफ युद्ध लड़ा, लेकिन एक और मुस्लिम देश बांग्लादेश बनाया। युद्ध न तो किसी मुस्लिम देश के विरुद्ध था और न ही हिंदुओं के किसी लाभ के लिए था।

यदि हिंदुत्व ब्रिगेड ये सबक सीखती है तो यह उनके साथ-साथ हमारे देश के लिए भी अच्छा होगा।

---------------

  • Share:

Fatal error: Uncaught ErrorException: fwrite(): Write of 223 bytes failed with errno=122 Disk quota exceeded in /home2/mediamapco/public_html/system/Session/Handlers/FileHandler.php:407 Stack trace: #0 [internal function]: CodeIgniter\Debug\Exceptions->errorHandler(8, 'fwrite(): Write...', '/home2/mediamap...', 407) #1 /home2/mediamapco/public_html/system/Session/Handlers/FileHandler.php(407): fwrite(Resource id #9, '__ci_last_regen...') #2 [internal function]: CodeIgniter\Session\Handlers\FileHandler->write('8c1a0891dd88b90...', '__ci_last_regen...') #3 [internal function]: session_write_close() #4 {main} thrown in /home2/mediamapco/public_html/system/Session/Handlers/FileHandler.php on line 407