प्यार और उसके एहसासों पर दुनियाभर के बेमिसाल शायरों, साहित्यकारों और न्यूरोसाइंटिस्टों ने भला क्या कुछ नही लिखा...
अगर आपका कोई पार्टनर नहीं है तो फिक्र की बात नहीं है। दरअसल, प्यार का अहसास जरूरी है। यह अहसास किसी भी चीज से हो सकता है, उसके लिए इंसान का होना जरूरी शर्त नहीं....
आप अपनी जिंदगी से प्यार कर सकते हैं, अपने पैशन से, अपनी हॉबी से। ऐसा करके भी आप अकेलेपन से दूर रह सकते हैं....
कबीर प्याला प्रेम का, अंतर लिया लगाय !
रोम रोम में रमि रहा, और अमल क्या खाय !!
कबीर कहते हैं कि जब मैं प्रेम की औषधि पीता हूँ, तो यह मेरे रोम रोम को मदहोश कर देती है; मुझे किसी और की जरूरत नहीं होती....
एक घूँट पी लेने के बाद नाही कार,बंगला, टीवी, इंटरनेट, गेम आदि जैसी सुविधाओं की जरूरत होती
है,और नाही तनाव के लिए फुर्सत, विश्राम, आराम, छुट्टी और अवकाश की आवश्यकता......
द्वंद्व पिघलकर एक हो गया है।
क्योंकि इसी स्थिति को चरम ( climax ) कहा जाता है, जहाँ प्रेमी या प्रेमिका एक हो जाते हैं, मात्र सीनर्जी शेष रहती है.... कॉर्पोरेट वर्ल्ड में( a sense of belongingness) कह सकते हैं या जीवन कर्म में :
कर्ता और कृत्य विलीन हो गए हैं; अब तो सिर्फ एक्टिंग है....
अज्ञेय कहते हैं कि:
लेकिन, क्या जरूरी है कि प्यार के लिए कोई दो परस्पर एक-दूसरे के हाथ बिकें, एक-दूसरे के गुलाम बनें ? क्या दासता के बिना प्यार नहीं है..?
यदि है, तब फिर वह सीमा भी क्यों हो कि प्यार दो इकाइयों के बीच हो ? क्यों जरूरी है कि किसी को ही प्यार किया जाए- क्या प्यार की भावना किसी स्थूल, एकाकी विषय से अलग नहीं की जा सकती..?
क्या जरूरी है कि 'मैं प्यार करता हूँ' इस वाक्य का अनिवार्य अनुवर्ती हो यह प्रश्न कि 'किसे प्यार ?' और वह 'कौन' भी एक ही हो ? क्या सारी मानवता को ही प्यार नहीं किया जा सकता, क्या प्यार को ही प्यार नहीं किया जा सकता.....
प्यार दिल से होता है या दिमाग से....?
किसी को देखते ही दिमाग में एक साथ कई केमिकल रिएक्शन होते हैं जिससे कोई व्यक्ति प्यार में पड़ जाता है....
इसे कुछ इस तरह से कहा जा सकता है कि पहली नजर पड़ते ही आपका दिल किसी पर नहीं आता बल्कि आपके दिमाग में कोई आ जाता है....
न्यूयॉर्क की सिराक्यूज यूनिवर्सिटी के मनोविज्ञान विभाग ने इस विषय पर रिसर्च करते हुए पाया है कि प्यार में पड़ना न सिर्फ हमारी भावनाओं और हमारे मूड को बदल देता है बल्कि दिमाग के कुछ विशेष हिस्सों को भी सक्रिय कर देता है....
जब कोई व्यक्ति प्यार में होता है तो उसका दिमाग डोपेमाइन, ऑक्सीटोसिन, एड्रेनलिन और वैसोप्रेसिन सहित आपको उत्साहित रखने वाले 12 हॉर्मोन्स का स्राव बढ़ा देता है....
इस शोध से, प्यार कभी भी, कहीं भी, किसी से भी हो सकता है, वाली धारणा भी सच साबित होती है. इस शोधपत्र में मात्र 0.2 सेकंड में ही प्यार होने की बात कही गई है.
सच यह है कि प्यार दिल से नहीं दिमाग से होता है लेकिन इसमें दिल की भी भूमिका से इनकार नहीं किया जा सकता....
प्यार होने की सूरत में हॉर्मोन भी अपने नियमित व्यवहार से अलग असर दिखाने लगते हैं....
उदाहरण के लिए एड्रेनलिन आमतौर पर किसी खतरे से पैदा हुए तनाव की प्रतिक्रिया के रूप में रिलीज़ होता है. लेकिन जब किसी से प्यार हो जाए तब भी यह सक्रिय हो जाता है...
यही वजह है कि कई बार माशूक के सामने आने पर आशिक की हथेलियों पर पसीने आते हैं, तो कभी होंठ सूखने लगते हैं और दिल जोर-जोर से धड़कने लगता है. इस स्थिति में एड्रेनलिन के कारण बेकाबू हुई धड़कनों का इल्जाम लोग निर्दोष दिल या महबूब को दे देते हैं.
प्रेमियों के आस-पास ‘'तुमसे मिलने को दिल करता है’ वाला राग भी असल में दिल का नहीं डोपेमाइन हॉर्मोन का बजाया होता है....
ऐसा ही कुछ कहा अमेरिकी न्यूरोसाइंटिस्ट स्टेफनी ऑर्टिंग ने भी...उन्होंने इसके लिए साहित्य नहीं, बल्कि साइंस का सहारा लिया। उन्होंने रिसर्च वर्क का सहारा लेकर बताया कि प्यार में पड़े शख्स के पास सुपर पावर्स आ जाती हैं। तनाव हवा हो जाता है, चेहरा खिल उठता है, और सेहत सुधरने लगती है....
स्टेफनी पहले दिन से ऐसी नहीं थीं। उन्हें तो अकेले रहना इतना पसंद था कि 30-35 की उम्र तक भी किसी से करीबी संबंध नहीं बने । साल 2011 में वह 37 साल की थीं, जब शंघाई में एक न्यूरोसाइंस कॉन्फ्रेंस में न्यूरोसाइंटिस्ट जॉन कैसिओप्पो से उनकी मुलाकात हुई। कैसिओप्पो ने रिसर्च वर्क के जरिए बताया कि अकेलापन सेहत के लिए बहुत नुकसानदेह होता है। इसे स्मोकिंग जितना घातक बताया...
स्टेफनी उनकी बातों से प्रभावित हो गईं। कैसिओप्पो से मिलकर उनका अकेलापन दूर हुआ। इश्क ने दस्तक दी, बात आगे बढ़ी और दोनों ने शादी कर ली। लेकिन यह साथ 7 साल का ही था। कैसिओप्पो की मार्च 2018 में कैंसर से मौत हो गई...
स्टेफनी ने अपने प्रेम और उसके असर के बारे में रिसर्च के सहारे अपनी किताब 'वायर्ड फॉर लवः ए न्यूरोसाइंटिस्ट्स जर्नी थ्रू रोमांस, लॉस एंड द एसेंस ऑफ ह्यूमन कनेक्शन' में विस्तार से लिखा है। इसमें बताया है कि प्यार में इंसान के शरीर में किस तरह के हॉर्मोनल बदलाव आते हैं....
उन्होंने लिखा है कि प्यार बायोलॉजिकली जरूरी चीज है, ठीक वैसे ही जैसे एक्सरसाइज और खाना। मैं अपनी रिसर्च के आधार पर कह सकती हूं कि आपकी जिंदगी में प्यार करने वाला पार्टनर उतना ही अहम है जितना कि एक अच्छी डाइट...
स्टेफनी पहली बार कैसिओप्पो से मिलीं तो बात करते हुए तीन घंटे कब बीत गए उन्हें पता ही नहीं चला। वह बहुत खुश थीं। उन्होंने लिखा है कि निश्चित ही इसके पीछे डोपामाइन का हाथ था। मनपसंद शख्स के साथ होने पर डोपामाइन नाम का हैप्पी हॉर्मोन रिलीज होता है। जो आपको खुशी का एहसास कराता है....
जर्नल ऑफ फैमिली साइकोलॉजी में एक स्टडी के मुताबिक प्यार में मिली खुशी की गुणवत्ता पैसे से मिलने वाली खुशी से कहीं बेहतर और अधिक होती है..
सुपर पावर का होता है अहसास:
स्टेफनी कहती हैं कि रोमांटिक प्यार इंसान के लिए सुपर पावर की तरह काम करता है। इश्क में दिमाग अलग ही धुन पर थिरकता है, आप ऐसा महसूस कर रहे होते हैं कि दनिया का कोई भी काम कर सकते हैं..
यह एहसास न्यूरोट्रांसमीटर रिलीज होने के चलते होता है। प्यार में कुछ भी कर गुजरने की कहानियां भी यहीं से आई हैं। स्टेफनी कहती हैं कि इसी के चलते प्यार में पड़ा शख्स खुद को सुपरमैन समझ रहा होता है और महिला सुपरवुमन..
हेल्दी रहता है हार्ट:
टेक्सास यूनिवर्सिटी की एक स्टडी के मुताबिक, जो लोग हैप्पी और हेल्दी रिलेशनशिप में होते हैं। उनमें दिल की बीमारियां होने का जोखिम उन लोगों की तुलना में कम होता जिंदगी जी रहे हैं...
कम होता स्ट्रेस:
प्यार में आपको अपनेपन और खुशी का एहसास होता रहता है। इससे स्ट्रेस कम हो जाता है, जो आपको डिप्रेशन से भी बचाता है। प्यार युवाओं को शराब और ड्रग्स जैसी बुरी लत से उबारने में भी मददगार है...
ब्लड प्रेशर रहता है कंट्रोल में:
एनल्स ऑफ बिहेवियरल मेडिसिन की एक स्टडी के मुताबिक प्यार में आपका ब्लड प्रेशर कंट्रोल में रहता है। रिसर्च में पता चला कि हैप्पी रिलेशनशिप में लोगों का ब्लड प्रेशर लगभग आदर्श स्थिति में था..
दर्द का एहसास नहीं होता:
इश्क में एड्रेनिल हॉर्मोन निकलता है। इससे दिमाग के वे हिस्से एक्टिव हो जाते हैं, जिनसे आपको दर्द कम महसूस होता है। सेंटर्स फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन की एक रिपोर्ट के मुताबिक, प्यार में पड़े लोगों को सिरदर्द और पीठ दर्द की शिकायत बहुत कम होती है...
तेज होती है हीलिंग:
प्यार में शरीर के घाव तक तेजी से भरते हैं। आर्काइव्स ऑफ जनरल साइकेट्री में पब्लिश हुई एक रिसर्च के मुताबिक अकेले रह रहे लोगों की तुलना में प्यार में पड़े लोगों के घाव दोगुनी तेजी से भरते हैं। अगर बीमार होते हैं तब भी आप तेजी से ठीक होते हैं..
नींद अच्छी आती है:
प्यार में नींद अच्छी आती है। दिमाग में स्ट्रेस कम होने और हेल्दी ऑर्गेज्म दोनों ही अच्छी नींद को बढ़ावा देते हैं। हेल्दी और लविंग रिलेशनशिप में आपका दिमाग ऑक्सीटॉसिन और सेरोटोनिन हॉर्मोन रिलीज करता है। ये दोनों ही हॉर्मोन अच्छी नींद में आपकी मदद करते हैं...
स्किन पर आता है ग्लो:
नेशनल सेंटर्स फॉर बायोटेक्नोलॉजी एंड इंफॉर्मेशन की एक स्टडी के मुताबिक जब आप प्रेम में होते हैं तो आपकी स्किन ग्लो करने लगती है। लविंग रिलेशनशिप में आपका शरीर ऑक्सीटोसिन और डोपामाइन जैसे हैप्पी हॉर्मोन प्रोड्यूस करता है। ये स्किन के लिए काफी फायदेमंद होते हैं। यह स्किन में एंटी इन्फ्लेमेटरी रिस्पॉन्स और माइक्रोसर्कुलेशन को भी बढ़ा देता है, जो स्किन बैरियर को रिपेयर होने में मदद करता है...
उम्र होती है लंबी:
अमेरिकन जर्नल ऑफ एपिडेमियोलॉजी के मुताबिक, प्यार में पड़े लोगों की तुलना में सिंगल और अनहेल्दी रिलेशनशिप वाले लोगों की डेथ रेट ज्यादा है। ज्यादातर अनहेल्दी रिलेशनशिप वाले व्यक्ति उम्र से पहले ही अपनी जान गंवा देते हैं। प्यार में इंसान का दिल, दिमाग और कई बॉडी ऑर्गन्स स्वस्थ रहते हैं। इसलिए इश्क में उम्र अपने आप लंबी हो जाती है...
और अब अंत में, गुजारिश कि जो भी इंसान इस आर्टिकल को पढ़ने के बाद लव मे पड़ता है, वह मेरी शुक्रिया अदा करना मत भूले....
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