Thought for the Day
21 Nov 2024
अर्ज है.....
लिखने को तो लिख दूँ हज़ार बातें मगर, अब पढ़ने वाला कोई नहीं
किसे बयां करूँ मैं, दिल-ए-जज़्बात अब इसे समझने वाला कोई नहीं
यूँ तो ज़ख़्म अनगिनत लगे हैं दिल पे पर, अब मरहम लगाने वाला कोई नहीं
पलभर की हमदर्दी जताकर चल देंगे पर, ताउम्र साथ निभाने वाला कोई नहीं
रूठ कर भी अब मुझे क्या करना जब मुझे मनाने वाला कोई नहीं..!!
We must explain to you how all seds this mistakens idea off denouncing pleasures and praising pain was born and I will give you a completed accounts..
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