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आज का संस्करण

नई दिल्ली, 23 अप्रैल 2024

 

अर्ज है.....

 

लिखने को तो लिख दूँ हज़ार बातें मगर, अब पढ़ने वाला कोई नहीं

 

किसे बयां करूँ मैं, दिल-ए-जज़्बात अब इसे समझने वाला कोई नहीं

 

यूँ तो ज़ख़्म अनगिनत लगे हैं दिल पे पर, अब मरहम लगाने वाला कोई नहीं

 

पलभर की हमदर्दी जताकर चल देंगे पर, ताउम्र साथ निभाने वाला कोई नहीं

 

रूठ कर भी अब मुझे क्या करना जब मुझे मनाने वाला कोई नहीं..!!

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