देश में चुनाव घोषित होने से पहले ही प्रत्यक्ष चुनाव प्रचार चल रहा है। सत्ता में एनडीए के मुक़ाबले ‘इंडिया’ फ़्रंट कार्यक्षेत्र में है। पहले की कमान प्रधानमंत्री मोदी के हाथ में है और ‘इंडिया’ क़ाफ़िले का नेतृत्व राहुल गाँधी के पास है। उन्होंने सबसे पहले दक्षिण में कन्याकुमारी से उत्तर में श्रीनगर तक पैदल मार्च किया जिसे ‘भारत जोड़ो यात्रा’ कहा गया और अब वह पूर्व से पश्चिम की ओर यात्रा कर रहे हैं।
मणिपुर को अपनी यात्रा के आरम्भिक बिंदु के रूप में चुनकर राहुल गाँधी ने बीजेपी की दुखती रग पर हाथ रख दिया। इसलिए कि गुजरात के बाद बीजेपी के माथे पर सबसे बड़ा कलंक मणिपुर का लगा है। दोनों राज्यों में अपनी सत्ता मज़बूत करने के लिए भाजपा ने हिंसा की आग लगाकर उसपर अपनी राजनैतिक रोटियाँ सेंकने का प्रयास किया। मणिपुर के तनाव का अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि मई की शुरुआत में शुरू हुए जातीय दंगों के लगभग चार महीने बाद राज्य के तीन प्रमुख अस्पतालों के मुर्दाघरों में 96 लावारिस शव अपने वारिसों का इंतिज़ार कर रहे थे। किसी ने भी उनकी पहचान करने के लिए अधिकारियों से संपर्क करने की कोशिश नहीं की थी और इसका कारण स्थानीय लोगों में पाया जानेवाला डर और आतंक था। लोग अपने परिजनों के शव अस्पतालों से ले जाने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे थे।
यह वह समय था जब 41,000 कुकियों को अस्थायी शिविरों में रहने के लिए मजबूर किया गया था। केंद्र और राज्य सरकारें मिलकर हालात को और ख़राब करने की कोशिश कर रही थीं। ऐसे में राहुल गाँधी ने मणिपुर का दौरा किया और पीड़ितों के ज़ख़्मों पर मरहम लगाने का काम किया। जून के अंत में, राहुल गाँधी ने विस्थापित लोगों से मिलने के लिए इंफाल पश्चिम ज़िले और चुराचांदपुर में राहत शिविरों का दौरा किया।
मणिपुर की सबसे बड़ी समस्या आपसी विश्वास का ख़त्म होना है। इस विश्वास को बहाल करने के लिए, राहुल गाँधी ने मणिपुर से अपनी यात्रा शुरू करने का फ़ैसला किया और भारत के लोगों को एकजुट करने के साथ उन्हें न्याय दिलाने के लिए अपने अभियान के नाम में ‘न्याय’ शब्द जोड़ा। जब इसमें सामाजिक न्याय और जाति-आधारित अन्याय को दूर करने को भी शामिल कर लिया गया, तो बीजेपी के कान खड़े हो गए और उसे समझ आ गया कि यह यात्रा उसके क़दम उखाड़ सकती है।
‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा’ में सामाजिक न्याय के कारण पहले ही दिन से बाधाओं का सिलसिला शुरू हो गया। प्रबंधन के बहाने इंफाल के सबसे बड़े मैदान में सार्वजनिक बैठक की इजाज़त नहीं दी गई। असम के अंदर यात्रा के साथ चलनेवालों पर हमले किए गए। पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी से मतभेद की अफ़वाहें उड़ीं, लेकिन ये सारे हथकंडे नाकाम रहे और ‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा’ लगातार सफलता के झंडे गाड़ती रही। जब राहुल की यात्रा बिहार पहुँचनेवाली थी तो बीजेपीने राहुल को हतोत्साहित करने के लिए नीतीश कुमार को अपने साथ किया और यह आभास देने की कोशिश की कि ‘इंडिया’ का मोर्चा ख़त्म हो गया है, लेकिन तेजस्वी यादव ने नीतीश की अनुपस्थिति को बहुत अच्छी तरह से पूरा किया और जिस उत्साह के साथ लोग यात्रा में शामिल हुए और इससे एनडीए की हालत ख़राब हो गई।
बिहार के बाद यात्रा को झारखंड जाना था। वहाँ हेमंत सोरेन पर स्प्रिंग ट्रिक आज़माई गई लेकिन वह झुकने के बजाय अड़ गए। जेल जाकर ऑपरेशन कमल को विफल कर दिया। इस तरह मानो यात्रा में जान पड़ गई ।
‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा’ जब ओडिशा में सफलता का झंडा लहरा रही थी, तब उसकी ओर से मीडिया का ध्यान भटकाने के लिए महाराष्ट्र में मिलिंद देवड़ा और अशोक चौहान को तोड़ा गया, । इसका फ़ायदा उठाकर ये दोनों अवसरवादी तो संसद भवन पहुँच गए, लेकिन नारायण राणे और पंकजा मुंडे हाथ मलते रह गए। यात्रा के उत्तर प्रदेश में प्रवेश करने से पहले ही जयंत चौधरी को तोड़कर यात्रा की हवा निकालने की कोशिश की गई और ऐसा माहौल बनाया गया कि समाजवादी पार्टी भी जल्द ही ‘इंडिया’ के मोर्चे से अलग हो रही है, लेकिन अब हाल यह है कि काँग्रेस और एसपी के बीच समझौता हो चुका है मगर आरएलडी और बीजेपी के बीच समझौता नहीं हो सका, इसलिए जयंत घर वापसी के बारे में सोच रहे हैं।
आगरा में अखिलेश और राहुल की बेहद सफल और ऐतिहासिक रैली भी हो चुकी है। उत्तर प्रदेश से निकलकर यात्रा राजस्थान के धौलपुर पहुँची तो लोगों का उत्साह देखकर ऐसा लग रहा था कि लोगों को अपनी ग़लती का एहसास हो गया है और वे संसदीय चुनाव में इसे सुधार लेंगे।
धौलपुर की जनसभा में राहुल गाँधी ने कहा कि देश में तरह-तरह के अन्याय हो रहे हैं, इसलिए इस यात्रा को न्याय से जोड़ा गया है क्योंकि आज देश में सिर्फ़ चालीस प्रतिशत लोगों को फ़ायदा हो रहा है। राहुल गाँधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए कहा कि वह अपने दोस्तों के लिए सब कुछ कर सकते हैं लेकिन किसानों के कल्याण के लिए कोई क़दम उठाने को तैयार नहीं हैं। उन्हें किसानों की कोई चिंता नहीं है और किसानों से किए गए वादे पूरे नहीं किए गए हैं। उन्होंने कहा, “काँग्रेस हर किसान, हर श्रमिक और अंतिम पंक्ति में खड़े ग़रीबों के लिए न्यायसंगत नीतियाँ बनाने के लिए प्रतिबद्ध है।”
मध्य प्रदेश में यात्रा के प्रवेश करने से पहले ही कमलनाथ की बग़ावत का सपना बेचा गया और 22 विधायकों के साथ काँग्रेस से अलग होने की ख़बर उड़ाई गई, मगर अब कमलनाथ यात्रा में शामिल हो रहे हैं। ‘भारत जोड़ो यात्रा’ ने राम मंदिर के प्रभाव को काफ़ी हद तक ख़त्म कर दिया है l
(शब्द 940)
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