अयोध्या में दलित लड़की के साथ हुए सामूहिक बलात्कार ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। ये भयानक घटना उस जगह पर हुई, जो राम जन्मभूमि मंदिर का उच्च सुरक्षा क्षेत्र माना जाता है। इस वारदात ने एक बार फिर से भारत में महिलाओं की सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
इस मामले में आठ आरोपियों को गिरफ़्तार किया गया है। पीड़िता, जो एक कॉलेज की छात्रा है, मंदिर में सफाई कर्मचारी के तौर पर भी काम करती थी। इस घटना के बाद सोशल मीडिया पर भारी आक्रोश देखने को मिल रहा है। ये चौंकाने वाली बात इसलिए भी है क्योंकि पीड़िता ने मंदिर के उच्च सुरक्षा क्षेत्र में काम किया, लेकिन इसके बावजूद उसके साथ ऐसी घटना हुई। इसने महिलाओं की सुरक्षा और उनके लिए सुरक्षित माहौल की कमी को उजागर कर दिया है।
भाजपा सरकार ने राज्य में महिलाओं की सुरक्षा को लेकर बड़े-बड़े दावे किए थे, लेकिन इस घटना ने इन दावों की पोल खोल दी है। इस घटना ने विपक्ष को भी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलने का मौका दे दिया है, खासकर उनके “बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ” के नारे को लेकर।
पीड़िता ने बताया कि उसने 26 अगस्त को पुलिस से संपर्क किया था, लेकिन उसकी शिकायत नहीं सुनी गई। अंततः 2 सितंबर को पुलिस ने मामला दर्ज किया और सभी आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया। मुख्य आरोपी वंश चौधरी, एक स्थानीय भाजपा नेता का बेटा है, जिसने पीड़िता को पिछले चार सालों से जानने का दावा किया। पीड़िता की मां ने आरोप लगाया कि वंश नाबालिग नहीं है, जैसा पुलिस ने दर्ज किया है। उसकी उम्र 20 साल है, लेकिन पुलिस ने उसे नाबालिग बताया ताकि उसे कम सजा हो सके।
पीड़िता ने अपनी शिकायत में बताया कि 16 अगस्त को वंश ने उसे घुमाने के बहाने एक गेस्ट हाउस में बुलाया, जहां उसने अपने दोस्तों के साथ मिलकर उसके साथ सामूहिक बलात्कार किया। इसके बाद उसे एक गैरेज में ले जाकर फिर से छेड़छाड़ की गई। जब उसने पुलिस में शिकायत करने की धमकी दी, तो आरोपियों ने उसकी छोटी बहनों को नुकसान पहुंचाने की धमकी दी।
पीड़िता के परिवार की हालत इस घटना के बाद और भी खराब हो गई है। स्थानीय लोग उसकी छोटी बहनों पर अभद्र टिप्पणियाँ करते हैं और उन्हें परेशान करते हैं। पीड़िता तीन बहनों में सबसे बड़ी है और परिवार की आर्थिक तंगी के कारण उसे पढ़ाई छोड़कर काम करना पड़ा था।
इस घटना के बाद समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने आरोपियों को कड़ी सजा देने की मांग की और पुलिस की लापरवाही की भी आलोचना की। यादव ने सोशल मीडिया पर पीड़िता का वीडियो शेयर करते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश में महिलाओं की सुरक्षा का हाल बहुत खराब हो चुका है और पुलिस की असंवेदनशीलता के कारण ऐसे अपराध बढ़ रहे हैं। उन्होंने मांग की कि न सिर्फ अपराधियों बल्कि उन पुलिसकर्मियों के खिलाफ भी कार्रवाई होनी चाहिए जिन्होंने मामले को गंभीरता से नहीं लिया।
अयोध्या के एसएसपी ने बताया कि जैसे ही उन्हें इस घटना की जानकारी मिली, उन्होंने कार्रवाई शुरू कर दी। हालांकि, शिकायत दर्ज करने में देरी ने लोगों के बीच गुस्सा पैदा कर दिया है। सवाल उठ रहे हैं कि इतनी उच्च सुरक्षा वाले क्षेत्र में ऐसा अपराध कैसे हो सकता है, और पुलिस ने शिकायत दर्ज करने में इतनी देरी क्यों की?
इस घटना ने देश भर में लोगों को स्तब्ध कर दिया है, और न्याय की मांग तेज़ हो गई है। अब देखना ये होगा कि आरोपियों को कब तक और कैसी सजा मिलती है और इस घटना से जुड़े सभी पहलुओं की जांच कितनी प्रभावी ढंग से होती है।
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