आज का दिन खास है. चार महीने बाद, यानि की अगस्त 8 के बाद , भारत और छोटा सा उक्स्का पडोसी बांग्लादेश के बीच सीधी बातचीत फिर शुरू होगी. चार महीने से, शेख हसीना, तत्कालीन प्रधान मंत्री, के भारत भागने के बाद से वहां उथल पुथल ही चल रही है.
भारत के खिलाफ बयानबाजी जारी है. हिन्दुओं के खिलाफ हिंसा तब से चल रही है. अंतर्राष्ट्रीय कृष्णा कांशसनेस के मंदिर जला दिए, हिन्दू कम्युनिस्ट नेता मार डाले, हिन्दू महिला के साथ बर्बरता हुई. कृष्णा कांशसनेस के ३६ नेताओं के खिलाफ राष्ट्रद्रोह का मुकदमा चल रहा है. चट्टग्राम में एक बंदी संन्यासी, चिन्मय कृष्ण दास, का जिस वकील ने भी मुकदमा लड़ने की कोशिश की उसकी हत्या हो गई.
ऐसे विकट परिस्थिति में भारत ने सूझ्बूझ का परिचय देते हुए दिसंबर 9 को भारत के विदेश सचिव विक्रम मिसरी को ढाका भेज कर बातचीत की शुरुआत करने की पहल की. उम्मीद की जाती है कि मिसरी कुछ मिठास ला पाएंगे. उनकी मुलाकात आज बांग्लादेश विदेश सलाहकार मो तौहीद होस्सैन के साथ होगी.
वे मुख्य रूप से व्यापार, सीमा सुरक्षा और शेख हसीना के भारत प्रवास पर मशवरा करेंगे. पर बांग्लादेश ने मामले को बिगड़ने के कसार नहीं छोड़ी है. ऐन वक़्त पर चिन्मोय दास के खिलाफ नए मुक़दमे कायम किये गए. उनके खिलाफ देशद्रोह के चार्जशीट में १६४ लोग नामजद है और ५०० अन्य का जिक्र है. लगभग सभी “देशद्रोही” हिन्दू या कृष्णा कांशसनेस से जुड़े हैं. उनके खिलाफ मामला दर्ज एक व्यापारी, इनामुल हक, ने किया है. इनामुल एक सांप्रदायिक संस्था हिफाजत—ए-इस्लाम, बांग्लादेश, के सदस्य है. इनामुल का कहना है की २६ नवम्बर को चिन्मोय दस ने उन पर हमला किया था. सैन्क्रों ऐसे आक्रमण हिन्दुओं पर हुए. पर किसि को भी हिफाजत में नहीं लिया गया.
वहां लगातार हिन्दुओं पर और कृष्णा कांशसनेस के सदस्यों पर जान लेवा हमले किये जा रहें हैं. उनकी या हिन्दू अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के लिय बंगलदेश सरकार ने शायद ही कोई कदम उठाएं हैं. १९४७ से हिन्दुओं पर ऐसा ही अत्याचार चल रहा है.
ऐसे अशांत माहौल में हिंदुस्तान के लिए ठोस नतीजा निकलना आसान नहीं होगा. पर हाल ही में भारत ने अफ़ग़ानिस्तान के तालिबान के साथ भी सम्बन्ध सुधारें है. इसलिए उम्मीदें है.
अगर बांग्लादेश की अंतरिम सरकार, जिसे सांप्रदायिक समझा जाता है, पूर्व प्रधान मंत्री शेख हसीना को उनकों सौंपने के लिए कह सकता है. अंतरिम सरकार को पता है भारत ऐसा नहीं करेगा. पर आतंरिक राजनीति ने सरकार पर दबाव बनाया हुआ है. बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बी एन पी) का यह एक प्रमुख मुद्दा है जो वहां की राजनीति को आक्रामक बनाये हुए है.
तौहीद होस्सैन हालाँकि कह रहें है कि अगस्त 5 के बाद बांग्लादेश का व्यापर और अन्य समस्याओं से उभरने के लिए भारत की सहायता चाहिए. उनका कहना है कि बांग्लादेश भारत से संतुलित रिश्ता चाहता है. पर आक्रामक है. बी एन पी ने इसी वक़्त अगरतला, त्रिपुरा के बांग्लादेश दूतावास के दफ्तर पर विरोध प्रदर्शन के खिलाफ प्रोटेस्ट कर रही है.
कोलकाता में रामकृष्ण मिशन ने भी इस्कोन के सदस्यों पर मारपीट और अन्य मामलों पर चिंता जताई है. यह केवल भारत-बांग्लादेश द्विपक्षीय विषय ही नहीं है बल्कि पूर्व एशिया और मध्यपूर्व में उभरते हुए संकटों से भी उपाय निकलने का रास्ता निकालने के लिए अहम् है.
विदेश सचिव मिसरी को ऐसी परिस्थिति में राह निकलना आसान नहीं होगा. पर पुरे विश्व को भारत की डिप्लोमेटिक कुशलता पर भरोसा है. सभी की उम्मीद है कि भारत राह निकालने में सक्षम है. आज सिर्फ भारतीय उपमहाद्वीप ही नहीं वरन सारा विश्व की निगाहें आज मिसरी-तौहीद होस्सैन वार्ता पर ही है l
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