आज का संस्करण
नई दिल्ली, 23 फरवरी 2024
डॉ.सलीम ख़ान
लगता है राहुल गाँधी की वाराणसी यात्रा ने भाजपा की हालत पतली कर दी है। योगीजी ने पहले तो इसके प्रभाव को दूर करने के लिए वाराणसी के मंदिरों का भ्रमण किया, लेकिन जब बात नहीं बनी तो प्रधानमंत्री ख़ुद अपनी ज़मीन को बचाने के लिए दौड़ पड़े और 13 हजार करोड़ रुपये से ज़्यादा की विकास परियोजनाओं का शिलान्यास किया। मगर मीडिया में इन परियोजनाओं की जगह राहुल गाँधी पर किए जानेवाले कटाक्ष पर चर्चा शुरू हो गई क्योंकि अव्वल तो मोदी जी द्वारा दिखाए गए सपने साकार नहीं होते और अगर वे साकार हो भी जाएँ तो उनसे आम आदमी को कोई लाभ नहीं होता।
आम लोगों को मोदी जी के भाषण में केवल मनोरंजन दिखता है जिसके लिए वे तालियाँ बजाते हैं। उनके हालिया भाषण का पहला मनोरंजक वाक्य पूरबी भाषा में था— “काशी की धरती पर, आज एक बार फिर आप लोगन के बीच आवे का मौक़ा मिलल है। जब तक बनारस नहीं आयत, तब तक हमरा मन नाहीं मानेला। दस साल पहले आप लोग हमके बनारस का सांसद बनाईला। अब दस साल में बनारस हमके बनारसी बनादे लेस।”
दस साल पहले मोदीजी बनारस आए थे और कहा था कि गंगा ने मुझे बुलाया है। इन दस सालों में गंगा का प्रदूषण इतना बढ़ गया है कि अब इसका पानी पीने या नहाने लायक़ भी नहीं बचा है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मुताबिक़ उत्तर प्रदेश से लेकर पश्चिम बंगाल तक गंगा नदी का पानी पीने और नहाने के लिए सुरक्षित नहीं है। कुल 86 लाइव निगरानी केंद्रों में से केवल सात क्षेत्र ऐसे पाए गए, जहाँ का पानी साफ़ करने के बाद पीने लायक़ है, जबकि 78 स्थान इस योग्य नहीं हैं। गंगा की सफ़ाई के लिए 2014 से जून 2018 तक 5523 करोड़ रुपये जारी किये गये और इसमें से 3867 करोड़ रुपये ख़र्च भी किये गये। यह वही गंगा है जहाँ देश भर से आकर श्रद्धालु अपने पाप धोने के लिए डुबकी लगाते थे और मरते समय इसके दो-चार घूँट पीकर स्वर्ग जाने की आशा करते थे, लेकिन जब से ‘हर-हर मोदी, घर-घर मोदी’ का नारा लगा है गंगा का जल प्रदूषित होता चला गया।
मोदी के दौरे का मुख्य उद्देश्य युवाओं को गुमराह कर काँग्रेस को बुरा-भला कहना था, इसलिए उन्होंने अपने भाषण के दौरान कहा, “मुझे नहीं पता था कि काँग्रेस को भगवान श्री राम से इतनी नफ़रत है।” लोगों को राम के नाम से नहीं बल्कि इस अक्षम डबल इंजन सरकार के काम से नफ़रत है और वे उन्हें सबक़ सिखाने का इंतिज़ार कर रहे हैं। यही डर मोदी और योगी को बार-बार वाराणसी ले जा रहा है। राहुल गाँधी की यात्रा का असर मिटाने के लिए मोदी ने कहा, “काँग्रेस के युवराज ने कहा, काशी और यूपी के युवा नशेड़ी हैं। मोदी को गाली देते-देते अब वे यूपी के युवाओं पर अपनी झुंझलाहट निकाल रहे हैं, जो लोग खुद ही अपने होश-हवास खो चुके हैं वे यूपी और मेरे काशी के बच्चों को नशेड़ी कह रहे हैं। काशी और यूपी के युवा विकसित यूपी के निर्माण में जुटे हैं, वे अपना समृद्ध भविष्य लिखने के लिए अथक प्रयास कर रहे हैं। ‘इंडिया’ गठबंधन द्वारा यूपी के युवाओं का अपमान को कोई नहीं भूलेगा।” इस तरह सहानुभूति बटोरते-बटोरते मोदी की उम्र बीत गई और अब लोग इस हथकंडे से तंग आ चुके हैं।
लोगों की भावनाओं से खिलवाड़ करनेवाले प्रधानमंत्री बताएँ कि अगर काशी के युवा नशे के आदी नहीं हैं तो उन्होंने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय परिसर में एक छात्रा का बलात्कार क्यों किया? क्या कोई समझदार व्यक्ति अपनी गंदी हरकत का वीडियो बना सकता है? वे युवक किसी राजघराने के राजकुमार नहीं थे, बल्कि उस संघ परिवार में पले-बढ़े थे जिसको अपनी शिक्षा-प्रशिक्षण तथा हिंदू सभ्यता पर गर्व है। वे शराब के साथ-साथ सत्ता के नशे में भी धुत थे। इसके बावजूद बीजेपी ने उन्हें मध्य प्रदेश के अंदर ले जाकर छिपा दिया और उनके लिए प्रचार किया गया। योगी को उम्मीद थी कि समय के साथ लोग भूल जाएँगे और मामला निबट जाएगा, लेकिन छात्रों के लगातार विरोध से मजबूर होकर योगी की पुलिस को उन्हें गिरफ़्तार करना पड़ा। क्या इसी तरह किसी राज्य को विकसित बनाया जाता है? इन युवाओं की काली करतूतें मोदी जी को गंगा में डुबाने के लिए काफ़ी हैं। बीजेपी के लिए राहुल से ज़्यादा ख़तरनाक वे युवक हैं।
जिस समय प्रधानमंत्री उत्तर प्रदेश के युवाओं के बारे में बात कर रहे थे, उसी समय राज्य के क़न्नौज शहर में एक 28 वर्षीय बेरोज़गार युवक ने अपने सभी शैक्षणिक प्रमाणपत्र जलाने के बाद फाँसी लगाकर आत्महत्या कर ली। हाल ही में हुई पुलिस भर्ती परीक्षा में शामिल होने के बाद कथित पेपर लीक से परेशान होकर ब्रिजेश पाल ने 22 फ़रवरी को आत्महत्या कर ली, लेकिन प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में इसपर शोक तक नहीं जताया क्योंकि सपनों का सौदागर हमेशा तथ्यों को स्वीकार करने से आँखें मूँद लेता है। ब्रिजेश ने अपने सुसाइड नोट में लिखा, ‘अब मैं चिंतित हूँ। जब किसी को नौकरी नहीं मिल सकती तो डिग्री का क्या फ़ायदा?’ उसने अपने परिवार से कहा, ‘मैंने आप लोगों को धोखा दिया है। मेरी मौत के लिए किसी को परेशान न किया जाए। मैं अपनी मौत का ज़िम्मेदार ख़ुद हूँ। मैं अब और जीना नहीं चाहता। हमने बीएससी के सारे काग़ज़ात जला दिये हैं। ऐसी डिग्री का क्या फ़ायदा जो एक नौकरी न दिला सके? हमारी आधी उम्र पढ़ाई में निकल गई इसलिए मन भर गया है।’ इस आत्महत्या की सीधी ज़िम्मेदारी मोदी और योगी पर आती है।
ब्रिजेश पाल उन 48 लाख से अधिक उम्मीदवारों में से एक था, जो राज्य भर में कुल 60,244 कांस्टेबल पदों को भरने के लिए 17 और 18 फ़रवरी को उपस्थित हुए थे। हर साल दो करोड़ नौकरियाँ देने का झूठा दावा कर सत्ता में आनेवाले प्रधानमंत्री जिस राज्य के युवकों के बारे में लम्बे-चौड़े दावे करते हैं उसमें साठ हज़ार रिक्त स्थानों के लिए 48 लाख आवेदन उनकी क़लई खोल देते हैं। चुनाव से पूर्व नौकरियाँ बाँटकर वोट पर क़ब्ज़ा करने के निन्दित प्रयास को क़ुदरत ने भर्ती परीक्षा में दूसरी पाली का पेपर लीक कर के नाकाम कर दिया। 18 फ़रवरी की शाम तक अधिकांश अभ्यर्थियों व कोचिंग शिक्षकों के पास 3 से 5 पालियों के प्रश्नपत्र पहुँच गये थे। सोशल मीडिया पर पेपर लीक का रहस्योद्घाटन होने के बाद योगी जी के बोर्ड ने हमेशा की तरह भगवा दलालों को बचाने के लिए पेपर लीक की ख़बर को फ़र्ज़ी बता दिया, लेकिन फिर मजबूरन एक जाँच कमेटी बना दी गई।
योगी सरकार की इस अक्षमता और भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ अभ्यर्थी पहले दिन से ही सड़कों पर उतरने लगे और परीक्षा रद्द करने की माँग करने लगे। इससे घबराए उत्तर प्रदेश पुलिस भर्ती एवं प्रोन्नति बोर्ड ने पेपर लीक की शिकायतों पर अभ्यर्थियों से साक्ष्य सहित आपत्तियाँ माँगीं तो क़रीब डेढ़ हज़ार शिकायतें साक्ष्य सहित ऑनलाइन प्राप्त हुईं । इससे पता चलता है कि खुला भ्रष्टाचार कितना व्यापक था। प्रशासन ने कार्रवाई की तो परीक्षा के आख़िरी दिन पेपर लीक मामले में 93 लोगों को गिरफ़्तार किया गया। इस मामले में 15 फ़रवरी से यह लेख लिखे जाने तक ज़िला पुलिस और एसटीएफ़ ने धोखाधड़ी और परीक्षार्थियों को निशाना बनाकर नक़ल करानेवाले गिरोह के कुल 287 लोगों को गिरफ़्तार किया है। साथ ही परीक्षा के पहले दिन 122 फ़र्ज़ी अभ्यर्थी और सॉल्विंग ग्रुप के सदस्य पकड़े गये। इनमें से 96 परीक्षा के दौरान पकड़े गये और 18 धोखाबाज़ भी गिरफ़्तार किये गये। एटा और प्रयागराज कमिश्नरी में 15-15 और मऊ, सिद्धार्थनगर और प्रयागराज से 9-9, ग़ाज़ीपुर से 8 और आज़मगढ़ से 7 ठग भी पकड़े गए। इसका मतलब यह है कि भाजपा रूपी यह नासूर पूरे प्रदेश में फैला हुआ था।
ऐसे में अगर राहुल गाँधी ने ‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा’ के दौरान कहा, “मैंने वाराणसी में देखा कि हज़ारों युवा शराब पीकर सड़क पर लेट गए और वाद्ययंत्र बजा रहे थे” तो उन्होंने क्या ग़लत किया? प्रधानमंत्री की इसपर मुँहज़ोरी का जवाब देते हुए राहुल गाँधी ने एक्स पर पूर्वी भाषा में लिखा, ''मोदी जी अपनी नानी को अपने ननिहाल की कहानी सुना रहे हैं।” यह दुख भरी कहानी योगी के उस रामराज्य की है, जिसकी तारीफ़ मोदी जी उठते-बैठते करते हैं।
युवाओं ने अपने ज़ोरदार विरोध से योगी सरकार को यूपी पुलिस कांस्टेबल भर्ती परीक्षा रद्द करने पर मजबूर कर दिया। यह उत्तर प्रदेश के युवाओं की भगवाइयों पर बहुत बड़ी जीत है। योगी ने परीक्षाओं को 6 महीने के लिए स्थगित करते हुए अकड़कर एक्स पर लिखा, “युवाओं की मेहनत और परीक्षा की पारदर्शिता से छेड़छाड़ करनेवालों के ख़िलाफ़ सख्त से सख़्त कार्रवाई की जाएगी।” सवाल यह है कि इतने बड़े स्तर पर कोताही क्यों हुई? और इसकी ज़िम्मेदारी लेते हुए योगी इस्तीफ़ा क्यों नहीं दे देते?
(शब्द 1450)
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